जयपुर. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ एक बार फिर शराबबंदी (Liquor Ban in Rajasthan) का बाजार गर्म होने लगा है. गुजरात और बिहार की तर्ज पर इन दिनों राजस्थान में शराबबंदी लागू किए जाने के फार्मूले पर काम शुरू किया जा रहा है. गहलोत सरकार की ओर से बिहार में शराबबंदी (Bihar Liquor prohibition) की नीति का अध्ययन करने के लिए आज 5 सदस्यों की उच्च स्तरीय टीम बिहार के लिए रवाना हुई. इस दल में शराबबंदी के लिए आंदोलन कर रही पूजा भारती छाबड़ा भी मौजूद है.
कमेटी में ये हैं शामिल: जयपुर से पटना बिहार के लिए रवाना हुई कमेटी में शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा, आबकारी डिप्टी कमिश्नर विजय जोशी, विष्णु शर्मा, एमएल गुप्ता और गौरव छाबड़ा शामिल हैं. ये कमेटी आगामी 5 से 7 दिनों तक बिहार में रहेगी और शराबबंदी नीति पर रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपेगी.
राजस्थान में शराबबंदी की मांग को लेकर जन आंदोलन चला रही शराबबंदी आंदोलन राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती छाबड़ा ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर बिहार में शराबबंदी की नीति का अध्ययन करने के लिए आबकारी विभाग का 5 सदस्यीय दल जा रहा है. इस दल में वे खुद भी शामिल हैं. जल्द ही बिहार की संपूर्ण शराबबंदी का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौपेंगे. हमें उम्मीद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री जो गांधी वादी विचारों को मानते हैं, वे प्रदेश की आधी आबादी महिलाओं की इस समस्या को समझेंगे. साथ ही इन महिलाओं के मान सम्मान के लिए इस नीति को भी प्रदेश में लागू करेंगे.
कमेटी करेगी अध्ययन- यह 5 सदस्यीय दल राजस्थान में भी बिहार की तरह शराब के फार्मूले पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा. यह कैसे हो, इसका नफा-नुकसान क्या है, किस तरीके से इस बड़े मोर्चे पर कामयाबी मिलेगी, इन तमाम पहलुओं पर अध्ययन होगा. प्रदेश में शराबबंदी होती है तो इसका कितना आर्थिक नुकसान आएगा और इस आर्थिक नुकसान से कैसे निकला जा सकता है. बिहार की सरकार ने इस आर्थिक नुकसान तो पूरा करने के लिए क्या फॉर्मूला बनाया. इन सब बिन्दुओं पर चर्चा होगी.
प्रदेश में 13 हजार करोड़ के करीब कमाई: राजस्थान में शराब से सरकार को सबसे मोटी कमाई होती है. हर साल 10 से 12 फीसदी टारगेट ग्रोथ के साथ विभाग को अच्छा राजस्व मिल रहा है. एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में हर साल करीब 12 हजार करोड़ का राजस्व सरकार को शराब से मिलता है. हालांकि सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बात को लेकर कई बार संकेत दे चुके हैं कि संपूर्ण शराबबंदी से राजस्थान के आर्थिक हालातों पर बहुत ज्यादा असर पड़ेगा. इसलिए प्रदेश में संपूर्ण शराबबंदी संभव नहीं है, लेकिन फिर भी अगर शराबबंदी जैसे फैसले लेने पड़ते हैं तो उसके लिए शराबबंदी वाले राज्यों का अध्ययन कराएंगे.