जयपुर. राजस्थान के 86 विभिन्न जन संगठन और प्रसिद्ध व्यक्तियों ने राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा है. पत्र लिखने वालों में मैग्सेसे पुरस्कार विजेता अरुणा रॉय, डॉ. लाड कुमारी जैन, पी.एल मीमरोथ, धर्मचंद खैर, राधाकांत सक्सेना, डीके छगानी, मो. नाजीमुद्दीन सहित प्रदेश के जन संगठनों के लगभग 200 प्रतिनिधि शामिल हैं.
पत्र में उन्होंने लिखा है कि वह राज्य में पिछले 15 दिन से चल रहे राजनीतिक संकट को लेकर बहुत चिंतित हैं. खास तौर से जब पूरी दुनिया में कोविड-19 जैसी महामारी फैली हुई है. राजस्थान की जनता ने भी इस महामारी से पूरी तरह मुकाबला किया है और आज भी कर रही है.
ऐसे समय में राज्य में राजनीतिक स्थिरता और सुसाशन की आवश्यकता है. ऐसे समय में राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न होना बहुत ही दुःखद है. इस संदर्भ में राज्यपाल को लिखे गए पत्र में मांग की गई है कि राज्य में स्थिरता लाई जाए और कैबिनेट की ओर से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के फैसले की मर्यादा रखते हुए तुरंत सत्र बुलाया जाये और राज्य में बहुमत की सरकार स्थापित की जाए.
विभिन्न संगठनों की ओर से संवैधानिक एवं कानूनी पहलुओं पर कई विशेषज्ञों से सलाह ली गई है और उन सबने एकमत में कहा है कि भारत के संविधान के अनुछेद-174 और उच्चतम न्यायलय के 1994, बोम्मई (कर्नाटक राज्य ), 2016, रेबिया (अरुणाचल राज्य) और 2020 शिवराज सिंह (मध्य प्रदेश) 3 फैसलों से स्पष्ट है कि केवल विधानसभा पटल पर ही कोई दल संवैधानिक तरीके से अपना बहुमत साबित कर सकता है.
अनुछेद-174 के तहत राज्य मंत्रीमंडल की मांग पर राज्यपाल विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए बाध्य हैं. अगर महामहिम तथ्यों के आधार पर समझते हैं कि सरकार अल्पमत में है तो विधानसभा का सत्र बुलाकर सदन के पटल पर बहुमत साबित करवा सकते हैं. ऐसे में किसी भी परिस्थिति में राज्यपाल, राज्य मंत्रीमंडल की ओर से विधानसभा का सत्र बुलाने की सलाह को ना इंकार कर सकते हैं, ना उसमें देरी कर सकते हैं.