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लोक अदालत में 76 हजार मुकदमों का हुआ निस्तारण

लोक अदालत में शनिवार को 76 हजार मुकदमों का निस्तारण किया गया. लोक अदालत में कुल 2 लाख 79 हजार 839 प्रकरण सूचीबद्ध किए गए थे.

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76 हजार मुकदमों का हुआ निस्तारण
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Published : Jul 10, 2021, 8:27 PM IST

जयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में 75 हजार 952 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जबकि 602 करोड़ रुपए से अधिक के अवार्ड पारित हुए. निस्तारित होने वाले प्रकरणों में 63 हजार 252 लंबित और 12 हजार सात सौ प्रि-लिटिगेशन के प्रकरण थे. लोक अदालत में कुल 2 लाख 79 हजार 839 प्रकरण सूचीबद्ध किए गए थे.

लोक अदालत में चेक अनादरण, धन वसूली, मोटर दुर्घटना, भरण पोषण और वैवाहिक प्रकरणों सहित राजीनामा हो सकने वाले आपराधिक मामलों को रखा गया था. लोक अदालत की शुरुआत प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश संगीत लोढ़ा ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने लोक अदालत को लेकर बेहतरीन काम किया है.

पढ़ें: Rajasthan High Court: आयुर्वेद कर्मचारियों से की जा रही रिकवरी पर लगाई रोक, अधिकारियों को नोटिस जारी

लोक अदालत में मुकदमा तय होने ने उसका अंतिम निस्तारण हो जाता है. इसमें दोनों पक्षों की सहमति से प्रकरण तय होता है. ऐसे में न किसी की हार होती है और न किसी की जीत. इस मौके पर हाईकोर्ट बार अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने कहा कि वैसे तो लोक अदालत में वकील और पक्षकार बढ़ चढक़र हिस्सा लेते हैं, लेकिन यदि उन्हें उचित मानदेय दिया जाए तो तय होने वाले मुकदमों की संख्या में काफी बढोत्तरी हो सकती है.

जयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित साल की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत में 75 हजार 952 मुकदमों का निस्तारण किया गया. जबकि 602 करोड़ रुपए से अधिक के अवार्ड पारित हुए. निस्तारित होने वाले प्रकरणों में 63 हजार 252 लंबित और 12 हजार सात सौ प्रि-लिटिगेशन के प्रकरण थे. लोक अदालत में कुल 2 लाख 79 हजार 839 प्रकरण सूचीबद्ध किए गए थे.

लोक अदालत में चेक अनादरण, धन वसूली, मोटर दुर्घटना, भरण पोषण और वैवाहिक प्रकरणों सहित राजीनामा हो सकने वाले आपराधिक मामलों को रखा गया था. लोक अदालत की शुरुआत प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायाधीश संगीत लोढ़ा ने दीप प्रज्ज्वलित कर की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने लोक अदालत को लेकर बेहतरीन काम किया है.

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लोक अदालत में मुकदमा तय होने ने उसका अंतिम निस्तारण हो जाता है. इसमें दोनों पक्षों की सहमति से प्रकरण तय होता है. ऐसे में न किसी की हार होती है और न किसी की जीत. इस मौके पर हाईकोर्ट बार अध्यक्ष भुवनेश शर्मा ने कहा कि वैसे तो लोक अदालत में वकील और पक्षकार बढ़ चढक़र हिस्सा लेते हैं, लेकिन यदि उन्हें उचित मानदेय दिया जाए तो तय होने वाले मुकदमों की संख्या में काफी बढोत्तरी हो सकती है.

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