जयपुर. राजस्थान में राज्यसभा की 3 सीटों के लिए मतदान प्रकिया जारी है. चुनाव को लेकर पिछले 2 हफ्ते से सियासत गरमाई हुई है. तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशियों चुनावी मैदान में होने के चलते काफी रोचक मुकाबला बन गया है. कांग्रेस की ओर से केसी. वेणुगोपाल के अलावा दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी हैं. वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है. 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा से इन तीन सीटों के लिए 4 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. चार प्रत्याशियों के मैदान में होने से जीत के लिए एक प्रत्याशी को 51 वोट चाहिए. संख्या बल के अनुसार अब भी सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी का पलड़ा भारी है.
1 उम्मीदवार को चाहिए इतने वोट
अनुमान के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के दोनों राज्यसभा उम्मीदवारों केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी का चुनाव जीतना तय है. लेकिन इस बार के चुनाव में रोचक बात यह है कि जहां कांग्रेस पार्टी के एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 51 वोटों की आवश्यकता है. ऐसे में कांग्रेस को मत देने वाले विधायकों में से 51 विधायक पहली बार विधानसभा चुनाव जीत कर आए हैं. जिनमें से 42 विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं.
इससे भी रोचक बात ये है कि भले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ओर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की रणनीति बनाने वाले प्रमुख नेताओं और राज्यसभा चुनाव में जिताने के लिए कांग्रेस खेमे के प्रमुख नेता हो. लेकिन राज्यसभा में एक विधायक के तौर पर वह पहली बार ही मतदान करेंगे. इससे पहले सचिन पायलट दो बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं.
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वहीं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैं, लेकिन वह भी विधानसभा में पहली बार ही जीत कर आए हैं. इससे पहले वह भी सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे. वहीं खिलाड़ी लाल बैरवा भी सांसद रह चुके हैं, लेकिन विधायक के तौर पर पहली बार ही राज्यसभा का मतदान करेंगे.
सुभाष गर्ग पहली बार जीते हैं चुनाव
इसी तरीके से कांग्रेस को समर्थन देने वाली आरएलडी के एकमात्र विधायक सुभाष गर्ग भी पहली बार चुनाव जीते हैं. वहीं भारतीय ट्राइबल पार्टी के राजकुमार रोत और रामप्रसाद भी पहली बार विधायक बने हैं.
वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के दोनों विधायक बलवान पूनिया और गिरधारी लाल भी पहली बार चुनकर विधानसभा में आए हैं. इससे साफ है कि कांग्रेस को समर्थन देने वाले 13 निर्दलीय विधायकों में से 5 विधायक ऐसे हैं, जो पहली बार अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. ऐसे में कहा जा सकता है की एक प्रत्याशी की जीत तो पहली बार जीत कर आए विधायकों पर ही निर्भर करेगी.
कांग्रेस पार्टी के फर्स्ट टाइमर 42 विधायक
अमर सिंह, अमित चाचाण, अमीन कागज़ी, इंदिरा मीणा, इंद्रराज सिंह गुर्जर, किशनाराम राम विश्नोई, कृष्णा पूनिया, खिलाड़ी लाल बैरवा, गजराज खटाना, गणेश घोघरा, चेतन चौधरी, जगदीश चंद्र, जेपी चंदेलिया, जोगिंदर सिंह अवाना, दानिश अबरार, दिव्या मदेरणा, पृथ्वीराज मीणा, प्रशांत बैरवा, मनीषा पंवार, महेंद्र विश्नोई, मीना कंवर, मुकेश भाकर, रफीक खान, राकेश पारीक, रामनिवास गावड़िया, रामलाल मीणा, रूपा राम, रोहित बोहरा, लखन सिंह मीना, वाजिद अली, विजयपाल मिर्धा, वीरेंद्र सिंह, वेद प्रकाश सोलंकी, संदीप कुमार, सचिन पायलट, सुदर्शन सिंह रावत, सुरेश मोदी, हरीश मीणा, हरीश चौधरी, हाकम अली, हीराराम और साफिया जुबेर शामिल हैं.
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कम्युनिस्ट पार्टी के गिरधारी लाल और बलवान पूनिया भी पहली बार चुनकर आए हैं. भारतीय ट्राइबल पार्टी के राजकुमार रोत और रामप्रसाद पहली बार विधायक बने हैं. ऐसे में यह भी पहली बार अपना मत करेंगे. इसी तरह से कांग्रेस के समर्थन में वोट देने वाले निर्दलीय विधायकों में आलोक बेनीवाल, बलजीत यादव, रमिला खड़िया, लक्ष्मण मीणा और सुरेश टांक पहली बार विधायक बने हैं. ये भी राज्यसभा चुनाव में वोट भी पहली बार ही देंगे.
ऐसे में कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी के एक प्रत्याशी को जीतने के लिए जो 51 वोट चाहिए. वह 51 वोट कांग्रेस और निर्दलीय के ऐसे विधायकों के होंगे, जो पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.