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राजस्थान में कोरोना के बाद 30 प्रतिशत घटा रक्तदान, ये है कारण - Reduction in blood donation in Rajasthan

राजस्थान में कोरोना के चलते रक्तदान के आंकड़ों में कमी देखने को मिल रही है. प्रदेश के एसएमएस अस्पताल में भी बल्ड डोनेशन और सप्लाई में काफी अंतर आ गया है. जिसके कारण थैलेसीमिया और कैंसर रोगी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिन्हें सबसे ज्यादा बल्ड की जरूरत होती है.

Blood donation after Corona
राजस्थान में रक्तदान का आंकड़ा घटा
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Published : Aug 20, 2022, 4:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी के बाद रक्तदान का आंकड़ा घट गया है. जिसके कारण थैलेसीमिया और कैंसर रोग से पीड़ित मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि इन मरीजों को सबसे अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है. रक्तदान से जुड़े विभिन्न एनजीओ का कहना है कि कोरोना के बाद रक्तदान के आंकड़ों का घटना चिंता का (Corona affected blood donation) विषय है. इसका कारण कोरोना को ही माना जा रहा है, क्योंकि कोरोना की चपेट में आ चुके तकरीबन 50 फीसद से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

रक्तदान को लेकर काम करने वाले एक एनजीओ के संचालक पंकज अग्रवाल का कहना है कि एनजीओ की ओर से राजस्थान में हजारों ब्लड डोनेशन कैंप (Blood donation in Rajasthan) आयोजित किए जाते हैं. कोरोना से पहले जहां एक ब्लड डोनेशन कैंप से तकरीबन 400 यूनिट ब्लड एकत्रित होता था. लेकिन कोरोना के बाद केवल 250 यूनिट तक ही ब्लड एकत्रित हो पा रहा है. पंकज का कहना है कि हमारी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक ब्लड डोनेशन करवाया जाए ताकि जरूरतमंद लोगों तक ब्लड पहुंच सके. उन्होंने बताया कि बल्ड की सबसे ज्यादा आवश्यकता थैलेसीमिया और कैंसर पीड़ित मरीजों को होती है.

राजस्थान में रक्तदान का आंकड़ा घटा

प्रदेश के आंकड़ों की बात करें तो

  • प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर तकरीबन 151 से अधिक ब्लड बैंक मौजूद हैं.
  • इनमें 56 ब्लड बैंक की स्टेट गवर्नमेंट, 5 सेंट्रल गवर्नमेंट और 90 से अधिक प्राइवेट ब्लड बैंक शामिल हैं.
  • इन ब्लड बैंकों में हर साल तकरीबन 10 लाख यूनिट से अधिक ब्लड एकत्रित होता है.
  • लेकिन कोरोना के बाद यह आंकड़ा 6 से 7 लाख यूनिट तक रह गया है.

पढ़ें. blood donation camp in bhilwara: संविधान से बाहर जाकर काम करने वालों को चुकानी पड़ती है कीमत- रामलाल जाट

एसएमएस अस्पताल पर भी असर: प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में भी रक्तदान की कमी का असर देखने को मिला है. एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक के (Blood donation camps) इंचार्ज डॉ अमित शर्मा का कहना है कि गर्मियों के आसपास सबसे अधिक ब्लड की कमी का सामना करना पड़ता है. इस दौरान मांग के अनुरूप ब्लड की सप्लाई नहीं होती है. लेकिन कोरोना के बाद पिछले कुछ समय से ब्लड की सप्लाई पर असर पड़ा है. साथ ही अस्पताल में रक्तदाताओं की संख्या में भी कमी आई है.

आंकड़ों की बात करें तो

  • बीते 7 महीने में SMS अस्पताल में ब्लड डोनेशन (Blood donation in SMS Hospital) और सप्लाई में काफी फर्क आया.
  • पिछले 7 महीने में 26 हजार यूनिट ब्लड डोनेट हुआ.
  • वहीं करीब 38 हजार यूनिट सप्लाई किया गया.
  • पिछले कुछ समय से ओ नेगेटिव, ए नेगेटिव, एबी नेगेटिव और बी नेगेटिव ब्लड की कमी सबसे अधिक.
  • SMS अस्पताल में हर दिन थैलेसीमिया के 40 और कैंसर से जूझ रहे मरीजों को 10 से 12 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया जाता है.

जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी के बाद रक्तदान का आंकड़ा घट गया है. जिसके कारण थैलेसीमिया और कैंसर रोग से पीड़ित मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि इन मरीजों को सबसे अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है. रक्तदान से जुड़े विभिन्न एनजीओ का कहना है कि कोरोना के बाद रक्तदान के आंकड़ों का घटना चिंता का (Corona affected blood donation) विषय है. इसका कारण कोरोना को ही माना जा रहा है, क्योंकि कोरोना की चपेट में आ चुके तकरीबन 50 फीसद से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

रक्तदान को लेकर काम करने वाले एक एनजीओ के संचालक पंकज अग्रवाल का कहना है कि एनजीओ की ओर से राजस्थान में हजारों ब्लड डोनेशन कैंप (Blood donation in Rajasthan) आयोजित किए जाते हैं. कोरोना से पहले जहां एक ब्लड डोनेशन कैंप से तकरीबन 400 यूनिट ब्लड एकत्रित होता था. लेकिन कोरोना के बाद केवल 250 यूनिट तक ही ब्लड एकत्रित हो पा रहा है. पंकज का कहना है कि हमारी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक ब्लड डोनेशन करवाया जाए ताकि जरूरतमंद लोगों तक ब्लड पहुंच सके. उन्होंने बताया कि बल्ड की सबसे ज्यादा आवश्यकता थैलेसीमिया और कैंसर पीड़ित मरीजों को होती है.

राजस्थान में रक्तदान का आंकड़ा घटा

प्रदेश के आंकड़ों की बात करें तो

  • प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर तकरीबन 151 से अधिक ब्लड बैंक मौजूद हैं.
  • इनमें 56 ब्लड बैंक की स्टेट गवर्नमेंट, 5 सेंट्रल गवर्नमेंट और 90 से अधिक प्राइवेट ब्लड बैंक शामिल हैं.
  • इन ब्लड बैंकों में हर साल तकरीबन 10 लाख यूनिट से अधिक ब्लड एकत्रित होता है.
  • लेकिन कोरोना के बाद यह आंकड़ा 6 से 7 लाख यूनिट तक रह गया है.

पढ़ें. blood donation camp in bhilwara: संविधान से बाहर जाकर काम करने वालों को चुकानी पड़ती है कीमत- रामलाल जाट

एसएमएस अस्पताल पर भी असर: प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में भी रक्तदान की कमी का असर देखने को मिला है. एसएमएस अस्पताल के ब्लड बैंक के (Blood donation camps) इंचार्ज डॉ अमित शर्मा का कहना है कि गर्मियों के आसपास सबसे अधिक ब्लड की कमी का सामना करना पड़ता है. इस दौरान मांग के अनुरूप ब्लड की सप्लाई नहीं होती है. लेकिन कोरोना के बाद पिछले कुछ समय से ब्लड की सप्लाई पर असर पड़ा है. साथ ही अस्पताल में रक्तदाताओं की संख्या में भी कमी आई है.

आंकड़ों की बात करें तो

  • बीते 7 महीने में SMS अस्पताल में ब्लड डोनेशन (Blood donation in SMS Hospital) और सप्लाई में काफी फर्क आया.
  • पिछले 7 महीने में 26 हजार यूनिट ब्लड डोनेट हुआ.
  • वहीं करीब 38 हजार यूनिट सप्लाई किया गया.
  • पिछले कुछ समय से ओ नेगेटिव, ए नेगेटिव, एबी नेगेटिव और बी नेगेटिव ब्लड की कमी सबसे अधिक.
  • SMS अस्पताल में हर दिन थैलेसीमिया के 40 और कैंसर से जूझ रहे मरीजों को 10 से 12 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया जाता है.
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