जयपुर. राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही किला फतह करने की तैयारी में (assembly election Congress preparation) जुटे हुए हैं. कांग्रेस के ही पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट की भी यही चिंता है कि प्रदेश में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बनने वाले इतिहास को कैसे बदला जाए. बहरहाल इसे लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तक इस बार कांग्रेस सरकार के रिपीट करने की बात कह रहे हैं. लेकिन हकीकत यह भी है की प्रदेश में कांग्रेस के इन दावों पर वह 28 सीटें सबसे ज्यादा सवाल खड़े कर रही हैं, जहां कांग्रेस पार्टी लगातार 4 चुनाव यानी 20 साल से हार रही हैं. पाली विधानसभा जैसी 8 चुनाव यानी करीब 43 साल से लगातार चुनाव हारने वाली सीटें हैं. भले ही भाजपा की जगह निर्दलीय या अन्य पार्टियां इन सीटों पर चुनाव जीतती रही हों लेकिन कांग्रेस पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी को जीत नहीं मिली है.
अलायंस करके भी देखा लेकिन भरतपुर छोड़ कहीं नही मिली सफलता
लगातार हारने वाली सीटों पर कांग्रेस ने पिछली बार अलायंस की रणनीति बनाते हुए 5 सीटों पर अलग-अलग पार्टियों के साथ अलायंस किया, लेकिन 5 में से केवल एक सीट पर ही अलायंस का प्रत्याशी जीत हासिल कर सका. इससे कांग्रेस को अलायंस का भी फायदा नहीं हुआ, उल्टा उन 5 सीटों पर संगठन भी कमजोर हो गया. बाली, मालपुरा, मुंडावर, कुशलगढ़ और भरतपुर जैसी सीटों पर लगातार हार के चलते कांग्रेस पार्टी ने पिछले चुनाव में ऐसी पार्टियों को अलायंस में यह सीटें दी जिनका राजस्थान में कोई खास अस्तित्व नहीं था. नतीजा यह हुआ की 5 में से भरतपुर से आरएलडी के प्रत्याशी के तौर पर सुभाष गर्ग ही चुनाव जीत सके और उन्हें कांग्रेस को मंत्री भी बनाना पड़ा.
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अब अग्रिम संगठनों को सौंपी जाएगी इन सीटों की कमान, सेवादल को इस बार मिलेगी अधिक सीटें
लगातार कांग्रेस पार्टी इन 28 विधानसभा सीटों से कम से कम 4 से लेकर 8 बार विधानसभा चुनाव हार चुकी है. ऐसे में अब कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए इन सीटों की जिम्मेदारी अग्रिम संगठनों सेवादल, युवक कांग्रेस और एनएसयूआई को देने की तैयारी कर रही है. इनमें भी खास तौर पर सेवादल को यह जिम्मेदारी ज्यादा दी जाएगी क्योंकि पिछली बार भी विधानसभा चुनाव में सेवादल को 25 विधानसभा सीटों में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी गई थी. जहां से कांग्रेस दो से 6 बार तक चुनाव हार चुकी थी और इसका नतीजा भी सकारात्मक आया और 25 में से 11 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी अपने अग्रिम संगठनों खासतौर पर सेवा दल पर भरोसा जता रही है बल्कि सेवादल के कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर वह इन विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी 1 साल पहले ही सौंप दी थी.
इन सीटों पर लगातार 4 से 8 चुनाव हार चुकी कांग्रेस:
1. पाली: पाली विधानसभा पर जीत हासिल करना कांग्रेस पार्टी के लिए यक्ष प्रश्न के समान है. यहां से कांग्रेस लगातार 8 बार चुनाव हार चुकी है. 1985 से भाजपा ने इस सीट पर ऐसा कब्जा जमाया कि एक बार निर्दलीय के अलावा 7 बार भाजपा का विधायक ही चुनाव जीता.
2.बाली: बाली विधानसभा से कांग्रेस लगातार 7 चुनाव हारी है. उपचुनाव को जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 8 है. पिछली बार कांग्रेस ने यह सीट अलायंस को भी देकर देख ली लेकिन सफलता नहीं मिली थी.
3.बस्सी: बस्सी विधानसभा से भले ही भाजपा के प्रत्याशी न जीतकर निर्दलीय जीत दर्ज कर रहे हों लेकिन कांग्रेस को भी इस सीट पर लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. बस्ती विधानसभा सीट से कांग्रेस लगातार 7 बार चुनाव हारी है, इस बार निर्दलीय जीते हैं.
4.कुशलगढ़: कुशलगढ़ विधानसभा की सीट से लगातार कांग्रेस 7 बार हारती आ रही है. ज्यादातर जेडीयू को इस सीट पर जीत मिली तो कांग्रेस ने शरद यादव के साथ इस सीट पर अलायंस बनाया लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस की रणनीति फेल हो गई और अब की बार निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीत कर विधायक बन गई.
5.मालपुरा: मालपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी लगातार छह बार हार चुकी है.
6.नदबई: नदबई विधानसभा सीट पर कांग्रेस लगातार पांच चुनाव हार चुकी है.
7.महुआ : महुआ विधानसभा सीट पर कांग्रेस को लगातार चार बार हार का सामना करना पड़ है.
8.उदयपुर: उदयपुर विधानसभा सीट से लगातार 4 बार से भाजपा के गुलाब चंद कटारिया जीत रहे हैं.
9.झालरापाटन: इस विधानसभा से लगातार चार बार से कांग्रेस हार रही और वसुंधरा राजे चुनाव जीत रहीं हैं.
10.खानपुर: खानपुर विधानसभा से लगातार कांग्रेस चार बार हार रही है.
11. भीलवाड़ा से लगातार चार बार चुनाव हार रही कांग्रेस.
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11.घाटोल : घाटोल विधानसभा से लगातार कांग्रेस चार बार विधानसभा चुनाव हारी है.
12.सिवाना: सिवाना विधानसभा से कांग्रेस लगातार 4 बार विधानसभा चुनाव हार चुकी है.
13.मेड़ता: मेड़ता विधानसभा से कांग्रेस पार्टी लगातार चार बार चुनाव में शिकस्त झेल चुकी है।
14.रतनगढ़ : रतनगढ़ विधानसभा से कांग्रेस 4 चुनाव लगातार हार चुकी है.
15-धौलपुर: धौलपुर विधानसभा में उपचुनाव को जोड़ दें तो कांग्रेस चार बार चुनाव हार चुकी है.
16. लाडपुरा: भाजपा लाडपुरा विधानसभा सीट लगातार चार बार से हार रही है.
17-राजसमंद: राजस्थान विधानसभा की सीट पर उपचुनाव को जोड़ दिया जाए तो 5 बार कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है.
18.थानागाजी: थानागाजी विधानसभा सीट कांग्रेस लगातार चार बार से हार रही है. इस बार यहां से निर्दलीय विधायक चुने गए हैं.
19. ब्यावर: ब्यावर विधानसभा सीट से कांग्रेस लगातार चार बार से चुनाव हार रही है.
20.नागौर: नागौर विधानसभा सीट कांग्रेस लगातार चार बार हार चुकी है.
21. सूरसागर: सूरसागर विधानसभा सीट लगातार कांग्रेस चार बार से हार रही है.
22.सोजत: सोजत विधानसभा सीट से कांग्रेस लगातार चार बार हार चुकी है.
23.सांगानेर: सांगानेर विधानसभा सीट कांग्रेस लगातार चार बार हर चुकी है।
24.फुलेरा: फुलेरा विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने लगातार चार बार विधानसभा चुनाव हारे हैं.
25.रेवदर- रेवदर विधानसभा सीट कांग्रेस लगातार चार बार से हार रही है.
26.श्री गंगानगर: इस विधानसभा सीट से कांग्रेस लगातार चार बार चुनाव हार रही है और इस बार भी निर्दलीय ने चुनाव जीता है.
27.रामगंज मंडी: रामगंज मंडी से कांग्रेस लगातार चार बार चुनाव हार रही है.
4 बार चुनाव हारी लेकिन अलायंस रहा सफल
1. भरतपुर: भरतपुर विधानसभा से कांग्रेस पार्टी लगातार चार बार चुनाव हार चुकी है हालांकि इस बार कांग्रेस पार्टी ने भरतपुर की सीट अलायंस में दे दी थी जिस पर कांग्रेस को सफलता भी मिली.