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Special: सरकार के 260 कर्मचारी ही डकार गए गरीबों का निवाला, अब होगी वसूली

BOCW योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को आर्थिक सहायता पहुंचाती है लेकिन राजस्थान के कई जिलों में सरकारी कर्मचारियों ने ही फर्जीवाड़ा कर निर्माण श्रमिकों का पैसा गबन कर गए. श्रमिक विभाग की जांच में ये खुलासा हुआ है. अब विभाग इन कर्मचारियों पर नकेल कसने की तैयारी में जुटा है.

BOCW scheme, राजस्थान न्यूज
BOCW योजना के तहत राजस्थान में फर्जीवाड़ा
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Published : Sep 25, 2020, 2:16 PM IST

Updated : Sep 25, 2020, 3:19 PM IST

जयपुर. श्रमिकों को अपना खून-पसीना एक करना पड़ता है. तब जाकर उनके घर में एक समय का चूल्हा जलता है. आर्थिक रूप से पिछड़े इन श्रमिकों को संबल देने के लिए सरकार ने BOCW योजना से इन्हें जोड़ने के कोशिश रही लेकिन सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि प्रदेश के कई जिलों में सरकारी कर्मचारी इन योजनाओं के पैसे डकार गए.

BOCW योजना के तहत राजस्थान में फर्जीवाड़ा

देश में कोरोना और लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा पलायन श्रमिकों का देखा गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित कोई वर्ग इस दौरान नजर आया तो ये श्रमिक वर्ग ही है. श्रमिक दिन भर दो जून की रोटी के लिए कड़कड़ाती धूप, हाड़ कंपाती सर्दी में भी मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. वहीं सरकार इन श्रमिकों के लिए कई योजनाएं लेकर आती है.

विडंबना ये है कि सरकारी कर्मचारी ही श्रमिक बन कर इन श्रमिकों के हक पर डाका डाल देते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कई जिलों में देखने को मिला है. जहां श्रम विभाग ने 260 से अधिक कर्मचारियों को पकड़ा है. ये सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर BOCW (द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) योजना के तहत श्रमिकों को मिलने वाली सहायता राशि उठा ली.

BOCW scheme, राजस्थान न्यूज
BOCW योजना के तहत मिलने वाले विभिन्न लाभ

क्या है बीओसीडब्ल्यू योजना

1996 में भारतीय संसद ने श्रमिकों को संरक्षण और गरिमा प्रदान करने के लिए द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स अधिनियम बनाया था. यह कानून यह आदेश देता है कि निर्माण कंपनियां निर्माण लागत पर न्यूनतम एक प्रतिशत सेस भुगतान करे. फिर यह पैसा BOCW अधिनियम के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को आवंटित किया जाता है.

यह भी पढ़ें. Special: ये हुनरमंद है साहब! आपदा में भी अवसर निकाल ही लेते हैं

बीमारी, शादी या किसी अन्य कार्य के समय आर्थिक तंगी के कारण श्रमिक कर्ज लेते हैं. ये कर्ज असंगठित क्षेत्र से लिए जाते हैं. ऐसे में श्रमिक कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. इसलिए श्रमिकों की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए राजस्थान भवन निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने निर्माण श्रमिकों के लिए इस योजना को प्रभावी बनाया था.

BOCW योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को इन दशा में मिलता है लाभ

  • सामान्य या दुर्घटना में मृत्यु होने पर
  • घायल होने की दशा में
  • मेधावी विद्यार्थियों को मिलता है नगद पुरस्कार
  • दो बेटियां होने पर मिलती है सहायता राशि
  • गंभीर बीमारी में चिकित्सा और पुनर्भरण योजना के तहत लाभ
  • निजी आवास के लिए ऋण सहायता
  • निशुल्क साइकिल योजना के तहत लाभ

इस तरह से करा सकते हैं पंजीयन

इस योजना के लिए पंजीयन करवाने के लिए सबसे पहले पंजीयन अधिकारी के आवेदन पत्र लेकर भरना होता है. इसके साथ आयु प्रमाण पत्र लगाना होता है. श्रमिकों को निर्माण श्रमिक होने का प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ लगाना होता है. इसके लिए श्रमिक ठेकेदार का प्रमाण पत्र पंजीकृत, निर्माण श्रमिकों की यूनियन, क्षेत्र के श्रम निरीक्षक या पंचायत के कार्यकारी अधिकारी का प्रमाण पत्र लगा सकते हैं.

अब सख्ती से हो रही कार्रवाई

प्रदेश के कई जिलों में ऐसे ही मामले देखने को मिल रहे हैं लेकिन अब इन बेईमान कर्मचारियों की खैर नहीं है क्योंकि श्रम विभाग ने 260 से अधिक कर्मचारियों को पकड़ा है. जिन्होंने फर्जी श्रमिक दस्तावेज बना कर श्रमिकों को मिलने वाली योजनाओं के पैसे डकार लिए. अब विभाग इनसे रिकवरी के साथ इनके खिलाफ करवाई शुरू कर दी है .

श्रम विभाग के सचिव नीरज के पवन ने बताया कि श्रम विभाग की ओर से बीओसीडब्ल्यू योजना के तहत प्रदेश के श्रमिकों को अलग सहायता दी जाती है लेकिन कई जिलों में श्रमिकों को मिलने वाली इस योजना के लाभ को सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर राशि ली है.

यह भी पढ़ें. Ground Report: नागौर में आसमान से बरसी आग से खेतों में खड़ी फसल खराब, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

श्रम विभाग के सचिव के नीरज ने जानकारी दी कि इन कर्मचारियों से अब विभाग सिर्फ रिकवरी ही नहीं कर रहा बल्कि इनके खिलाफ विभागीय करवाई भी शुरू कर दी गई है. इसके लिए सभी जिलों के जिला कलेक्टर को पत्र लिखा जा चुका है. जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में उन भ्रष्ट कर्मचारियों की सूची के साथ उनके खिलाफ तत्काल प्रभाव से करवाई करने के लिए कहा गया है.

श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ भांडाफोड़

प्रदेश के कमोबेस सभी जिलों में अध्यापक, प्रधानाध्यापक, ग्राम सेवक, पटवारी सहित कई विभाग के कर्मचारी जो ग्रामीण क्षेत्र में ड्यटी करते हैं. उन्होंने फर्जी निर्माण श्रमिक के दस्तावेज बना आठ योजनाओं में मिलनेवाले आर्थिक सहायता का लाभ लिया है. श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट में इन फर्जी दस्तावेज के लाभ लेने वाले कर्मचारियों का खुलासा हुआ है. विभाग ने अब कलेक्टर के जरिये इन सभी कमर्चारियों को नोटिस थमा दिया है. ऐसे में कार्रवाई के बाद गरीबों के हक पर डाका डालने वाले अब डरेंगे.

जयपुर. श्रमिकों को अपना खून-पसीना एक करना पड़ता है. तब जाकर उनके घर में एक समय का चूल्हा जलता है. आर्थिक रूप से पिछड़े इन श्रमिकों को संबल देने के लिए सरकार ने BOCW योजना से इन्हें जोड़ने के कोशिश रही लेकिन सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि प्रदेश के कई जिलों में सरकारी कर्मचारी इन योजनाओं के पैसे डकार गए.

BOCW योजना के तहत राजस्थान में फर्जीवाड़ा

देश में कोरोना और लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा पलायन श्रमिकों का देखा गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित कोई वर्ग इस दौरान नजर आया तो ये श्रमिक वर्ग ही है. श्रमिक दिन भर दो जून की रोटी के लिए कड़कड़ाती धूप, हाड़ कंपाती सर्दी में भी मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. वहीं सरकार इन श्रमिकों के लिए कई योजनाएं लेकर आती है.

विडंबना ये है कि सरकारी कर्मचारी ही श्रमिक बन कर इन श्रमिकों के हक पर डाका डाल देते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कई जिलों में देखने को मिला है. जहां श्रम विभाग ने 260 से अधिक कर्मचारियों को पकड़ा है. ये सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर BOCW (द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) योजना के तहत श्रमिकों को मिलने वाली सहायता राशि उठा ली.

BOCW scheme, राजस्थान न्यूज
BOCW योजना के तहत मिलने वाले विभिन्न लाभ

क्या है बीओसीडब्ल्यू योजना

1996 में भारतीय संसद ने श्रमिकों को संरक्षण और गरिमा प्रदान करने के लिए द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स अधिनियम बनाया था. यह कानून यह आदेश देता है कि निर्माण कंपनियां निर्माण लागत पर न्यूनतम एक प्रतिशत सेस भुगतान करे. फिर यह पैसा BOCW अधिनियम के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को आवंटित किया जाता है.

यह भी पढ़ें. Special: ये हुनरमंद है साहब! आपदा में भी अवसर निकाल ही लेते हैं

बीमारी, शादी या किसी अन्य कार्य के समय आर्थिक तंगी के कारण श्रमिक कर्ज लेते हैं. ये कर्ज असंगठित क्षेत्र से लिए जाते हैं. ऐसे में श्रमिक कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. इसलिए श्रमिकों की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए राजस्थान भवन निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने निर्माण श्रमिकों के लिए इस योजना को प्रभावी बनाया था.

BOCW योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को इन दशा में मिलता है लाभ

  • सामान्य या दुर्घटना में मृत्यु होने पर
  • घायल होने की दशा में
  • मेधावी विद्यार्थियों को मिलता है नगद पुरस्कार
  • दो बेटियां होने पर मिलती है सहायता राशि
  • गंभीर बीमारी में चिकित्सा और पुनर्भरण योजना के तहत लाभ
  • निजी आवास के लिए ऋण सहायता
  • निशुल्क साइकिल योजना के तहत लाभ

इस तरह से करा सकते हैं पंजीयन

इस योजना के लिए पंजीयन करवाने के लिए सबसे पहले पंजीयन अधिकारी के आवेदन पत्र लेकर भरना होता है. इसके साथ आयु प्रमाण पत्र लगाना होता है. श्रमिकों को निर्माण श्रमिक होने का प्रमाण पत्र भी आवेदन के साथ लगाना होता है. इसके लिए श्रमिक ठेकेदार का प्रमाण पत्र पंजीकृत, निर्माण श्रमिकों की यूनियन, क्षेत्र के श्रम निरीक्षक या पंचायत के कार्यकारी अधिकारी का प्रमाण पत्र लगा सकते हैं.

अब सख्ती से हो रही कार्रवाई

प्रदेश के कई जिलों में ऐसे ही मामले देखने को मिल रहे हैं लेकिन अब इन बेईमान कर्मचारियों की खैर नहीं है क्योंकि श्रम विभाग ने 260 से अधिक कर्मचारियों को पकड़ा है. जिन्होंने फर्जी श्रमिक दस्तावेज बना कर श्रमिकों को मिलने वाली योजनाओं के पैसे डकार लिए. अब विभाग इनसे रिकवरी के साथ इनके खिलाफ करवाई शुरू कर दी है .

श्रम विभाग के सचिव नीरज के पवन ने बताया कि श्रम विभाग की ओर से बीओसीडब्ल्यू योजना के तहत प्रदेश के श्रमिकों को अलग सहायता दी जाती है लेकिन कई जिलों में श्रमिकों को मिलने वाली इस योजना के लाभ को सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर राशि ली है.

यह भी पढ़ें. Ground Report: नागौर में आसमान से बरसी आग से खेतों में खड़ी फसल खराब, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

श्रम विभाग के सचिव के नीरज ने जानकारी दी कि इन कर्मचारियों से अब विभाग सिर्फ रिकवरी ही नहीं कर रहा बल्कि इनके खिलाफ विभागीय करवाई भी शुरू कर दी गई है. इसके लिए सभी जिलों के जिला कलेक्टर को पत्र लिखा जा चुका है. जिला कलेक्टर को लिखे पत्र में उन भ्रष्ट कर्मचारियों की सूची के साथ उनके खिलाफ तत्काल प्रभाव से करवाई करने के लिए कहा गया है.

श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ भांडाफोड़

प्रदेश के कमोबेस सभी जिलों में अध्यापक, प्रधानाध्यापक, ग्राम सेवक, पटवारी सहित कई विभाग के कर्मचारी जो ग्रामीण क्षेत्र में ड्यटी करते हैं. उन्होंने फर्जी निर्माण श्रमिक के दस्तावेज बना आठ योजनाओं में मिलनेवाले आर्थिक सहायता का लाभ लिया है. श्रम विभाग की जांच रिपोर्ट में इन फर्जी दस्तावेज के लाभ लेने वाले कर्मचारियों का खुलासा हुआ है. विभाग ने अब कलेक्टर के जरिये इन सभी कमर्चारियों को नोटिस थमा दिया है. ऐसे में कार्रवाई के बाद गरीबों के हक पर डाका डालने वाले अब डरेंगे.

Last Updated : Sep 25, 2020, 3:19 PM IST
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