जयपुर. राजधानी में पिछले 17 दिनों से जिला कार्यालय पर मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कार्यरत कर्मचारियों की ओर से धरना दिया जा रहा था, लेकिन मंगलवार को इस धरने ने तूल पकड़ लिया, जिसके बाद इस योजना में कार्यरत 2 कर्मचारी सिंह द्वार के पास एक पानी की टंकी पर चढ़ गए. इसके बाद पुलिस के आला अधिकारी और सिविल डिफेंस के अधिकारियों की जान भी हलक में आ गई.
हालांकि, अभी तक वह दोनों कर्मचारी पानी की टंकी से नीचे भी नहीं उतरे हैं. ऐसे में पानी की टंकी पर युवक के चढ़ने के बाद पुलिस और सिविल डिफेंस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और उनसे समझाइश की, लेकिन युवक नीचे आने का ही नाम नहीं ले रहे हैं.
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मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के प्रदेश संयोजक नरेंद्र कुमार वैष्णव ने बताया कि सरकार की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में कार्यरत 4 हजार लोग हैं. हाल ही में 29 फरवरी को हमें हटाने के आदेश भी दिए गए थे, लेकिन जब साल 2020 और 21 की स्वीकृति निकाली गई, तो उसमें एक नोडल अधिकारी रफीक मोहम्मद की ओर से बिना कुछ नियम के ही हमारी 700 पोस्ट कम कर दी गई, जिसको लेकर पिछले 17 दिनों से जिला कार्यालय पर धरना दिया जा रहा है.
साथ ही नरेंद्र वैष्णव ने कहा कि हम सरकार से पिछले कई समय से आय बढ़ाने की मांग भी कर रहे हैं. सरकार की ओर से हर साल 10 प्रतिशत इंक्रीमेंट का वादा भी किया गया था, लेकिन सरकार की ओर से वह भी पूरा नहीं किया जा रहा हैं. वैष्णव ने कहा कि सरकार की ओर से मेडिकल सहायता का गठन करने की बात भी कही गई थी, लेकिन सरकार ने वह भी गठन नहीं की, उसको भी 8 दिन से ज्यादा समय बीत चुके हैं. सरकार की ओर से केवल इस नाम पर खानापूर्ति की जा रही है.
नरेंद्र वैष्णव ने कहा कि हमने सरकार को 4 दिन पहले ही टंकी पर चढ़ने की चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने हमसे इस मसले पर कुछ भी वार्ता नहीं की. साथ ही जब हम लोगों की ओर से 22 गोदाम पर धरना दिया जा रहा था, तब भी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा हम से नहीं मिले थे. ऐसे में अब सरकार की ओर से हमारी नौकरी छीन ली गई है, जिससे हम सब लोग बेरोजगार हो गए हैं. नरेंद्र वैष्णव ने कहा कि हम सरकार से मांग करते है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निशुल्क दवा योजना के कंप्यूटर ऑपरेटर्स के लिए एक कमेटी बनाकर हमें आश्वासन दें. यदि सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो हमारे कार्यरत कर्मचारी नीचे नहीं उतरेंगे.