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जयपुर में 2 नगर निगम तो बना दी, लेकिन भार पड़ेगा जयपुरवासियों की जेब पर - Jaipur Municipal Corporation News

राजधानी जयपुर में 2 नगर निगम बनने के बाद 176 करोड़ रुपए का सालाना बजट बढ़ गया है. निगम पर पड़ रहे इस अतिरिक्त भार को अब जयपुरवासियों की जेब से वसूलने की तैयारी की जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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जयपुर नगर निगम
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Published : Jul 4, 2020, 10:04 PM IST

जयपुर. राजधानी में 2 नगर निगम बनने के साथ 176 करोड़ रुपए का अतिरिक्त सालाना बजट बढ़ गया है. इसमें अकेले वेतन भत्ते की मद में ही 164 करोड़ की वृद्धि होगी. नगर निगम पर पड़ रहे इस अतिरिक्त भार को अब जयपुर वासियों की जेब से वसूलने की तैयारी की जा रही है.

जयपुर नगर निगम इनसाइड स्टोरी

राज्य सरकार की ओर से नगर निगम के 466 पदों को खत्म करते हुए 210 नए पद सृजित किए गए हैं. दोनों नगर निगमों में कुल 14 हजार 472 पद होंगे. इनमें ग्रेटर नगर निगम में 8 हजार 599 जबकि हेरिटेज नगर निगम में 5 हजार 873 पद होंगे. बताया जा रहा है कि नए बोर्ड का गठन होने से पहले दोनों नगर निगमों को व्यवस्थित कर दिया जाएगा.

पढ़ें- प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का नगर निगमों में किया गया पदस्थापन

2 नगर निगम होने से नहीं पड़ रहा अतिरिक्त वित्तीय भारः विजय पाल सिंह

फिलहाल, अधिकारियों-कर्मचारियों को लगाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि नगरीय निकायों के आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद अब इन पर पड़ रहे करोड़ों के अतिरिक्त भार को किस तरह वहन किया जाएगा. इस पर ग्रेटर नगर निगम के आयुक्त पद से मुक्त होते हुए विजय पाल सिंह ने कहा, कि दो नगर निगम होने से अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ रहा है. निगम में कई पद ऐसे थे जिनका कोई कार्य नहीं था. उन्हें खत्म करते हुए उनके स्थान पर जरूरी पदों को सृजित किया गया है. उन्होंने कहा कि जोन की संख्या बढ़ाने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने पर भी बिल्डिंग और मेंटेनेंस पर तो अतिरिक्त खर्च होता ही.

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जयपुर नगर निगम

शहर अब महानगर बन रहा हैः उज्जवल सिंह राठौड़

वहीं, डीएलबी निदेशक पद से मुक्त होते हुए उज्ज्वल सिंह राठौड़ ने कहा, शहर अब महानगर बन रहा है उसको देखते हुए दो नगर निगम बनाने का फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि जहां तक व्यय का विषय है, वित्त विभाग ने पहले से मौजूद कार्मिकों को दो भागों में बांटा है जबकि कुछ पद हटाकर नए सृजन किए गए हैं. राठौड़ ने कहा कि गाड़ी, भवन और बिजली आदि पर व्यय जरूर होगा और उतना तो दो निगम होने के बाद रेवेन्यू भी कलेक्ट कर ही लिया जाएगा.

ये है आंकड़ाः

निगम और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी भले ही मानने को तैयार नहीं है कि निगम पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019-20 में जो वेतन भत्ते 406 करोड़ के थे वो इस बार 570 करोड़ के होंगे. इसमें हेरिटेज नगर निगम के 228 करोड़ और ग्रेटर नगर निगम के 342 करोड़ रुपए का आंकलन किया गया है. बता दें कि कुल वार्षिक बजट 2046 करोड़ का होगा. इसमें हेरिटेज के 791 और ग्रेटर के 1255 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है. वहीं, ये बजट पिछले वर्ष 1870 करोड़ का था.

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सफाई कर्मचारी

सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने के लिए भेजे गए 12 प्रस्ताव

वहीं, राजस्व उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने कहा कि दो नगर निगम संचालित होने से रेवेन्यू पर विशेष ध्यान देना होगा. इसी के मद्देनजर सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने के लिए करीब 12 प्रस्ताव भेज रखे हैं. जिसमें कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में 100 वर्ग गज से ऊपर वाली व्यक्तिगत प्रॉपर्टी पर ही टैक्स लगता है, ऐसे सभी कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजा गया है.

पढ़ें- रिटायर हो जाओ और जिंदगी भर की कमाई भूल जाओ...कुछ ऐसा है रोडवेज कर्मचारियों का हाल

भारद्वाज ने बताया कि इसके अलावा अभी फ्लैट 15 हजार स्क्वायर फीट बिल्ट अप एरिया से ऊपर वालों पर ही टैक्स लगता है, लेकिन अब 900 स्क्वायर फीट से ऊपर के फ्लैट को यूडी टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजा है. साथ ही यूडी टैक्स को वन टाइम टैक्स की बजाए वार्षिक टैक्स करने का प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि हर साल नगरीय निकायों को कुछ आमदनी हो सके.

बजट बढ़ने का प्रमुख कारण

हालांकि, बजट बढ़ने का एक प्रमुख कारण वो 5 हजार सफाई कर्मचारी भी हैं, जिन्हें अब तक 12400 रुपए प्रति महीना वेतन मिला करता था और उनका प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद अब उन्हें 30 हजार रुपए प्रति महीना वेतन मिलेगा. ऐसे में 9.50 करोड़ प्रति महीना का भार सफाई कर्मचारियों के वेतन भत्ता पर ही बढ़ रहा है. इसके अलावा दो नगर निगम बनने से गाड़ी, भवन, बिजली और पानी का भी अतिरिक्त खर्चा जुड़ने वाला है, जिसके लिए यूडी टैक्स का दायरा बढ़ाने पर मंथन चल रहा है.

जयपुर. राजधानी में 2 नगर निगम बनने के साथ 176 करोड़ रुपए का अतिरिक्त सालाना बजट बढ़ गया है. इसमें अकेले वेतन भत्ते की मद में ही 164 करोड़ की वृद्धि होगी. नगर निगम पर पड़ रहे इस अतिरिक्त भार को अब जयपुर वासियों की जेब से वसूलने की तैयारी की जा रही है.

जयपुर नगर निगम इनसाइड स्टोरी

राज्य सरकार की ओर से नगर निगम के 466 पदों को खत्म करते हुए 210 नए पद सृजित किए गए हैं. दोनों नगर निगमों में कुल 14 हजार 472 पद होंगे. इनमें ग्रेटर नगर निगम में 8 हजार 599 जबकि हेरिटेज नगर निगम में 5 हजार 873 पद होंगे. बताया जा रहा है कि नए बोर्ड का गठन होने से पहले दोनों नगर निगमों को व्यवस्थित कर दिया जाएगा.

पढ़ें- प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का नगर निगमों में किया गया पदस्थापन

2 नगर निगम होने से नहीं पड़ रहा अतिरिक्त वित्तीय भारः विजय पाल सिंह

फिलहाल, अधिकारियों-कर्मचारियों को लगाने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि नगरीय निकायों के आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद अब इन पर पड़ रहे करोड़ों के अतिरिक्त भार को किस तरह वहन किया जाएगा. इस पर ग्रेटर नगर निगम के आयुक्त पद से मुक्त होते हुए विजय पाल सिंह ने कहा, कि दो नगर निगम होने से अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ रहा है. निगम में कई पद ऐसे थे जिनका कोई कार्य नहीं था. उन्हें खत्म करते हुए उनके स्थान पर जरूरी पदों को सृजित किया गया है. उन्होंने कहा कि जोन की संख्या बढ़ाने और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने पर भी बिल्डिंग और मेंटेनेंस पर तो अतिरिक्त खर्च होता ही.

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जयपुर नगर निगम

शहर अब महानगर बन रहा हैः उज्जवल सिंह राठौड़

वहीं, डीएलबी निदेशक पद से मुक्त होते हुए उज्ज्वल सिंह राठौड़ ने कहा, शहर अब महानगर बन रहा है उसको देखते हुए दो नगर निगम बनाने का फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि जहां तक व्यय का विषय है, वित्त विभाग ने पहले से मौजूद कार्मिकों को दो भागों में बांटा है जबकि कुछ पद हटाकर नए सृजन किए गए हैं. राठौड़ ने कहा कि गाड़ी, भवन और बिजली आदि पर व्यय जरूर होगा और उतना तो दो निगम होने के बाद रेवेन्यू भी कलेक्ट कर ही लिया जाएगा.

ये है आंकड़ाः

निगम और स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारी भले ही मानने को तैयार नहीं है कि निगम पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2019-20 में जो वेतन भत्ते 406 करोड़ के थे वो इस बार 570 करोड़ के होंगे. इसमें हेरिटेज नगर निगम के 228 करोड़ और ग्रेटर नगर निगम के 342 करोड़ रुपए का आंकलन किया गया है. बता दें कि कुल वार्षिक बजट 2046 करोड़ का होगा. इसमें हेरिटेज के 791 और ग्रेटर के 1255 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है. वहीं, ये बजट पिछले वर्ष 1870 करोड़ का था.

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सफाई कर्मचारी

सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने के लिए भेजे गए 12 प्रस्ताव

वहीं, राजस्व उपायुक्त नवीन भारद्वाज ने कहा कि दो नगर निगम संचालित होने से रेवेन्यू पर विशेष ध्यान देना होगा. इसी के मद्देनजर सरकार को रेवेन्यू बढ़ाने के लिए करीब 12 प्रस्ताव भेज रखे हैं. जिसमें कॉमर्शियल प्रॉपर्टी में 100 वर्ग गज से ऊपर वाली व्यक्तिगत प्रॉपर्टी पर ही टैक्स लगता है, ऐसे सभी कॉमर्शियल प्रॉपर्टी को टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजा गया है.

पढ़ें- रिटायर हो जाओ और जिंदगी भर की कमाई भूल जाओ...कुछ ऐसा है रोडवेज कर्मचारियों का हाल

भारद्वाज ने बताया कि इसके अलावा अभी फ्लैट 15 हजार स्क्वायर फीट बिल्ट अप एरिया से ऊपर वालों पर ही टैक्स लगता है, लेकिन अब 900 स्क्वायर फीट से ऊपर के फ्लैट को यूडी टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव भेजा है. साथ ही यूडी टैक्स को वन टाइम टैक्स की बजाए वार्षिक टैक्स करने का प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि हर साल नगरीय निकायों को कुछ आमदनी हो सके.

बजट बढ़ने का प्रमुख कारण

हालांकि, बजट बढ़ने का एक प्रमुख कारण वो 5 हजार सफाई कर्मचारी भी हैं, जिन्हें अब तक 12400 रुपए प्रति महीना वेतन मिला करता था और उनका प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद अब उन्हें 30 हजार रुपए प्रति महीना वेतन मिलेगा. ऐसे में 9.50 करोड़ प्रति महीना का भार सफाई कर्मचारियों के वेतन भत्ता पर ही बढ़ रहा है. इसके अलावा दो नगर निगम बनने से गाड़ी, भवन, बिजली और पानी का भी अतिरिक्त खर्चा जुड़ने वाला है, जिसके लिए यूडी टैक्स का दायरा बढ़ाने पर मंथन चल रहा है.

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