जयपुर. साहित्य प्रेमियों का इंतजार शनिवार को खत्म हुआ. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के पांच दिवसीय वर्चुअल (Jaipur Literature Festival begins on virtual platform) प्रोग्राम की शुरुआत हुई. फेस्टिवल के पहले दिन बीसी मंजूनाथ, दर्शन दोशी, नाथूलाल सोलंकी, प्रमथ किरण और प्रवीण डी. राव ने वर्चुअल प्लेटफार्म पर अपने विचार व्यक्त किए. साथ ही प्रोड्यूसर संजॉय के. रॉय, फेस्टिवल डायरेक्टर्स नमिता गोखले और विलियम डेलरिम्पल ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (15th edition of Jaipur Literature Festival) के पहले दिन साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलरजाक गुरनाह और अलेक्सांद्र प्रिंगल ने वर्चुअल कार्यक्रम से जुड़े साहित्य प्रेमियों को संबोधित किया. उन्होंने भाषा के साथ अपने रिश्ते को बताते हुए कहा कि वो कई अलग-अलग भाषाएं सुनकर बड़े हुए. इंग्लिश सीखने-पढ़ने की भाषा थी, बोलने की नहीं. इससे पहले संजॉय के. रॉय ने जेएलएफ का आगाज करते हुए कहा कि हमें अपने अतीत को देखते हुए, अपने बच्चों और अपनी धरती के लिए एक बेहतर भविष्य बुनने का प्रयास करना चाहिए. इसका सबसे श्रेष्ठ माध्यम साहित्य और लेखन ही है. उन्होंने बताया कि उनकी डिजिटल सीरिज जेएलएफ (जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल) ब्रेव न्यू वर्ल्ड, जेएलएफ वर्ड्स आर ब्रिजेस और जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2021 (डिजिटल) के जरिए दुनियाभर के 27.5 मिलियन लोगों से जुड़े हैं. यही वजह है कि आज बड़ी सहजता से जयपुर में आए बिना भी इस फेस्टिवल का हिस्सा बन सकते हैं.
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वर्चुअल कार्यक्रम से जुड़े लोगों का स्वागत करते हुए लिटरेचर फेस्टिवल की को-डायरेक्टर नमिता गोखले ने कहा कि युद्ध के बादल हमारी पृथ्वी पर गहरा रहे हैं, वो भी ऐसे समय में जब कोरोना महामारी से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जब सामने विनाश का मंजर खड़ा है. इस बीच साहित्य, संगीत, काव्य और अपनी कहानी कहने का जज्बा ही प्रेरणा बनता है. फेस्टिवल का ये संस्करण दिल, दिमाग और बुद्धि के नाम रहेगा. ये वर्तमान समस्याओं का प्रतिनिधित्व करते हुए, साहित्य के माध्यम से गंभीर सवालों के जवाब तलाशने का प्रयत्न है. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से जुड़ने वालों के लिए यह मेला प्रेरणा बनेगा. खासकर उन साहित्य प्रेमियों के लिए, जो अपने प्रिय लेखकों से मिलने के लिए बेचैन थे.
वहीं एक अन्य सत्र में अमेरिकी लेखक पैट्रिक रेडेन कीफ ने टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के रॉय के साथ अपनी किताब, एम्पायर ऑफ पेन: द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ द सेक्लर डायनेस्टी पर चर्चा की. वहीं पुरस्कृत ब्रिटिश तुर्की उपन्यासकार और कार्यकर्ता एलिफ शफ़क ने अपने नए उपन्यास द आइलैंड ऑफ मिसिंग ट्री पर बात की. यह उपन्यास युद्ध की विभीषिका, विस्थापन और मरती हुई उम्मीद पर आधारित है.