जयपुर. प्रदेश में अब 1000 इंदिरा रसोई संचालित (1000 Indira Rasoi to be operated in Rajasthan) होंगी. मुख्यमंत्री की बजट घोषणा के बाद विभिन्न नगरीय निकायों में संचालित 358 इंदिरा रसोई की संख्या को बढ़ाकर अब 1000 किया जा रहा है. यानी 642 नई इंदिरा रसोई संचालित होंगी. इसके लिए स्वायत्त शासन विभाग ने 15 अगस्त तक का लक्ष्य निर्धारित किया है.
प्रदेश में 'कोई भूखा ना सोए' के संकल्प के साथ राज्य सरकार ने इंदिरा रसोई योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में 358 इंदिरा रसोई का संचालन शुरू किया गया. इसके अलावा कई एक्सटेंशन पॉइंट भी बनाए गए. जहां जरूरतमंद 8 रुपए देकर पेट भर खाना खा सकता है. अब तक इस योजना के तहत 5.5 करोड़ भोजन की थाली परोसी जा चुकी है. इनमें से करीब डेढ़ करोड़ इस योजना का नि:शुल्क लाभ ले चुके हैं.
12 करोड़ थालियों के लिए बढ़ाई गई रसोईयां: वहीं, अब 12 करोड़ थालियां हर साल परोसने के लिए इंदिरा रसोई की संख्या एक हजार करने की तैयारी कर ली गई है. डीएलबी डायरेक्टर हृदेश कुमार ने बताया कि अभी प्रदेश में 358 इंदिरा रसोईया संचालित हैं. इनकी सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने बजट में 642 इंदिरा रसोई और शुरू करने का फैसला लिया है. ऐसे में प्रदेश में तकरीबन 1000 इंदिरा रसोई संचालित होंगी. इस पर सालाना 250 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.
कोई भी व्यक्ति भोजन प्रायोजित कर सकते हैं: नोडल अधिकारी नरेश गोयल ने बताया कि नई रसोइयों के लिए जगह चिह्नित कर ली गई है. इच्छुक संस्थाओं से जिला कलेक्टर की ओर से आवेदन मांगे जाएंगे. लक्ष्य है कि 15 अगस्त से सभी रसोइयां शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि जन सहभागिता इंदिरा रसोई योजना का एक बड़ा हिस्सा है. ऐसा नहीं है कि सरकार के पास पैसे की कमी है. लेकिन सरकार चाहती है कि लोग उनके साथ जुड़े. कोई भी व्यक्ति यहां भोजन प्रायोजित कर सकते हैं. इसे लेकर मुख्यमंत्री की ओर से प्रशंसा पत्र भी दिया जाएगा. वहीं निदेशक की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाता है. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़े. जिस दिन भोजन प्रायोजित होता है. उस दिन आम लोगों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है.
बता दें कि इंदिरा रसोई योजना के तहत एक थाली की लागत 25 रुपए है. जिसमें से राज्य सरकार 17 रुपए वहन कर रही है. हालांकि लाभार्थी को अभी भी अपनी जेब से 8 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. वहीं डिपार्टमेंट लगातार मॉनिटरिंग में भी जुटा हुआ है. अधिकारी स्तर पर फील्ड विजिट कर रसोइयों पर भोजन को चखा जाता है. वहीं हर रसोई से रिपोर्ट ली जाती है, जिसमें भोजन की थाली को फोटो क्लिक कर सिस्टम पर अपलोड किया जाता है. यही नहीं लाभार्थी को मैसेज भी जाता है. जिसमें वो अपना रिव्यू भी दे सकता है। यदि खाने को लेकर कहीं से शिकायत मिलती है, तो संबंधित रसोई संचालक पर कार्रवाई का भी प्रावधान है.