जयपुर. राजस्थान में लंपी वायरस (Lumpy virus in Rajasthan) के प्रकोप का असर दो महीने बाद भी कम नहीं हुआ है. दूसरी ओर राजस्थान के पशुपालक एक ओर चिंता से घिर गए हैं तो वहीं मंगलवार को लगातार दूसरे दिन प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा पशु चिकित्सा कर्मी सामूहिक अवकाश (veterinary workers on mass leave) पर हैं. इससे पहले सोमवार शाम को पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव पीसी किशन अवकाश पर चले गए थे. उन्होंने चिकित्सा कर्मियों के नाम से एक अपील जारी की थी, जिसमें उन्होंने मूक पशुओं के लिए फिर से काम पर लौटने का आग्रह किया था. गौरतलब है कि पशु चिकित्सा कर्मियों के सामूहिक अवकाश के कारण लम्पी स्किन बीमारी के नियंत्रण अभियान को तगड़ा झटका लगा है.
अब भगवान भरोसे है प्रदेश का गोवंश: सामूहिक अवकाश पर गए पशु चिकित्सा कर्मियों का आरोप है कि राज्य में फिलहाल पशु चिकित्सा अधिकारियों के 70 प्रतिशत पद खाली हैं. ऐसे में सामूहिक अवकाश के कारण से 6500 पशु चिकित्सा संस्थाओं पर ताले लटके हुए हैं. पुशपालकों का आरोप है कि सरकार उनके साथ पूर्व में किया गया लिखित समझौता भी लागू नहीं कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि वित्त विभाग की हठधर्मिता से गतिरोध शुरू हुआ है, जिसका खामियाजा प्रदेश के मवेशी उठा रहे हैं. जबकि राज्य के दस हजार पशुचिकित्साकर्मी सरकार के इस रुख से नाराज होकर सामूहिक अवकाश पर हैं.
गौरतलब है कि इससे पहले पशु चिकित्सा कर्मियों ने 20 अगस्त से सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया था. जिसके बाद पशुपालन मंत्री और विभाग के शासन सचिव ने इनसे मांग पत्र पर काम करने के लिए 1 हफ्ते का समय मांगा था. इस बातचीत के दौरान आंदोलनरत कर्मचारियों की मांगों के निस्तारण का भी भरोसा दिया गया था. जिसमें उन्हें 11 सूत्रीय मांग पत्र पर आश्वासन दिया गया था. बाद में सभी 11 मांगों पर तीन महीने में प्रशासनिक आदेश जारी करने पर लिखित सहमति बनी थी.
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जाहिर है कि पूरे प्रदेश में लम्पी स्किन वायरस जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में गोवंश है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक 7 लाख से अधिक गोवंश लम्पी स्किन रोग से संक्रमित हैं, वहीं 35 हजार से ज्यादा बेजुबान पशुओं की अब तक मौत हो चुकी है. पशु चिकित्सा केंद्रों पर तालाबंदी के बाद लम्पी की रोकथाम अभियान पर खासा असर देखा जा रहा है. पशु चिकित्साकर्मियों की गांवों के स्तर पर रोग को नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
पशुपालन विभाग कर रहा है गुमराह: अजय सैनी ने कहा 'मुख्यमंत्री लगातार जनप्रतिनिधियों और पशुपालकों के साथ वीसी कर लम्पी स्किन रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए प्रयासरत हैं. परंतु विभाग लगातार संघ और सरकार को गुमराह कर रहा है. राजस्थान पशु चिकित्सा कर्मचारी संघ को वर्तमान संवेदनशील समय में मजबूरन सामूहिक अवकाश जैसा कदम उठाना पड़ा. उन्होंने सीएम गहलोत से स्वयं हस्तक्षेप कर संघ की जायज मांगों का जल्द निराकरण कर इस गतिरोध को समाप्त कराएं. ताकि दोगुनी ऊर्जा के साथ मूक पशुओं की सेवा कर सके.'
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लम्पी डिजीज से 36826 गायों की मौत: प्रदेश में लम्पी डिजीज ने 36826 गायों की जिंदगी ले ली है, तो दूसरी ओर आज से इस बीमारी से जूझ रहे प्रशासन के सामने पशु चिकित्सक संघ के कार्य बहिष्कार जैसी बड़ी चुनौती भी आ खड़ी हुई है. पशु चिकित्सक संघ की ओर से दावा किया जा रहा है कि प्रदेश के 6500 से ज्यादा चिकित्सक मंगलवार को कार्य का बहिष्कार करेंगे. अब क्योंकि प्रदेश में लम्पी डिजीज का प्रभाव भी काफी तेजी से फैल रहा है. ऐसे में चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार ने पशुपालक विभाग को भी चिंता में डाल दिया है. यही कारण है कि अब प्रशासन पशु चिकित्सकों से कार्य बहिष्कार वापस लेने की अपील करता दिखाई दे रहा है.
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अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए: इस मामले में पशुपालन विभाग के शासन सचिव पीसी किशन ने कहा है कि प्रदेश के गोवंशीय पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज के प्रकोप के इस आपात समय में हमें अपने व्यक्तिगत दृष्टिकोण से ऊपर उठकर मूक पशुओं की सेवा के लिए आगे आकर अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए. शासन सचिव ने कहा कि प्रदेश के गोवंशीय पशुओं में लम्पी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए हम सभी एकजुटता से कार्य कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि इस संकट की घड़ी में सबको साथ लेकर चलें. गोवंश में फैली इस बीमारी से निपटने के लिए हमें सभी भेदभाव और मतभेद से ऊपर उठकर काम करना होगा. पीसी किशन ने कहा कि तकनीकी कर्मचारियों की जायज मांगों के प्रति राज्य सरकार की ओर से सकारात्मक रूख अपनाते हुए कार्यवाही की जा रही है. उन्होंने कहा कि मांगों के सम्बन्ध में निर्धारित प्रक्रिया पूर्ण कर क्रियान्विति की जानी होती है जिसमें समय लगना संभावित है. किशन ने सभी पशु चिकित्सा तकनीकी कर्मचारी संघों से अपील की है कि आज प्रदेश का गोवंश बीमारी के इस कठिन दौर से गुजर रहा है. ऐसे में हमारा नैतिक दायित्व है कि व्यक्तिगत दृष्टिकोण से ऊपर उठकर इन मूक पशुओं की सेवा के लिए आगे आए और अपने दायित्वों का निर्वहन करें.