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परिवहन विभाग में 610 करोड़ की 'ग्रीन' टैक्स हरियाली... 5 साल में नहीं लगाया एक भी पौधा - Jaipur News

राजस्थान परिवहन विभाग सभी तरह के वाहन मालिकों से ग्रीन टैक्स के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये वसूलता है, लेकिन हरियाली के नाम पर उसकी तरफ से कुछ नहीं किया जाता है. बता दें, पिछले 5 साल में विभाग ने ग्रीन टैक्स के नाम पर 610 करोड़ रुपए से ज्यादा रुपए जमा तो कर लिए हैं, लेकिन, उनका उपयोग कहीं नहीं किया गया है.

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Published : Aug 11, 2019, 11:20 PM IST

जयपुर. जब सड़क पर वाहन चलेंगे तो उसके धुंए से वायु प्रदूषण होगा. इस प्रदूषण को कम करने की एवज में परिवहन विभाग वाहन के रजिस्ट्रेशन करने के समय ही ग्रीन टैक्स के रूप में वाहन मालिक से टैक्स वसूल लेता है. राजस्थान में परिवहन विभाग पिछले कई सालों से ग्रीन टैक्स के रूप में रुपए तो वसूलता है, लेकिन उन रुपयों का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता.

परिवहन विभाग को ग्रीन टैक्स से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1 अरब 73 करोड़ 52 लाख का राजस्व

वहीं वाहन मालिकों से वसूले जाने वाले करोड़ों रुपए के इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने बोलने को तैयार नहीं है. संयुक्त शासन सचिव महेंद्र कुमार खींची की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 साल में 610 करोड़ से ज्यादा रुपये ग्रीन टैक्स के रूप में जमा हुए हैं. वहीं यात्रा सलाहकारों के मुताबिक डीजल से चलने वाले अलग-अलग श्रेणी के वाहनों के लिए अलग-अलग टैक्स वसूला जाता है.

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वाहन श्रेणी ग्रीन टेक्स

  • 5 सीट से अधिक छमता वाले वाहन (2000cc ) से 7500 रुपये
  • 5 सीट तक का वाहन (2000cc से अधिक) से 5000 रुपये
  • 1500 से 2000cc तक के वाहन से 3500 रुपये
  • 1500 cc से कम के वाहन से 2500 रुपये

वहीं पेट्रोल से चलने वाले सभी प्रकार के वाहन मालिकों के प्रति वाहन 1500 रुपये ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले जाते हैं. यातायात सलाहकार राजेंद्र पटेल का कहना है कि वाहन के रजिस्ट्रेशन के वक्त ग्रीन टैक्स के नाम से रसीद भी काटी जाती है लेकिन रुपयों का उपयोग कैसे किया जाता है,यह कोई नहीं जानता.

यह भी पढ़ें : वाहन चोर गिरोह का सरगना गिरफ्तार, एक नाबालिग निरुद्ध

वर्ष 2012 में जारी अधिसूचना के मुताबिक ग्रीन टैक्स के रूप में जमा होने वाली राशि में से 75 फीसदी राशि का उपयोग स्वास्थ्य शासन विभाग करेगा और शेष 25 फीसदी राशि का उपयोग परिवहन विभाग को करना है. वाहनों के चलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए विभाग को पेड़ पौधे लगाकर प्रदूषण को कम करने के प्रयास करने थे,लेकिन विभाग आंखें मूंदे बैठा है.

वित्तिय वर्ष ग्रीन टैक्स की जामा राशि

वर्ष राशि

  • 2014-15 55 करोड़ रुपये
  • 2015-16 76 करोड़ 77 लाख
  • 2016-17 1 अरब 7 करोड़ 53 लाख
  • 2017-18 1 अरब 97 करोड़ 16 लाख
  • 2018-19 1 अरब 73 करोड़ 52 लाख

यह भी पढ़ें : अजमेरवासी अब व्हाट्सएप पर कर सकेंगे अपराधों की शिकायत

ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि विभाग जब ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले गए करोड़ों रुपए का उपयोग नहीं करता है तो टैक्स वसूलना बंद क्यों नहीं कर देता. जानकारी के अनुसार राजस्थान के आसपास के राज्यों में ग्रीन टैक्स के नाम पर वाहन मालिकों से टैक्स नहीं वसूला जाता है. यदि विभाग राजस्थान में टैक्स वसूलना जारी रखता है तो विभाग को इस पैसे को वृक्षारोपण में खर्च करना चाहिए. जिससे प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा और आमजन को प्रदूषण से राहत भी मिलेगी.

जयपुर. जब सड़क पर वाहन चलेंगे तो उसके धुंए से वायु प्रदूषण होगा. इस प्रदूषण को कम करने की एवज में परिवहन विभाग वाहन के रजिस्ट्रेशन करने के समय ही ग्रीन टैक्स के रूप में वाहन मालिक से टैक्स वसूल लेता है. राजस्थान में परिवहन विभाग पिछले कई सालों से ग्रीन टैक्स के रूप में रुपए तो वसूलता है, लेकिन उन रुपयों का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता.

परिवहन विभाग को ग्रीन टैक्स से वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1 अरब 73 करोड़ 52 लाख का राजस्व

वहीं वाहन मालिकों से वसूले जाने वाले करोड़ों रुपए के इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने बोलने को तैयार नहीं है. संयुक्त शासन सचिव महेंद्र कुमार खींची की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 साल में 610 करोड़ से ज्यादा रुपये ग्रीन टैक्स के रूप में जमा हुए हैं. वहीं यात्रा सलाहकारों के मुताबिक डीजल से चलने वाले अलग-अलग श्रेणी के वाहनों के लिए अलग-अलग टैक्स वसूला जाता है.

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वाहन श्रेणी ग्रीन टेक्स

  • 5 सीट से अधिक छमता वाले वाहन (2000cc ) से 7500 रुपये
  • 5 सीट तक का वाहन (2000cc से अधिक) से 5000 रुपये
  • 1500 से 2000cc तक के वाहन से 3500 रुपये
  • 1500 cc से कम के वाहन से 2500 रुपये

वहीं पेट्रोल से चलने वाले सभी प्रकार के वाहन मालिकों के प्रति वाहन 1500 रुपये ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले जाते हैं. यातायात सलाहकार राजेंद्र पटेल का कहना है कि वाहन के रजिस्ट्रेशन के वक्त ग्रीन टैक्स के नाम से रसीद भी काटी जाती है लेकिन रुपयों का उपयोग कैसे किया जाता है,यह कोई नहीं जानता.

यह भी पढ़ें : वाहन चोर गिरोह का सरगना गिरफ्तार, एक नाबालिग निरुद्ध

वर्ष 2012 में जारी अधिसूचना के मुताबिक ग्रीन टैक्स के रूप में जमा होने वाली राशि में से 75 फीसदी राशि का उपयोग स्वास्थ्य शासन विभाग करेगा और शेष 25 फीसदी राशि का उपयोग परिवहन विभाग को करना है. वाहनों के चलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए विभाग को पेड़ पौधे लगाकर प्रदूषण को कम करने के प्रयास करने थे,लेकिन विभाग आंखें मूंदे बैठा है.

वित्तिय वर्ष ग्रीन टैक्स की जामा राशि

वर्ष राशि

  • 2014-15 55 करोड़ रुपये
  • 2015-16 76 करोड़ 77 लाख
  • 2016-17 1 अरब 7 करोड़ 53 लाख
  • 2017-18 1 अरब 97 करोड़ 16 लाख
  • 2018-19 1 अरब 73 करोड़ 52 लाख

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ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि विभाग जब ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले गए करोड़ों रुपए का उपयोग नहीं करता है तो टैक्स वसूलना बंद क्यों नहीं कर देता. जानकारी के अनुसार राजस्थान के आसपास के राज्यों में ग्रीन टैक्स के नाम पर वाहन मालिकों से टैक्स नहीं वसूला जाता है. यदि विभाग राजस्थान में टैक्स वसूलना जारी रखता है तो विभाग को इस पैसे को वृक्षारोपण में खर्च करना चाहिए. जिससे प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा और आमजन को प्रदूषण से राहत भी मिलेगी.

Intro:जयपुर एंकर-- राजस्थान परिवहन विभाग सभी तरह के वाहन मालिकों से ग्रीन टैक्स के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए वसूलता है,,,,, लेकिन ग्रीनरी यानी हरियाली के नाम पर कुछ नहीं किया जाता,,,,, पिछले 5 सालों में विभाग ने ग्रीन टैक्स के नाम पर 610 करोड रुपए से ज्यादा रुपए जमा तो कर लिया लेकिन उनका उपयोग नहीं किया गया है,,,,,,,


Body:जयपुर--

वीओ 01-- जब सड़क पर वाहन चलेंगे तो उसके धुंए से वायु प्रदूषण होगा ,,,,,,,इस प्रदूषण को कम करने की एवज में परिवहन विभाग वाहन के रजिस्ट्रेशन करने के समय ही ग्रीन टैक्स के रूप में वाहन मालिक से टैक्स वसूल लेता है,,,,,, राजस्थान में परिवहन विभाग पिछले कई सालों से ग्रीन टैक्स के रूप में रुपए तो वसूलता है,,,, लेकिन उन रुपयों का कहीं कोई इस्तेमाल नहीं किया जाता,,,,,, मोहन मालिकों से वसूले जाने वाले करोड़ों रुपए के इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का कोई भी अधिकारी मीडिया के सामने बोलने को तैयार नहीं है,,,,,,, संयुक्त शासन सचिव महेंद्र कुमार खींची द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 साल में 610 करोड से ज्यादा रुपए ग्रीन टैक्स के रूप में जमा हुए हैं,,,,,,, यात्रा सलाहकारों के मुताबिक डीजल से चलने वाले अलग-अलग श्रेणी के वाहनों के लिए अलग-अलग टैक्स वसूला जाता है,,,,,,

वाहन श्रेणी ग्रीन टेक्स

5 सीट से अधिक छमता वाले वाहन (2000cc ) 7500

5 सीट तक का वाहन (2000cc से अधिक) 5000

1500से 2000cc तक के वाहन 3500

1500 cc से कम के वाहन 2500


वही पेट्रोल से चलने वाली सभी प्रकार के वाहन मालिकों के प्रति वाहन 15 सो रुपए ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले जाते हैं ,,,,,,यातायात सलाहकार राजेंद्र पटेल का कहना है कि वाहन के रजिस्ट्रेशन के वक्त ग्रीन टैक्स के नाम से रसीद भी काटी जाती है,,,,,,, लेकिन रुपयों का उपयोग कैसे किया जाता है,,,,,यह कोई नहीं जानता ,,,,,,

बाइट -- राजेंद्र पटेल ( यातायात सलाहकार जयपुर)


वीओ 02-- वर्ष 2012 मैं जारी अधिसूचना के मुताबिक ग्रीन टैक्स के रूप में जमा होने वाली राशि में से 75 फ़ीसदी राशि का उपयोग स्वास्थ्य शासन विभाग करेगा,,,,, और शेष 25 फ़ीसदी राशि का उपयोग परिवहन विभाग को करना है,,,,,,वाहनों के चलने से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए विभाग को पेड़ पौधे लगाकर प्रदूषण को कम करने के प्रयास करने थे,,,,,, लेकिन विभाग आंखें मूंदे बैठा है,,,,,,, संयुक्त शासन सचिव महेंद्र सिंह खींची के द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के मुताबिक पिछले 5 साल में 610 करोड रुपए से ज्यादा राशि ग्रीन टैक्स के रूप में जमा हुई है,,,,,,,,

वित्तिय वर्ष ग्रीन टैक्स की जामा राशि

2014-15 55 करोड़ रुपये

2015-16 76 करोड़ 77 लाख

2016-17 1 अरब 7 करोड़ 53 लाख

2017-18 1 अरब 97 करोड़ 16 लाख

2018-19 1 अरब 73 करोड़ 52 लाख



Conclusion:फाइनल वीओ-- ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है,,, कि विभाग जब ग्रीन टैक्स के रूप में वसूले गए करोड़ों रुपए का उपयोग नहीं करता है ,,,,,,,तो टैक्स वसूलना बंद कर देना चाहिए,,,,,,, हालांकि जानकारी के अनुसार राजस्थान के आसपास के राज्यों में ग्रीन टैक्स के नाम पर वाहन मालिकों से टैक्स नहीं वसूला जाता है,,,,,,,,ज़ यदि विभाग टैक्स वसूलना जारी रखता है ,,,,,,तो विभाग को इस पैसे को वृक्षारोपण में खर्च करना चाहिए ,,,,,,,जिससे प्रदूषण भी काफी हद तक कम होगा और आमजन को प्रदूषण से राहत भी मिलेगी,,,,,,,



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