बीकानेर. किसी ने सच ही कहा है कि एक चित्र एक हजार शब्दों के बराबर होता है या यूं कहें कि अपनी बात को अभिव्यक्त करने के लिए एक चित्र ही काफी है. कभी-कभी जो बात पूरी कहानी नहीं कह पाती वह एक चित्र कह जाता है. दुनिया में कई बेहतरीन चित्रकार हुए हैं जिन्होंने अपनी कूंची (ब्रश) के दम पर कैनवास में रंग भरते हुए चित्रकारी की ऐसी मिसाल पेश की है कि आज भी वह लोगों के दिलों में बसी गईं हैं. तमाम घटनाओं के मार्मिक दृश्यों को ऐसे कैनवास पर उतारा है कि देखने वाले दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएं. लेकिन ब्रश की बजाए शेविंग ब्लेड से चित्रकारी करने की कल्पना शायद ही किसी ने की होगी. बीकानेर के अनोखे चित्रकार डॉ. मोना सरदार डूडी कुछ ऐसा ही करने के लिए मशहूर हैं.
बीकानेर का ये अनोखा चित्रकार (Bikaner Unique Painter) चित्रकारी में रोज नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. खास बात ये है कि वे पेंटिंग के लिए ब्रश नहीं शेविंग ब्लेड का इस्तेमाल करते हैं. शेविंग ब्लेड के जरिए वे कैनवास पर अपने चित्रों में रंग भरते हैं. इनकी पेंटिंग्स को काफी पसंद भी किया जा रहा है.
शेविंग ब्लेड के जरिए ऑयल पेंटिग कर चित्रकारी के दम पर डॉ. मोना सरदार डूडी ने अपनी एक पहचान बनाई है. डूडी अब तक कई हजार चित्र बना चुके हैं. उनकी माने डूडी ने शेविंग ब्लेड के जरिए केवल राधा और कृष्ण के ही करीब 5000 से ज्यादा चित्र बना चुके हैं. ऑयल पेंट पर बनाई गई इन पेंटिग्स का एक बार इंप्रेशन लेकर इसे काम में लिया जा सकता है, लेकिन सिर्फ एक बार ही इसका इंप्रेशन लिया जा सकता है.
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कलर की खपत और खर्चे से आया आइडिया
चित्रकार डॉ. मोना सरदार डूडी कहते हैं कि जब वह पेंटिंग्स की पढ़ाई कर रहे थे. उस वक्त कलर ट्यूब की खपत ज्यादा होती थी और खर्च भी ज्यादा होता था. ऐसे में उन्होंने कुछ नया करने की सोची और ऑयल पेंट के जरिए शेविंग ब्लेड से पेंटिंग बनाने का नवाचार किया. इन पेंटिंग्स में इंप्रेशन लेने के बाद रंगों का प्रयोग करते हुए इसे सतरंगी भी बनाया जा सकता है. डूडी ने अपनी इस विधा को 'कुरेचन पद्धति' का नाम दिया है.
फोटोग्राफी पेपर भी आर्ट
ग्लेज फोटोग्राफी पेपर या फिर कोई कलर फोटो पर भी इसको कुरेचन पद्धति के तहत शेविंग ब्लेड से नई पेंटिंग बनाकर उसे नायाब बनाने का आइडिया भी डूडी ने प्रयोग में लिया जिसे लोगों ने खूब सराहा.
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित हो चुकीं पेंटिंग्स
डॉ. मोना सरदार डूडी की पेंटिंग्स की नई विधा को लोगों ने खूब सराहा है और देशभर के प्रमुख चित्रकारों ने भी उनकी पेंटिंग्स की तारीफ की है. कई बड़ी एग्जीबिशन में उनकी पेंटिंग्स को चयनित किया गया और उसकी प्रदर्शनी भी लगाई गई है. देश के बाहर भी उनकी पेंटिंग्स सराही गई हैं. वहां प्रदर्शनी भी लग चुकी है. हाल ही में मध्यप्रदेश में मणिकर्णिका आर्ट गैलरी में इनकी दो पेंटिंग्स चयनित हुईं हैं.
पर्यटकों में भी क्रेज
प्रोफेशनल आर्टिस्ट के तौर पर अपनी पहचान बना चुके डॉ. मोना सरदार डूडी की इन पेंटिंग्स को पर्यटकों ने भी खूब रिस्पांस दिया है. बीकानेर आने वाले पर्यटक कई बार उनकी पेंटिंग को खरीदकर भी ले जाते हैं.
अव्यवस्थाओं पर भी करते हैं चोट
अपनी कला के माध्यम से लोगों का ध्यान खींचने वाले डॉ. मोना सरदार डूडी ने बीकानेर की ज्वलंत समस्याओं पर भी कई बार करारा व्यंग्य करते हुए सिस्टम कार्यप्रणाली पर प्रहार किया है. चाहे बात बीकानेर की रेलवे फाटक की समस्या की हो या सूरसागर के गंदे पानी की, कई बार अपने साथी चित्रकारों के साथ डूडी ने जिले के ज्वलंत मुद्दों को लेकर पेंटिंग्स के माध्यम से अपना फर्ज निभाते हुए समस्याओं पर व्यंग्य किया है.
सिखा रहे विधा
कहते हैं कला एक ऐसा गुण है कि जिस की सीख जितने लोगों को दी जाए वह उतनी ही बढ़ती है. इसी तर्ज पर डॉ. मोना सरदार डूडी कई लोगों को यह विधा सिखा रहे हैं. डूडी से कुरेचन आर्ट सीख रहे राम कुमार भादानी और वीनस ओझा कहते हैं कि यह वाकई में एक अद्भुत कला है और हम इसे सीख रहे हैं. निश्चित रूप से पेंटिंग की इस विधा ने अपना एक अलग मुकाम बन लिया है और लोगों को यह पेंटिंग्स काफी पसंद भी आती है.
धार्मिक ग्रंथों का कर रहे सजीव चित्रण
धार्मिक ग्रंथों के श्लोक, दोहे के साथ ही राधा कृष्ण स्वरूप के सजीव चित्रण को लेकर पूरे दिन इस पद्धति के माध्यम से ही मोना सरदार डूडी एक नवाचार कर रहे हैं. इसमें दोहे के साथ उस स्थिति को दर्शाती हुई पेंटिंग भी नजर आएगी.
कुल मिलाकर अपनी विधा में एक नवाचार करते हुए अपनी साधना और परिश्रम के बल पर डॉ. मोना सरदार डूडी ने पेंटिंग को एक नई दिशा दी है. साथ ही चंद मिनटों में एक पेंटिंग को शेविंग ब्लेड से बनाने का यह नायाब उदाहरण भी है.