बीकानेर. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म उत्सव देश भर में मनाया जा रहा है. बीकानेर में भी कोरोना गाइड लाइन की पालना करते हुए राम मंदिरों में केवल पुजारियों की ओर से ही पूजा अर्चना की गई और मंदिरों में श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह से निषेध रखा गया. बीकानेर के 500 साल पुराने रघुनाथ मंदिर में भगवान श्रीराम, सीता के साथ लक्ष्मण की जगह भगवान श्रीकृष्ण विराजे हैं.
मंदिर के पुजारी सौरभ स्वामी कहते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी से उनका परिवार ही इस मंदिर की पूजा अर्चना कर रहा है. मंदिर में लक्ष्मण की जगह भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा होने के सवाल पर वे कहते हैं कि संभवत है यह देश का पहला ऐसा मंदिर है. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने एक बार वृंदावन में प्रभुश्री राम के दर्शन की इच्छा में अन्न जल का त्याग कर दिया था.
उन्होंने कहा कि वृंदावन कृष्ण नगरी है ऐसे में भगवान श्रीराम ने तुलसीदास जी को कृष्ण स्वरूप में अपने दर्शन दिए. लेकिन गोस्वामी तुलसीदासजी भगवान को अपने स्वरूप में ही दर्शन देने का हठ रखा. जिसके बाद भगवान श्रीराम ने धनुष की जगह सुदर्शन चक्र और शंख धारण करते हुए उन्हें दर्शन दिए. उन्होंने कहा कि इसी परिकल्पना पर रघुनाथ नाम पड़ा. क्योंकि भगवान श्री राम रघुकुल से हैं और उन्हें रघुवंश के नाम से भी जाना जाता है और कृष्ण का स्वरूप श्रीनाथजी हैं.
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ऐसे में कालांतर में भगवान का रघुनाथ नाम भी प्रचलन में आया और इसी परंपरा के तहत रघुनाथ मंदिर की भी स्थापना हुई. यह मंदिर भी रघुनाथ मंदिर के नाम से ही जाना जाता है लेकिन श्री राम और सीता के साथ श्री कृष्ण का विग्रह स्वरूप संभवत देश के एकमात्र रघुनाथ मंदिर के रूप में इसी मंदिर में है.
108 साल से जन्मपत्रिका भी वाचन
रघुनाथ मंदिर में एक और परंपरा पिछले 108 साल से लगातार चली आ रही है. मंदिर में भगवान श्रीराम के जन्म कुंडली का वाचन हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष एक सदी से किया जा रहा है. जन्मपत्रिका को वाचन के बाद मंदिर में ही सुरक्षित रख लिया जाता है. पिछले तीन दशक से जन्मपत्रिका का वाचन करने वाले लक्ष्मीनारायण कहते हैं कि उनके पूर्वजों ने इस परंपरा को शुरू किया था. उस समय बनाई गई जन्मपत्रिका आज भी सुरक्षित है. जन्म पत्रिका के वाचन के बाद ही सही से मंदिर में ही सुरक्षित रख दिया जाता है.