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यूनिवर्सिटी में परीक्षा शुल्क को लेकर खड़े हो रहे सवाल, प्रावधान स्पष्ट नहीं...2 से 5 गुना अधिक शुल्क जमा कराने को विद्यार्थी मजबूर

प्रदेश के विश्वविद्यालयों में परीक्षा शुल्क को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. हर विश्वविद्यालय में परीक्षा आवेदन शुल्क और परीक्षा फार्म की एक अवधि तय होती है. उस अवधि के बाद फार्म भरने वाले विद्यार्थी से दो से 5 गुना अधिक शुल्क (examination fee in universities after due date) लिया जाता है. लेकिन इस तरह के प्रावधान को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है.

examination fee in universities of Rajasthan
यूनिवर्सिटी में परीक्षा शुल्क को लेकर उठ रहे सवाल
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Published : Jul 25, 2022, 6:03 AM IST

Updated : Jul 25, 2022, 11:57 AM IST

बीकानेर. स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं में लिए विश्वविद्यालय स्तर पर ली जाने वाली परीक्षा के आवेदन के साथ शुल्क को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. विश्वविद्यालय की ओर से तय की गई निश्चित अवधि के बाद जो विद्यार्थी आवेदन करते हैं उनको तय परीक्षा शुल्क के मुकाबले दो से लेकर पांच गुना तक अधिक शुल्क जमा (examination fee in universities after due date) कराना पड़ता है. हालांकि विश्वविद्यालय स्तर पर जुर्माने के रूप में या लेट फीस के रूप में मूल फीस से 2 गुना से 5 गुना अधिक दिए जाने के किसी भी प्रावधान को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है.

21 अगस्त 2017 को तत्कालीन कुलाधिपति की ओर से जारी एक परिपत्र में पूर्व में हुई कुलपति समन्वय समिति की बैठक के बाद प्रमुख सचिव एवं तकनीकी शिक्षा के संयोजन में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने विश्वविद्यालयों में समान कोर्सेज के लिए समान परीक्षा शुल्क, मार्किंग सिस्टम परीक्षा से जुड़े अन्य कार्मिकों के मानदेय के निर्धारण सहित अन्य बिंदुओं को लेकर एक रिपोर्ट राजभवन को प्रेषित की. इस रिपोर्ट को तत्कालीन कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने अनुमोदित कर दिया था.

यूनिवर्सिटी में परीक्षा शुल्क को लेकर उठ रहे सवाल

पढ़ें. जोबनेर कृषि विवि में फीस बढ़ोतरी का विरोध, सात विद्यार्थियों को वार्ता के लिए जयपुर लाई पुलिस

हालांकि इस रिपोर्ट में कहीं भी परीक्षा आवेदन शुल्क के लेट फीस के रूप में दो से 5 गुना करने को लेकर जिक्र नहीं है. लेकिन प्रदेश के समस्त राजकीय विश्वविद्यालयों के समान कोर्सेज के लिए समान परीक्षा शुल्क और हर साल 10 फीसदी की वृद्धि का अनुमोदन इस रिपोर्ट में किया गया. वहीं बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ राजाराम चोयल से जब इस मामले को लेकर बातचीत की तो सीधे तौर पर वह किसी भी नियम की जानकारी नहीं दे पाए.

उन्होंने कहा कि एक निश्चित दायरा इसके लिए जरूरी है और हमारे अधिकतर आवेदन दो गुना बीच में आ जाते हैं. लेकिन फिर भी विद्यार्थियों की मांग पर चार से पांच गुना में भी आवेदन लिए जाते हैं. इस पूरे मामले पर एनएसयूआई के पूर्व जिला अध्यक्ष और छात्र नेता रामनिवास कूकणा का कहना है कि विश्वविद्यालय में ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्र बड़ी संख्या में हैं. किसी कारणवश वे निश्चित अवधि में आवेदन जमा नहीं करा पाते हैं तो उन्हें चार से पांच गुना राशि भरकर आवेदन जमा कराना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत मुश्किल है.

पढ़ें. Protest of NSUI in Rajasthan University: सिलेबस कम करने और ऑनर्स में पेपर ड्यू रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन

उन्होंने बताया कि कई बार कर्ज लेने जैसी स्थिति भी देखने को मिलती है. रामनिवास ने कहा कि विश्व विद्यालय को परीक्षा शुल्क को लेकर अवधि तय करना चाहिए. लेकिन तय अवधि के बाद यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा आवेदन जमा करता है तो उसके लिए एक न्यूनतम जुर्माना राशि होनी चाहिए ना कि दो गुना से 5 गुना तक. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के हित के लिए है और विद्यालय का विकास विद्यार्थियों के दिए हुए शुल्क के राशि से होता है.

जबकि कई बार देखा जाता है कि विश्वविद्यालयों में खुद के महिमामंडन के लिए विद्यार्थियों से लिए गए शुल्क की राशि को खर्च कर दिया जाता है. यह परंपरा ठीक नहीं. कूकना ने कहा कि आने वाले सप्ताह में कुलाधिपति एवं राज्यपाल बीकानेर के दौरे पर रहेंगे और इस दौरान बीकानेर के छात्र नेताओं के साथ उनसे इस विषय में मिलकर पूरी गंभीरता के साथ विद्यार्थियों की परेशानी से अवगत कराया जाएगा.

बीकानेर. स्नातक और स्नातकोत्तर परीक्षाओं में लिए विश्वविद्यालय स्तर पर ली जाने वाली परीक्षा के आवेदन के साथ शुल्क को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. विश्वविद्यालय की ओर से तय की गई निश्चित अवधि के बाद जो विद्यार्थी आवेदन करते हैं उनको तय परीक्षा शुल्क के मुकाबले दो से लेकर पांच गुना तक अधिक शुल्क जमा (examination fee in universities after due date) कराना पड़ता है. हालांकि विश्वविद्यालय स्तर पर जुर्माने के रूप में या लेट फीस के रूप में मूल फीस से 2 गुना से 5 गुना अधिक दिए जाने के किसी भी प्रावधान को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है.

21 अगस्त 2017 को तत्कालीन कुलाधिपति की ओर से जारी एक परिपत्र में पूर्व में हुई कुलपति समन्वय समिति की बैठक के बाद प्रमुख सचिव एवं तकनीकी शिक्षा के संयोजन में एक समिति का गठन किया गया था. इस समिति ने विश्वविद्यालयों में समान कोर्सेज के लिए समान परीक्षा शुल्क, मार्किंग सिस्टम परीक्षा से जुड़े अन्य कार्मिकों के मानदेय के निर्धारण सहित अन्य बिंदुओं को लेकर एक रिपोर्ट राजभवन को प्रेषित की. इस रिपोर्ट को तत्कालीन कुलाधिपति एवं राज्यपाल ने अनुमोदित कर दिया था.

यूनिवर्सिटी में परीक्षा शुल्क को लेकर उठ रहे सवाल

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हालांकि इस रिपोर्ट में कहीं भी परीक्षा आवेदन शुल्क के लेट फीस के रूप में दो से 5 गुना करने को लेकर जिक्र नहीं है. लेकिन प्रदेश के समस्त राजकीय विश्वविद्यालयों के समान कोर्सेज के लिए समान परीक्षा शुल्क और हर साल 10 फीसदी की वृद्धि का अनुमोदन इस रिपोर्ट में किया गया. वहीं बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ राजाराम चोयल से जब इस मामले को लेकर बातचीत की तो सीधे तौर पर वह किसी भी नियम की जानकारी नहीं दे पाए.

उन्होंने कहा कि एक निश्चित दायरा इसके लिए जरूरी है और हमारे अधिकतर आवेदन दो गुना बीच में आ जाते हैं. लेकिन फिर भी विद्यार्थियों की मांग पर चार से पांच गुना में भी आवेदन लिए जाते हैं. इस पूरे मामले पर एनएसयूआई के पूर्व जिला अध्यक्ष और छात्र नेता रामनिवास कूकणा का कहना है कि विश्वविद्यालय में ग्रामीण परिवेश से आने वाले छात्र बड़ी संख्या में हैं. किसी कारणवश वे निश्चित अवधि में आवेदन जमा नहीं करा पाते हैं तो उन्हें चार से पांच गुना राशि भरकर आवेदन जमा कराना पड़ता है, जो उनके लिए बहुत मुश्किल है.

पढ़ें. Protest of NSUI in Rajasthan University: सिलेबस कम करने और ऑनर्स में पेपर ड्यू रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन

उन्होंने बताया कि कई बार कर्ज लेने जैसी स्थिति भी देखने को मिलती है. रामनिवास ने कहा कि विश्व विद्यालय को परीक्षा शुल्क को लेकर अवधि तय करना चाहिए. लेकिन तय अवधि के बाद यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा आवेदन जमा करता है तो उसके लिए एक न्यूनतम जुर्माना राशि होनी चाहिए ना कि दो गुना से 5 गुना तक. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के हित के लिए है और विद्यालय का विकास विद्यार्थियों के दिए हुए शुल्क के राशि से होता है.

जबकि कई बार देखा जाता है कि विश्वविद्यालयों में खुद के महिमामंडन के लिए विद्यार्थियों से लिए गए शुल्क की राशि को खर्च कर दिया जाता है. यह परंपरा ठीक नहीं. कूकना ने कहा कि आने वाले सप्ताह में कुलाधिपति एवं राज्यपाल बीकानेर के दौरे पर रहेंगे और इस दौरान बीकानेर के छात्र नेताओं के साथ उनसे इस विषय में मिलकर पूरी गंभीरता के साथ विद्यार्थियों की परेशानी से अवगत कराया जाएगा.

Last Updated : Jul 25, 2022, 11:57 AM IST
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