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स्पेशल: लॉकडाउन के चलते सैलून इंडस्ट्री की टूटी कमर, सामने हैं कई चुनौतियां

लॉकडाउन के दौरान हेयर सैलून नहीं खुलने से जहां लोग परेशान हैं. वहीं, हेयर सैलून और ब्यूटी पार्लर संचालक भी मुश्किल में हैं. एक ओर कमाई ठप्प होने के चलते उन पर आर्थिक भार बढ़ रहा है. वहीं, दूसरी ओर सैलून को फिर से खुलने पर कोरोना संक्रमण का खतरा भी है. ऐसे में हेयर सैलून और पार्लर में काम करने वाले लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है. देखें बीकानेर से ये स्पेशल स्टोरी

Loss to Saloon Industry in Lockdown, hair salon industry
लॉकडाउन में सैलून इंडस्ट्री को नुकसान
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Published : May 13, 2020, 8:30 PM IST

बीकानेर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन में ब्यूटी पार्लर, हेयर सैलून पूरी तरह से बंद हैं. लॉकडाउन 3.0 में दी गई छूट में भी इन पार्लर और सैलून को रेड और ऑरेंज जोन में खोलने की इजाजत नहीं है. 22 मार्च से लगातार बंद हुए इन सैलून और पार्लर के चलते जहां आम लोग परेशान हैं. वहीं, सैलून संचालक और वहां काम करने वाले कारिगरों के लिए भी परेशानी बनी हुई है.

लॉकडाउन में सैलून इंडस्ट्री को नुकसान (पार्ट-1)

कमजोर आर्थिक स्थिति वाले इस तबके के लिए आने वाले दिनों में भी चुनौतियां कम नहीं है. पूरी तरह से लॉकडाउन खत्म होने और सैलून, पार्लर खोलने की छूट मिलने के बाद भी इन लोगों को काफी दिक्कत और परेशानी झेलनी होगी. साथ ही काफी सावधानियां भी बरतनी होगी. अपने ग्राहक से सीधे नजदीकी संपर्क में रहने वाले इन लोगों में संक्रमण का डर हमेशा बना रहेगा. पिछले 2 महीने से बंद के दौरान इनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहराया है, तो वहीं दुकान का किराया और काम करने वाले लोगों का वेतन भी बड़ी चनौती है.

हालांकि इन दुकानों में काम करने वाले कुछ लोग सैलून और पार्लर संचालक के साथ प्रति ग्राहक हिस्सेदारी में काम करते हैं. ऐसे में उन लोगों के सामने भी आर्थिक संकट और ज्यादा गहरा गया है. बीकानेर में ब्यूटी पार्लर और सैलून की कई शाखाएं चलाने वाले प्रभु सेन कहते हैं कि 2 महीने से काम पूरा बंद है और स्टाफ का वेतन और दुकानों का किराया लग रहा है. ऐसे में आर्थिक स्तर पर काफी नुकसान हुआ है.

लॉकडाउन में सैलून इंडस्ट्री को नुकसान (पार्ट-2)

पढ़ें- SPECIAL: सारी दुनिया का बोझ उठाने वाले 'कुलियों' के सामने भूखे मरने की नौबत

वहीं, आने वाले दिनों में काम शुरू होगा ऐसी उम्मीद नहीं है. साथ ही जब भी काम शुरू होगा तो कई सावधानियां रखनी होगी और इसके लिए खर्च भी होगा. प्रभु सेन कहते हैं कि अब पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर इन सब का खर्चा अगले कई महीनों तक होता रहेगा. इन अतिरिक्त खर्चों का असर ग्राहक की जेब पर भी पड़ेगा. सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के चलते अब एक समय में आने वाले ग्राहकों को भी कम करना होगा. जिससे स्टाफ की भी कटौती करनी होगी.

प्रभु सेन कहते हैं कि बीकानेर में तकरीबन 12 हजार से ज्यादा लोग इस रोजगार में जुड़े हुए हैं. जिनमें सैलून संचालक, ब्यूटी पार्लर और वहां काम करने वाले लोग शामिल हैं. उनके परिवार को जोड़ें तो सीधे तौर पर 75 हजार लोग इस लॉकडाउन के चलते अकेले बीकानेर में प्रभावित हुए हैं. जिनके सामने आर्थिक परेशानी आई है. सैलून में काम करने वाले दीपक और गोविंद कहते हैं कि बिना अपॉइंटमेंट लिए अब किसी भी ग्राहक को अटेंड करना संभव नहीं है. साथ ही हर नए ग्राहक के आने से पहले उपयोग में लिए समान को सैनेटाइज करने का ध्यान भी रखना होगा. साथ ही मास्क और किट पहनकर काम करना अब जरूरत बन जाएगा.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना काल में खड़ी हुई बेरोजगारों की फौज, युवाओं ने अपनाया आंदोलन का 'ऑनलाइन' जरिया

बीकानेर में हेयर ड्रेसर यूनियन के अध्यक्ष जयनारायण मारू कहते हैं कि सरकार को हमें अब मास्क और सैनिटाइजर और सुरक्षा किट उपलब्ध करवाना चाहिए. साथ ही हमारा मेडिकल बीमा भी सरकार के स्तर पर हो. उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले भी हम लोग सीधे तौर पर संक्रमण के खतरे में ही थे.

उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति की शेविंग और कटिंग हम लोग करते हैं, उसको किस तरह की क्या बीमारी है इसकी हमें जानकारी नहीं होती और हम एकदम नजदीकी संपर्क में रहकर काम करते हैं. मारू ने कहा कि सरकार जिस तरह से मजदूर डायरी श्रमिकों के लिए लागू कर चुकी है, वैसा ही कुछ हम लोगों के लिए भी करना चाहिए. क्योंकि हम भी समाज की एक इकाई हैं.

बीकानेर. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हुए लॉकडाउन में ब्यूटी पार्लर, हेयर सैलून पूरी तरह से बंद हैं. लॉकडाउन 3.0 में दी गई छूट में भी इन पार्लर और सैलून को रेड और ऑरेंज जोन में खोलने की इजाजत नहीं है. 22 मार्च से लगातार बंद हुए इन सैलून और पार्लर के चलते जहां आम लोग परेशान हैं. वहीं, सैलून संचालक और वहां काम करने वाले कारिगरों के लिए भी परेशानी बनी हुई है.

लॉकडाउन में सैलून इंडस्ट्री को नुकसान (पार्ट-1)

कमजोर आर्थिक स्थिति वाले इस तबके के लिए आने वाले दिनों में भी चुनौतियां कम नहीं है. पूरी तरह से लॉकडाउन खत्म होने और सैलून, पार्लर खोलने की छूट मिलने के बाद भी इन लोगों को काफी दिक्कत और परेशानी झेलनी होगी. साथ ही काफी सावधानियां भी बरतनी होगी. अपने ग्राहक से सीधे नजदीकी संपर्क में रहने वाले इन लोगों में संक्रमण का डर हमेशा बना रहेगा. पिछले 2 महीने से बंद के दौरान इनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहराया है, तो वहीं दुकान का किराया और काम करने वाले लोगों का वेतन भी बड़ी चनौती है.

हालांकि इन दुकानों में काम करने वाले कुछ लोग सैलून और पार्लर संचालक के साथ प्रति ग्राहक हिस्सेदारी में काम करते हैं. ऐसे में उन लोगों के सामने भी आर्थिक संकट और ज्यादा गहरा गया है. बीकानेर में ब्यूटी पार्लर और सैलून की कई शाखाएं चलाने वाले प्रभु सेन कहते हैं कि 2 महीने से काम पूरा बंद है और स्टाफ का वेतन और दुकानों का किराया लग रहा है. ऐसे में आर्थिक स्तर पर काफी नुकसान हुआ है.

लॉकडाउन में सैलून इंडस्ट्री को नुकसान (पार्ट-2)

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वहीं, आने वाले दिनों में काम शुरू होगा ऐसी उम्मीद नहीं है. साथ ही जब भी काम शुरू होगा तो कई सावधानियां रखनी होगी और इसके लिए खर्च भी होगा. प्रभु सेन कहते हैं कि अब पीपीई किट, मास्क, सैनिटाइजर इन सब का खर्चा अगले कई महीनों तक होता रहेगा. इन अतिरिक्त खर्चों का असर ग्राहक की जेब पर भी पड़ेगा. सोशल डिस्टेंसिंग की पालना के चलते अब एक समय में आने वाले ग्राहकों को भी कम करना होगा. जिससे स्टाफ की भी कटौती करनी होगी.

प्रभु सेन कहते हैं कि बीकानेर में तकरीबन 12 हजार से ज्यादा लोग इस रोजगार में जुड़े हुए हैं. जिनमें सैलून संचालक, ब्यूटी पार्लर और वहां काम करने वाले लोग शामिल हैं. उनके परिवार को जोड़ें तो सीधे तौर पर 75 हजार लोग इस लॉकडाउन के चलते अकेले बीकानेर में प्रभावित हुए हैं. जिनके सामने आर्थिक परेशानी आई है. सैलून में काम करने वाले दीपक और गोविंद कहते हैं कि बिना अपॉइंटमेंट लिए अब किसी भी ग्राहक को अटेंड करना संभव नहीं है. साथ ही हर नए ग्राहक के आने से पहले उपयोग में लिए समान को सैनेटाइज करने का ध्यान भी रखना होगा. साथ ही मास्क और किट पहनकर काम करना अब जरूरत बन जाएगा.

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बीकानेर में हेयर ड्रेसर यूनियन के अध्यक्ष जयनारायण मारू कहते हैं कि सरकार को हमें अब मास्क और सैनिटाइजर और सुरक्षा किट उपलब्ध करवाना चाहिए. साथ ही हमारा मेडिकल बीमा भी सरकार के स्तर पर हो. उन्होंने कहा कि कोरोना से पहले भी हम लोग सीधे तौर पर संक्रमण के खतरे में ही थे.

उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति की शेविंग और कटिंग हम लोग करते हैं, उसको किस तरह की क्या बीमारी है इसकी हमें जानकारी नहीं होती और हम एकदम नजदीकी संपर्क में रहकर काम करते हैं. मारू ने कहा कि सरकार जिस तरह से मजदूर डायरी श्रमिकों के लिए लागू कर चुकी है, वैसा ही कुछ हम लोगों के लिए भी करना चाहिए. क्योंकि हम भी समाज की एक इकाई हैं.

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