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मंदी के चलते फूलों का मुरझाया कारोबार, फूल विक्रेता झेल रहे मंदी की मार - बीकानेर में लॉकडाउन

बीकानेर में लॉकडाउन के कारण फूल विक्रेता भी काफी प्रभावित हुए है. पहले जहां शहर में आम दिनों में एक क्विंटल से अधिक फूलों की खपत होती थी, वो अब चौथाई भी नहीं रह गई है.

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फूलों का कारोबार मुरझाया
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Published : Jun 14, 2020, 4:53 PM IST

बीकानेर. कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फूलों का कारोबार मुरझा गया है. किसानों के साथ फूल विक्रेता भी काफी प्रभावित हुए है. धार्मिक स्थल, मंदिरों के उत्सव, शादी समारोह और अन्य आयोजन बंद होने के कारण फूल विक्रताओं के चेहरों पर मायूसी है. पहले जहां शहर में आम दिनों में एक क्विंटल से अधिक फूलों की खपत होती थी, वो अब चौथाई भी नहीं रह गई है.

फूल विक्रेता झेल रहे मंदी की मार

एक जून से हालांकि फूल विक्रेताओं ने बाजार और अन्य स्थानों पर अस्थाई दुकानें लगाई हैं, पर बिक्री बहुत कम है. यातायात के साधन बंद होने से ज्यादा माल मंगवाना पड़ता है, गर्मी के चलते शाम को अधिकांश फूल फेंकने ही पड़ते हैं. अब दुकानदारों को सिर्फ धार्मिक स्थल खुलने का इंतजार है ताकि व्यापार को कुछ संबल मिल सके.

पढ़ेंः सीएम गहलोत अपने घर को संभालें नहीं तो अंतर्विरोध से गिर जाएगी सरकारः पूनिया

फूलों के व्यापार से जुड़े मो. शकील बागवान ने बताया कि व्यापार को संभलने में कई साल लग जाएंगे. घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. हम तो जैसे-तैसे समय काट लेंगे, लेकिन इस व्यापार में घरों पर माला बनाने वाली सैकड़ों महिलाएं भी है, जिन पर दो समय की रोटी के लाले पड़ गए हैं.

हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल

फूलमाला कारोबारी श्रीधर पुरोहित कहते है कि अगले 6 महीने तक बाजार का यहीं हाल रहने वाले है. लॉकडाउन से पहले प्रति दिन 3 हजार रुपए की कमाई करता था, लेकिन अब दिन भर में हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल है. ऐसे हालात में परिवार पालना भी दूभर हो रहा है. फूलों के कारोबार से कई लोग जुड़े होते हैं और इस वजह से न सिर्फ किसान बल्कि शादी-पार्टियों में सजावट करने वाले, बुके-गुलदस्ता बेचने वाले, धार्मिक स्थल पर फूल माला बेचने वाले भी लॉकडाउन में अपना काम खो चुके हैं.

शादियों में फूलों का डेकोरेशन करने वाले हाजी वली मोहम्मद ने बताया कि लॉकडाउन का वक्त कारोबार का पीक था. इसी समय शादियां और पार्टियां होती हैं. पहले इस सीजन में कई मजदूर काम करते थे. जब सजावट की डिमांड होती थी, तो हम बाहर से भी लोगों को बुलाते थे. इस लॉकडाउन में शादी-पार्टी का काम बंद है, तो वहीं सजावट भी नहीं हो रही.

पढ़ेंः टूटी 165 साल पुरानी परंपरा...भगवान जगन्नाथ नहीं करेंगे रथ यात्रा

शादी और त्योहारों के मौसम में अगर कोई बड़ी पार्टी हो तो 50 हजार से एक लाख तक का कारोबार हो जाता था. अब फूल व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने बताया कि फूलों की मांग छोटी अवधि के लिए रहती है. भीषण गर्मी में यदि दो-चार घंटे में बिक जाएं तो ठीक, नहीं तो दाम गिरने लगते हैं. वे मायूसी से कहते हैं, लगता है ऐसे हालात में फूलों की सजावट का काम लंबे समय तक नहीं होगा.

कारोबारियों के सारे सपने मुरझा रहे है

इस कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि मार्च, अप्रेल और मई व्यापार के लिए अच्छा रहता है. किसान और विक्रेता इस सीजन का पूरे साल इंतजार करते हैं. शादी और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए ऑर्डर बुक किए जाते हैं. मगर इस साल लॉकडाउन से सारे आर्डर भी रद्द हो चुके हैं. वहीं बम्पर कमाई की आस लगाए बैठे फूलमाला कारोबारियों के सारे सपने मानो मुरझा से गए हैं.

बीकानेर. कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में फूलों का कारोबार मुरझा गया है. किसानों के साथ फूल विक्रेता भी काफी प्रभावित हुए है. धार्मिक स्थल, मंदिरों के उत्सव, शादी समारोह और अन्य आयोजन बंद होने के कारण फूल विक्रताओं के चेहरों पर मायूसी है. पहले जहां शहर में आम दिनों में एक क्विंटल से अधिक फूलों की खपत होती थी, वो अब चौथाई भी नहीं रह गई है.

फूल विक्रेता झेल रहे मंदी की मार

एक जून से हालांकि फूल विक्रेताओं ने बाजार और अन्य स्थानों पर अस्थाई दुकानें लगाई हैं, पर बिक्री बहुत कम है. यातायात के साधन बंद होने से ज्यादा माल मंगवाना पड़ता है, गर्मी के चलते शाम को अधिकांश फूल फेंकने ही पड़ते हैं. अब दुकानदारों को सिर्फ धार्मिक स्थल खुलने का इंतजार है ताकि व्यापार को कुछ संबल मिल सके.

पढ़ेंः सीएम गहलोत अपने घर को संभालें नहीं तो अंतर्विरोध से गिर जाएगी सरकारः पूनिया

फूलों के व्यापार से जुड़े मो. शकील बागवान ने बताया कि व्यापार को संभलने में कई साल लग जाएंगे. घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. हम तो जैसे-तैसे समय काट लेंगे, लेकिन इस व्यापार में घरों पर माला बनाने वाली सैकड़ों महिलाएं भी है, जिन पर दो समय की रोटी के लाले पड़ गए हैं.

हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल

फूलमाला कारोबारी श्रीधर पुरोहित कहते है कि अगले 6 महीने तक बाजार का यहीं हाल रहने वाले है. लॉकडाउन से पहले प्रति दिन 3 हजार रुपए की कमाई करता था, लेकिन अब दिन भर में हाथ खर्च निकलना भी मुश्किल है. ऐसे हालात में परिवार पालना भी दूभर हो रहा है. फूलों के कारोबार से कई लोग जुड़े होते हैं और इस वजह से न सिर्फ किसान बल्कि शादी-पार्टियों में सजावट करने वाले, बुके-गुलदस्ता बेचने वाले, धार्मिक स्थल पर फूल माला बेचने वाले भी लॉकडाउन में अपना काम खो चुके हैं.

शादियों में फूलों का डेकोरेशन करने वाले हाजी वली मोहम्मद ने बताया कि लॉकडाउन का वक्त कारोबार का पीक था. इसी समय शादियां और पार्टियां होती हैं. पहले इस सीजन में कई मजदूर काम करते थे. जब सजावट की डिमांड होती थी, तो हम बाहर से भी लोगों को बुलाते थे. इस लॉकडाउन में शादी-पार्टी का काम बंद है, तो वहीं सजावट भी नहीं हो रही.

पढ़ेंः टूटी 165 साल पुरानी परंपरा...भगवान जगन्नाथ नहीं करेंगे रथ यात्रा

शादी और त्योहारों के मौसम में अगर कोई बड़ी पार्टी हो तो 50 हजार से एक लाख तक का कारोबार हो जाता था. अब फूल व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं. उन्होंने बताया कि फूलों की मांग छोटी अवधि के लिए रहती है. भीषण गर्मी में यदि दो-चार घंटे में बिक जाएं तो ठीक, नहीं तो दाम गिरने लगते हैं. वे मायूसी से कहते हैं, लगता है ऐसे हालात में फूलों की सजावट का काम लंबे समय तक नहीं होगा.

कारोबारियों के सारे सपने मुरझा रहे है

इस कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि मार्च, अप्रेल और मई व्यापार के लिए अच्छा रहता है. किसान और विक्रेता इस सीजन का पूरे साल इंतजार करते हैं. शादी और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए ऑर्डर बुक किए जाते हैं. मगर इस साल लॉकडाउन से सारे आर्डर भी रद्द हो चुके हैं. वहीं बम्पर कमाई की आस लगाए बैठे फूलमाला कारोबारियों के सारे सपने मानो मुरझा से गए हैं.

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