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रोजगार की तलाश में हरियाणा से बीकानेर आए मजदूर पैदल ही निकल पड़े घर

लॉकडाउन के चलते मजदूरों के काम धंधे बंद हो गए हैं. दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूर अपने घर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. रोजगार की तलाश में हरियाणा से बीकानेर आए मजदूर अब अपना बोरिया बिस्तर उठा कर पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े हैं.

Exodus of laborers from Bikaner, बीकानेर न्यूज
रोजगार की तलाश में हरियाणा से बीकानेर आए मजदूर पैदल ही निकल पड़े घर
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Published : Mar 31, 2020, 8:29 PM IST

बीकानेर. लॉकडाउन के चलते देश भर में निजी प्रतिष्ठानों के साथ सार्वजनिक यातायात भी बंद है. काम धंधे बंद होने से दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाने वाले मजदूर अपने-अपने घरों को जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. ऐसे में सार्वजनिक यातायात बंद होने से मजदूर अपना बोरिया बिस्तर उठाकर पैदल ही घरों की ओर कूच कर रहे हैं.

रोजगार की तलाश में हरियाणा से बीकानेर आए मजदूर पैदल ही निकल पड़े घर

महेंद्र सिंह पीठ पर एक भारी बैग टांगे हुए बीकानेर के गंगानगर हाइवे पर हरियाणा की ओर आगे बढ़ रहे हैं. हाईवे पर वो अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके जैसे कई लोग पूरे रास्ते में देखे जा सकते हैं. उनसे कुछ ही दूरी पर चल रहे अन्य लोग अपनी-अपनी पीठ पर बैग भी टांगे चल रहे हैं. महेंद्र ने बताया कि रोजगार की तलाश में बीकानेर से लगते नहरी क्षेत्र में फसल काटने के लिए हरियाणा से आए थे. लॉकडाउन के कारण घर में छोड़कर आए बच्चों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

पढ़ें- LOCKDOWN: D-MART और BIG BAZAR करेगा डोर-टू-डोर राशन सप्लाई

साथ ही बताया कि पिछले महीनों की कमाई हरियाणा से बीकानेर आते समय किराए में लग गई. यहां की कमाई में से कुछ बचा कर घर ले जा रहे हैं. घर जाने के लिए साधन न मिलने के कारण पैदल ही हरियाणा अपने घर जा रहे हैं.

महेंद्र के साथ उनके गांव के लगभग 30 लोग और हैं. सोमवार देर रात को सीमावर्ती इलाके 860 से चले मंगलवार दोपहर बीकानेर बस स्टैंड पहुंचे हैं. यहां पूछने पर पता चला कि लॉकडाउन के चलते यहां से कोई भी बस नहीं चल रही. थक-हार कर इन्होंने आगे का सफर भी पैदल तय करने का मन बना लिया.

पढ़ें- पाली : महामारी की स्थिति में भी भामाशाह आगे, निशुल्क उपलब्ध करवा रहे पीपीई सूट

मजदूरों का कहना है कि इनके बच्चे गांव में भूखे मर रहे हैं. अब जो भी हो, गांव पहुंचना इनकी पहली प्राथमिकता है. चाहे 5-6 दिन भी लग जाएं. इतना कहते ही महेंद्र का गला रुंध गया. जब इनसे पुलिस और प्रशासन के लोगों से मदद मांगने की बात की तो इन्होंने बताया कि किस्मत अच्छी रही कि सौ किलोमीटर के बाद भी पुलिस का डंडा नहीं खाया. बीकानेर पहुंचे ये लोग काफी थके नजर आने के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे मुश्किलों भरा यह सफर तय कर पाएंगे.

बीकानेर. लॉकडाउन के चलते देश भर में निजी प्रतिष्ठानों के साथ सार्वजनिक यातायात भी बंद है. काम धंधे बंद होने से दूसरे राज्यों में मजदूरी करने जाने वाले मजदूर अपने-अपने घरों को जाने के लिए मजबूर हो गए हैं. ऐसे में सार्वजनिक यातायात बंद होने से मजदूर अपना बोरिया बिस्तर उठाकर पैदल ही घरों की ओर कूच कर रहे हैं.

रोजगार की तलाश में हरियाणा से बीकानेर आए मजदूर पैदल ही निकल पड़े घर

महेंद्र सिंह पीठ पर एक भारी बैग टांगे हुए बीकानेर के गंगानगर हाइवे पर हरियाणा की ओर आगे बढ़ रहे हैं. हाईवे पर वो अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके जैसे कई लोग पूरे रास्ते में देखे जा सकते हैं. उनसे कुछ ही दूरी पर चल रहे अन्य लोग अपनी-अपनी पीठ पर बैग भी टांगे चल रहे हैं. महेंद्र ने बताया कि रोजगार की तलाश में बीकानेर से लगते नहरी क्षेत्र में फसल काटने के लिए हरियाणा से आए थे. लॉकडाउन के कारण घर में छोड़कर आए बच्चों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

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साथ ही बताया कि पिछले महीनों की कमाई हरियाणा से बीकानेर आते समय किराए में लग गई. यहां की कमाई में से कुछ बचा कर घर ले जा रहे हैं. घर जाने के लिए साधन न मिलने के कारण पैदल ही हरियाणा अपने घर जा रहे हैं.

महेंद्र के साथ उनके गांव के लगभग 30 लोग और हैं. सोमवार देर रात को सीमावर्ती इलाके 860 से चले मंगलवार दोपहर बीकानेर बस स्टैंड पहुंचे हैं. यहां पूछने पर पता चला कि लॉकडाउन के चलते यहां से कोई भी बस नहीं चल रही. थक-हार कर इन्होंने आगे का सफर भी पैदल तय करने का मन बना लिया.

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मजदूरों का कहना है कि इनके बच्चे गांव में भूखे मर रहे हैं. अब जो भी हो, गांव पहुंचना इनकी पहली प्राथमिकता है. चाहे 5-6 दिन भी लग जाएं. इतना कहते ही महेंद्र का गला रुंध गया. जब इनसे पुलिस और प्रशासन के लोगों से मदद मांगने की बात की तो इन्होंने बताया कि किस्मत अच्छी रही कि सौ किलोमीटर के बाद भी पुलिस का डंडा नहीं खाया. बीकानेर पहुंचे ये लोग काफी थके नजर आने के बावजूद अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के सहारे मुश्किलों भरा यह सफर तय कर पाएंगे.

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