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बीकानेर में भारतीय मजदूर संघ ने जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन

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Published : May 20, 2020, 8:43 PM IST

भारतीय मजदूर संघ ने देशभर के जिला मुख्यालयों पर बुधवार को जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा. बीकानेर में भी ये ज्ञापन सौंपकर कुछ राज्यों में श्रम कानूनों को 3 साल के लिए निरस्त करने के फैसले का विरोध दर्ज कराया गया है.

Labor Union in Bikaner, बीकानेर न्यूज़
बीकानेर में में भारतीय मजदूर सौंपा ज्ञापन संघ ने

बीकानेर. भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा. ये ज्ञापन भारतीय मजदूर संघ की केंद्रीय कार्यसमिति के निर्णय के अनुरूप अखिल भारतीय आंदोलन के दूसरे चरण के तहत सौंपा गया है.

ज्ञापन में बताया गया है कि भारतीय मजदूर संघ के द्वारा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात की सरकारों के द्वारा एक पक्षीय ढंग से श्रम नियमों में किए गए संशोधनों के संबंध में पारित अध्यादेशों को स्वीकृत ना करते हुए संबंधित राज्य सरकारों को वापस करने का अनुरोध किया गया है. महामारी के समय बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों ने मजदूरों का कोई ध्यान नहीं रखा. मजदूरों को समय पर वेतन नहीं दिया, जो श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात किया है.

पढ़ें: अजमेर: लॉकडाउन के दौरान आत्माओं की मुक्ति का प्रबंध, अस्थि विसर्जन के लिए दो बसों का इंतजाम

वहीं, ज्ञापन में ये भी कहा गया कि अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही एमएसएमई, किसानों और श्रमिकों के उत्थान के लिए 20 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने के केंद्र सरकार के निर्णय का भारतीय मजदूर संघ स्वागत करता है और विकसित देशों की तुलना में इस कोविड-19 महामारी से मानव जीवन के कम नुकसान के लिए भी भारतीय मजदूर संघ केंद्र सरकार को बधाई देता है. लेकिन, इसी समय भारतीय मजदूर संघ को ये कहते हुए पीड़ा होती है कि कुछ राज्य सरकारों (जैसे-उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात) ने अध्यादेश पारित कर श्रम कानूनों को 3-4 साल के लिए निरस्त करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें: लॉकडाउन के बाद मानसिक रोगियों की संख्या में हो सकता है इजाफाः मनोरोग चिकित्सक

साथ ही ज्ञापन में बताया गया है कि देश की अन्य राज्य सरकारें भी इसी रास्ते पर चलने के लिए सोच रही हैं. कई राज्य सरकारों ने भारतीय मजदूर संघ सहित अन्य श्रमिक प्रतिनिधियों से सलाह किए बिना कारखाना अधिनियम में संशोधन कर काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है, जो कि कहीं से भी उचित नहीं है.

बीकानेर. भारतीय मजदूर संघ के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को जिला कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम का ज्ञापन सौंपा. ये ज्ञापन भारतीय मजदूर संघ की केंद्रीय कार्यसमिति के निर्णय के अनुरूप अखिल भारतीय आंदोलन के दूसरे चरण के तहत सौंपा गया है.

ज्ञापन में बताया गया है कि भारतीय मजदूर संघ के द्वारा मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और गुजरात की सरकारों के द्वारा एक पक्षीय ढंग से श्रम नियमों में किए गए संशोधनों के संबंध में पारित अध्यादेशों को स्वीकृत ना करते हुए संबंधित राज्य सरकारों को वापस करने का अनुरोध किया गया है. महामारी के समय बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों ने मजदूरों का कोई ध्यान नहीं रखा. मजदूरों को समय पर वेतन नहीं दिया, जो श्रमिकों के हितों पर कुठाराघात किया है.

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वहीं, ज्ञापन में ये भी कहा गया कि अर्थव्यवस्था को पुर्नजीवित करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के साथ ही एमएसएमई, किसानों और श्रमिकों के उत्थान के लिए 20 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने के केंद्र सरकार के निर्णय का भारतीय मजदूर संघ स्वागत करता है और विकसित देशों की तुलना में इस कोविड-19 महामारी से मानव जीवन के कम नुकसान के लिए भी भारतीय मजदूर संघ केंद्र सरकार को बधाई देता है. लेकिन, इसी समय भारतीय मजदूर संघ को ये कहते हुए पीड़ा होती है कि कुछ राज्य सरकारों (जैसे-उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात) ने अध्यादेश पारित कर श्रम कानूनों को 3-4 साल के लिए निरस्त करने का निर्णय लिया है.

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साथ ही ज्ञापन में बताया गया है कि देश की अन्य राज्य सरकारें भी इसी रास्ते पर चलने के लिए सोच रही हैं. कई राज्य सरकारों ने भारतीय मजदूर संघ सहित अन्य श्रमिक प्रतिनिधियों से सलाह किए बिना कारखाना अधिनियम में संशोधन कर काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है, जो कि कहीं से भी उचित नहीं है.

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