भीलवाड़ा. जिले में नवंबर और दिसंबर महीने में बड़ी संख्या में विवाह समारोह देखने को मिलेगी. ऐसे में विवाह समारोह से पहले मकानों को पौराणिक चित्र परंपरा से निखारा जा रहा है. जहां मकानों पर कलमकार विभिन्न तरह के भित्ति चित्र बनाते दिख रहे हैं. वहीं जिले में वर्तमान युग में पौराणिक परंपरा से बारातियों के स्वागत के लिए विभिन्न कलाकृतियों के चित्र बनाए जा रहे हैं.
विवाह समारोह के मकान में चित्र बनाने वाले गोपाल आचार्य ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान युग में भी पौराणिक परंपरा कायम है. जहां वर्तमान दौर में विवाह से पहले लोग विवाह में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन विवाह के बाद पता नहीं चलता कि इस घर में शादी हुई थी या नहीं.
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वहीं कुछ विवाह समारोह वाले पौराणिक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास अभी भी कर रहे हैं. जहां विवाह से पहले मकानों पर भित्ति चित्र बनाए जा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि वर्तमान युग में भी जैसे पौराणिक परंपरा कायम है.