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विवाह से पहले घर की दीवारों पर बनाए जाने वाले ये भित्ति चित्र परंपराओं की अनूठी पहचान - विवाह समारोह आयोजित

विवाह से पहले भित्ति चित्र की पौराणिक परंपरा अभी भी कायम है. वर्तमान युग में जहां शादी विवाह में लाखों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं. वहीं भीलवाड़ा में अभी भी शादी विवाह से पहले मकानों को निखारने की पौराणिक परंपरा कायम है.

mythological tradition maintained in bhilwara, शादी विवाह से पहले पौराणिक परंपरा कायम
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Published : Nov 17, 2019, 11:20 AM IST

भीलवाड़ा. जिले में नवंबर और दिसंबर महीने में बड़ी संख्या में विवाह समारोह देखने को मिलेगी. ऐसे में विवाह समारोह से पहले मकानों को पौराणिक चित्र परंपरा से निखारा जा रहा है. जहां मकानों पर कलमकार विभिन्न तरह के भित्ति चित्र बनाते दिख रहे हैं. वहीं जिले में वर्तमान युग में पौराणिक परंपरा से बारातियों के स्वागत के लिए विभिन्न कलाकृतियों के चित्र बनाए जा रहे हैं.

वर्तमान युग में भी शादी विवाह से पहले पौराणिक परंपरा कायम

विवाह समारोह के मकान में चित्र बनाने वाले गोपाल आचार्य ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान युग में भी पौराणिक परंपरा कायम है. जहां वर्तमान दौर में विवाह से पहले लोग विवाह में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन विवाह के बाद पता नहीं चलता कि इस घर में शादी हुई थी या नहीं.

पढ़ेंः हौसले को सलाम : आधा शरीर साथ नहीं देता, बिस्तर पर लेटकर करते हैं काम

वहीं कुछ विवाह समारोह वाले पौराणिक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास अभी भी कर रहे हैं. जहां विवाह से पहले मकानों पर भित्ति चित्र बनाए जा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि वर्तमान युग में भी जैसे पौराणिक परंपरा कायम है.

भीलवाड़ा. जिले में नवंबर और दिसंबर महीने में बड़ी संख्या में विवाह समारोह देखने को मिलेगी. ऐसे में विवाह समारोह से पहले मकानों को पौराणिक चित्र परंपरा से निखारा जा रहा है. जहां मकानों पर कलमकार विभिन्न तरह के भित्ति चित्र बनाते दिख रहे हैं. वहीं जिले में वर्तमान युग में पौराणिक परंपरा से बारातियों के स्वागत के लिए विभिन्न कलाकृतियों के चित्र बनाए जा रहे हैं.

वर्तमान युग में भी शादी विवाह से पहले पौराणिक परंपरा कायम

विवाह समारोह के मकान में चित्र बनाने वाले गोपाल आचार्य ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान युग में भी पौराणिक परंपरा कायम है. जहां वर्तमान दौर में विवाह से पहले लोग विवाह में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं, लेकिन विवाह के बाद पता नहीं चलता कि इस घर में शादी हुई थी या नहीं.

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वहीं कुछ विवाह समारोह वाले पौराणिक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास अभी भी कर रहे हैं. जहां विवाह से पहले मकानों पर भित्ति चित्र बनाए जा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि वर्तमान युग में भी जैसे पौराणिक परंपरा कायम है.

Intro:भीलवाड़ा - वर्तमान ट्रेडिशनल युग में विवाह से पहले भीतीय चित्र की पौराणिक परंपरा अभी भी कायम है। वर्तमान ट्रेडिशनल युग में जहां शादी विवाह में लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं वही अभी भी शादी विवाह से पहले मकानों को निखारने की पौराणिक परंपरा कायम है।


Body:भीलवाड़ा जिले में नवंबर व दिसंबर माह में बंपर विवाह समारोह आयोजित हो रहे हैं। विवाह समारोह से पहले मकानों को पौराणिक चित्र परंपरा से निखारा जा रहा है। जहां मकानों पर कलमकार विभिन्न तरह के भीत्तीय चित्र बनाते दिख रहे हैं। भीलवाड़ा जिले में काफी संख्या में लोग भीत्तीय चित्र बनाते बिक रहे । जहा वर्तमान ट्रेडिशनल युग में पौराणिक परंपरा से बारातियों के स्वागत के लिए विभिन्न कलाकृतियों के चित्र बनाए जा रहे हैं।

विवाह समारोह के मकान में चित्र बनाने वाले गोपाल आचार्य ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वर्तमान ट्रेडिशनल युग में भी पौराणिक परंपरा कायम है। जहां वर्तमान दौर में विवाह से पहले लोग विवाह में लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर देते हैं लेकिन विवाह के बाद पता नहीं चलता कि इस घर में शादी हुई थी या नहीं। लेकिन कुछ विवाह समारोह वाले पौराणिक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास अभी भी कर रहे हैं। जहां विवाह से पहले मकानों पर भीतीय चित्र बनाए जा रहे हैं।

बाइट -गोपाल आचार्य ,भीतीय चित्र कलाकार

अब देखना यह होगा कि वर्तमान ट्रेडिशनल युग में भी पौराणिक परंपरा कायम है वास्तव में इसी तरह अगर परंपरा कायम रखेंगे तो आने वाली पीढ़ी भी पुरानी काल को याद करती रहेगी ।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा




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