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Lumpy Disease In Bikaner: कई गाय तड़प तड़प कर तोड़ रहीं दम, फैल रही दुर्गंध...प्रशासन ने दी ये सफाई

गोवंश में फैल रही लंपी स्किन डिजीज से हर रोज मवेशियों की मौत हो रही है (Lumpy Disease in Rajasthan). प्रशासन की ओर से मौत के आंकड़े भी जारी किए जा रहे हैं. प्रयासों का दावा किया जा रहा है. मौतों के आंकड़ों के साथ ही एक और सवाल मौजूं हो गया है जो मवेशियों के शवों को दफनाने से जुड़ा है. बीकानेर में दृश्य भयावह है. हालांकि प्रशासन ने अब इस पर सफाई भी दी है.

Lumpy disease cattle death in Bikaner
कई गाय तड़प तड़प कर तोड़ रहीं दम
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Published : Sep 7, 2022, 1:16 PM IST

Updated : Sep 9, 2022, 2:32 PM IST

बीकानेर. बीकानेर सहित राजस्थान के आदेश की जगह जिलों में फैली लंबी स्किन डिजीज से गाय की हर रोज मौत हो रही है (Lumpy disease cattle death). सामने जो आंकड़े आ रहे हैं वो बेहद भयावह है. हजारों की तादाद में गाय संक्रमित हो दम तोड़ रही हैं (cow death in Bikaner). पशुपालन विभाग और सरकार के स्तर पर इस बीमारी की रोकथाम को लेकर प्रयास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता इससे कहीं कोसों दूर है. वहीं प्रशासन ने इस पर सफाई दी है. कहा है कि जोड़बीड क्षेत्र में 50 सालों से मृत पशु डाले जा रहे हैं, लेकिन लंपी रोग से मृत पशुओं वहां नहीं डाला जा रहा है.

बात करें बीकानेर की तो यहां भी हजारों की संख्या में गाय इस बीमारी से संक्रमित हुई हैं और दम तोड़ चुकी हैं. अब हालात इतने हो गए हैं कि ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र में भी हर रोज मरने वाली गायों को सही ढंग से दफनाया नहीं जा रहा है. खुले में इन गायों के शवों को जानवर नोच कर खा रहे हैं. बीकानेर के शहरी क्षेत्र की आबादी के निकट ही जोड़बीड़ गिद्ध क्षेत्र है. यहां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से गिद्ध आते हैं. यहीं मृत पशुओं को यह गिद्ध खाते भी हैं.

कई गाय तड़प तड़प कर तोड़ रहीं दम

पढ़ें-Lumpy Disease: जोधपुर संभाग में गायों की मौत का आंकड़ा 3 हजार के पार...

ये भी पढ़ें-लंपी डिजीज की रोकथाम के लिए भीलवाड़ा डेयरी ने खरीदी एक लाख वैक्सीन, लगेगी मुफ्त

नगर निगम के कर्मचारी भी इसी स्थान पर लंपी से मरने वाली गायों के शव को यहीं छोड़ जाते हैं. ये आम दिनों की बात है लेकिन गायों में हो रही इस बीमारी में फिलहाल जो दृश्य दिख रहा है वो मानव संवेदनाओं को झकझोरने वाला है. इन तस्वीरों में आप साफ़ देख सकते है जोड़बीड क्षेत्र में मरने वाली गायों को किस तरह से खुले में छोड़ा गया है. इन गायों के शवों की दुर्गंध पूरे आसपास के क्षेत्र में फैल रही है. खतरा इसके बाद का है. स्थानीय लोगों को विभिन्न तरह की आशंकाओं ने घेर लिया है और वो प्रशासन के लापरवाह रवैए को कोस रहे हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में भी हालत विकट: बीकानेर में अब तक 50,000 से ज्यादा गायों के मरने की खबर है. बीकानेर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मरने वाली गायों को भी खुले में छोड़ दिया जाता है. यहां कुछ ग्रामीणों ने अपने तरीके से हल निकालने का प्रयास किया है. अपने स्तर पर गड्ढे खुदवाकर इन गाय के शवों को दफना रहे हैं.

प्रशासन ने दी सफाई

जिला प्रशासन ने दी सफाई
लंपी बीमारी में गायों की मौत के आंकड़े को छिपाने को लेकर हो रहे आरोप प्रत्यारोप के बीच बीकानेर में जोड़बीड क्षेत्र में बड़ी संख्या में मृत गायों के होने का मामला सामने आने के बाद अब बीकानेर प्रशासन इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि इस जगह पर 50 सालों से मृत पशुओं को डाला जा रहा है. जिला प्रशासन ने इस मामले में उप वन संरक्षक नगर निगम आयुक्त से मौका रिपोर्ट करवाने के बाद सफाई दी कि यह क्षेत्र गिद्ध संरक्षित है और यहां बड़ी संख्या में गिद्ध प्रवास करते हैं. उनका भोजन पशु होते हैं और बीकानेर शहरी क्षेत्र से हर दिन मरने वाले पशुओं को यही डाला जाता है.

नगर निगम के आयुक्त गोपालराम बिरदा का कहना है कि जोड़बीड़ क्षेत्र में हर रोज बीकानेर नगरीय क्षेत्र में मरने वाले पशुओं को डाला जाता है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार इन पशुओं की चर्बी और हड्डियों को निकालने का काम यहीं पर करते हैं और इसलिए मृत पशुओं के शव यहां रहते हैं लेकिन लंपी रोग से मृत पशु यहां नहीं डाला गया है. इसके लिए शहर के अन्य क्षेत्रों में अलग से उन पशुओं को दफनाया गया है. इस पूरे मामले में नगर निगम की महापौर सुशीला कंवर भी जोड़बीड़ क्षेत्र पहुंची और प्रशासन की ओर से दी गई सफाई पर विरोध जताया. उन्होंने मामले में प्रशासन की ओर से पर्दा डालने की बात कही. उन्होंने दावा भी किया कि इन मृत पशुओं में बड़ी संख्या में लंपी रोग से मरने वाली गायें भी शामिल हैं.

इन मृत पशुओं को खाने से अन्य पशु पक्षियों में लंपी रोग के होने के सवाल पर राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पशु विशेषज्ञ डॉ. एके गहलोत का कहना है कि यह होस्ट स्पेसिफिक गायों और भैंसों में ही है. इसका संक्रमण दूसरे पशु पक्षियों और इंसानों में अब तक नहीं हुआ है.

बीकानेर. बीकानेर सहित राजस्थान के आदेश की जगह जिलों में फैली लंबी स्किन डिजीज से गाय की हर रोज मौत हो रही है (Lumpy disease cattle death). सामने जो आंकड़े आ रहे हैं वो बेहद भयावह है. हजारों की तादाद में गाय संक्रमित हो दम तोड़ रही हैं (cow death in Bikaner). पशुपालन विभाग और सरकार के स्तर पर इस बीमारी की रोकथाम को लेकर प्रयास के दावे किए जा रहे हैं लेकिन वास्तविकता इससे कहीं कोसों दूर है. वहीं प्रशासन ने इस पर सफाई दी है. कहा है कि जोड़बीड क्षेत्र में 50 सालों से मृत पशु डाले जा रहे हैं, लेकिन लंपी रोग से मृत पशुओं वहां नहीं डाला जा रहा है.

बात करें बीकानेर की तो यहां भी हजारों की संख्या में गाय इस बीमारी से संक्रमित हुई हैं और दम तोड़ चुकी हैं. अब हालात इतने हो गए हैं कि ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बल्कि शहरी क्षेत्र में भी हर रोज मरने वाली गायों को सही ढंग से दफनाया नहीं जा रहा है. खुले में इन गायों के शवों को जानवर नोच कर खा रहे हैं. बीकानेर के शहरी क्षेत्र की आबादी के निकट ही जोड़बीड़ गिद्ध क्षेत्र है. यहां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से गिद्ध आते हैं. यहीं मृत पशुओं को यह गिद्ध खाते भी हैं.

कई गाय तड़प तड़प कर तोड़ रहीं दम

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नगर निगम के कर्मचारी भी इसी स्थान पर लंपी से मरने वाली गायों के शव को यहीं छोड़ जाते हैं. ये आम दिनों की बात है लेकिन गायों में हो रही इस बीमारी में फिलहाल जो दृश्य दिख रहा है वो मानव संवेदनाओं को झकझोरने वाला है. इन तस्वीरों में आप साफ़ देख सकते है जोड़बीड क्षेत्र में मरने वाली गायों को किस तरह से खुले में छोड़ा गया है. इन गायों के शवों की दुर्गंध पूरे आसपास के क्षेत्र में फैल रही है. खतरा इसके बाद का है. स्थानीय लोगों को विभिन्न तरह की आशंकाओं ने घेर लिया है और वो प्रशासन के लापरवाह रवैए को कोस रहे हैं.

ग्रामीण क्षेत्रों में भी हालत विकट: बीकानेर में अब तक 50,000 से ज्यादा गायों के मरने की खबर है. बीकानेर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मरने वाली गायों को भी खुले में छोड़ दिया जाता है. यहां कुछ ग्रामीणों ने अपने तरीके से हल निकालने का प्रयास किया है. अपने स्तर पर गड्ढे खुदवाकर इन गाय के शवों को दफना रहे हैं.

प्रशासन ने दी सफाई

जिला प्रशासन ने दी सफाई
लंपी बीमारी में गायों की मौत के आंकड़े को छिपाने को लेकर हो रहे आरोप प्रत्यारोप के बीच बीकानेर में जोड़बीड क्षेत्र में बड़ी संख्या में मृत गायों के होने का मामला सामने आने के बाद अब बीकानेर प्रशासन इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि इस जगह पर 50 सालों से मृत पशुओं को डाला जा रहा है. जिला प्रशासन ने इस मामले में उप वन संरक्षक नगर निगम आयुक्त से मौका रिपोर्ट करवाने के बाद सफाई दी कि यह क्षेत्र गिद्ध संरक्षित है और यहां बड़ी संख्या में गिद्ध प्रवास करते हैं. उनका भोजन पशु होते हैं और बीकानेर शहरी क्षेत्र से हर दिन मरने वाले पशुओं को यही डाला जाता है.

नगर निगम के आयुक्त गोपालराम बिरदा का कहना है कि जोड़बीड़ क्षेत्र में हर रोज बीकानेर नगरीय क्षेत्र में मरने वाले पशुओं को डाला जाता है. उन्होंने कहा कि ठेकेदार इन पशुओं की चर्बी और हड्डियों को निकालने का काम यहीं पर करते हैं और इसलिए मृत पशुओं के शव यहां रहते हैं लेकिन लंपी रोग से मृत पशु यहां नहीं डाला गया है. इसके लिए शहर के अन्य क्षेत्रों में अलग से उन पशुओं को दफनाया गया है. इस पूरे मामले में नगर निगम की महापौर सुशीला कंवर भी जोड़बीड़ क्षेत्र पहुंची और प्रशासन की ओर से दी गई सफाई पर विरोध जताया. उन्होंने मामले में प्रशासन की ओर से पर्दा डालने की बात कही. उन्होंने दावा भी किया कि इन मृत पशुओं में बड़ी संख्या में लंपी रोग से मरने वाली गायें भी शामिल हैं.

इन मृत पशुओं को खाने से अन्य पशु पक्षियों में लंपी रोग के होने के सवाल पर राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पशु विशेषज्ञ डॉ. एके गहलोत का कहना है कि यह होस्ट स्पेसिफिक गायों और भैंसों में ही है. इसका संक्रमण दूसरे पशु पक्षियों और इंसानों में अब तक नहीं हुआ है.

Last Updated : Sep 9, 2022, 2:32 PM IST
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