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होली विशेष: बीकानेर की होली है खास, यहां 200 सालों से चला आ रहा रम्मतों का दौर

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Published : Mar 6, 2020, 4:14 PM IST

बीकानेर में होली का त्योहार आज भी 200 साल पुरानी अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाता है, यहां होली की शुरुआत रम्मत से होती है, रम्मत यानि खेल. रम्मत लोक नाट्य की सदियों पुराणी परंपरा है, जिसमें इसके पात्र अपने संवाद को गाकर पेश करते हैं. जहां ये रम्मतों का मंचन सिर्फ देर रात को शुरू होता है सुबह सूर्योदय तक चलता है.

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200 सालों से चला आ रहा बीकानेर में रम्मतों का दौर

बीकानेर. फाल्गुनी मस्ती में डूबे बीकानेर में इन दिनों होली के रंग पूरे परवान पर है. बरसाने की लट्ठमार होली प्रसिद्ध है तो बीकानेर में भी होली का क्रेज कुछ ज्यादा ही है. यहां होली के 10 दिनों में रात में पूरा शहर जागता है और होली के गीतों के साथ चंग की थाप भी सुनाई देती है.

बसंत पंचमी के साथ रम्मतों का अभ्यास शुरू

फाल्गुनी मस्ती के साथ होली के त्योहार का क्रेज बीकानेर में कुछ ज्यादा है. होली के मौके पर बीकानेर में कई तरह के आयोजन होते हैं और इनमें सबसे अलग पारंपरिक आयोजन है रम्मत. बसंत पंचमी के साथ इन रम्मतों का अभ्यास शुरू होता है और किसी एक विषय पर हर साल रम्मत का आयोजन किया जाता है.

200 सालों से चला आ रहा बीकानेर में रम्मतों का दौर

बारहगुवाड़ चौक और भटडों के चौक पर रम्मत का आयोजन

गुरुवार देर रात बीकानेर में बिस्सों के चौक में भक्त पूरणमल की रम्मत का आयोजन शुरू हुआ, जो शुक्रवार सुबह तक चला. अलग अलग दिन में आयोजित होने वाली रम्मतों में बारहगुवाड़ चौक के साथ ही भटडों के चौक में भी रम्मत का आयोजन किया जाता है. इन रम्मतों में स्वांग मेहरी की रम्मत जमनादास कल्ला और दासी महाराज की रम्मतों का आयोजन भी होता है.

पढ़ें: कोरोना का साइड इफेक्ट: उदयपुर में इस बार नहीं होगा 'शाही होली महोत्सव'

लड़के लड़कियां बनकर खूब मचाते हैं धूम

रम्मत में शुरू से अंत तक हर कलाकार ढोल, नगाड़ों की लय पर गाकर अपनी प्रस्तुति देते हैं. इस मौके पर लड़के लड़कियां बनकर खूब धूम मचाते हैं. इन लम्हों में ख्याल चौमासो के साथ ही चुनाव की मौत पर नेताओं की ओर से एक दूसरे पर किए जाने वाले प्रत्यारोप. वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी शब्दों के माध्यम से कटाक्ष किए जाते हैं. ऐतिहासिक तथ्यों पर भी रम्मतों का विषय होता है. इसके साथ ही महंगाई, आतंकवाद जैसे विषयों पर भी मंचन किया जाता है. साथ ही कौमी एकता का संदेश भी दिया जाता है.

पढ़ें: उत्तर प्रदेश : बरसाना में खेली गई लट्ठमार होली, श्रद्धालुओं ने देखा नजारा

करीब 200 सालों से आयोजित हो रहा रम्मत

बीकानेर में होली के मौके पर करीब 200 सालों से आयोजित हो रही इन रम्मतों में रात भर तक चलते आयोजन को देखने के लिए हर उम्र के लोगों में विशेष क्रेज देखने को मिलता है. रम्मत में एक साथ तीन पीढ़ियां एक ही मंच पर मंचन करते हुए नजर आती है. रम्मत के शौकीन कन्हैयालाल कल्ला कहते है कि सालों से यह आयोजन हो रहे हैं और बीकानेर में विरासत के संवर्धन का एक बेहतर प्रयास है. रम्मत के कलाकार मनोज कुमार व्यास कहते हैं कि अपनी परंपरा को जिंदा रखने के लिए हम लोग यह प्रयास कर रहे हैं और भक्त पूर्णमल और शहजादी नौटंकी की रम्मत बिस्सों के चौक में आयोजित की जाती है. एक बार के अंतराल में दोनों रम्मत की जाती है.

बीकानेर. फाल्गुनी मस्ती में डूबे बीकानेर में इन दिनों होली के रंग पूरे परवान पर है. बरसाने की लट्ठमार होली प्रसिद्ध है तो बीकानेर में भी होली का क्रेज कुछ ज्यादा ही है. यहां होली के 10 दिनों में रात में पूरा शहर जागता है और होली के गीतों के साथ चंग की थाप भी सुनाई देती है.

बसंत पंचमी के साथ रम्मतों का अभ्यास शुरू

फाल्गुनी मस्ती के साथ होली के त्योहार का क्रेज बीकानेर में कुछ ज्यादा है. होली के मौके पर बीकानेर में कई तरह के आयोजन होते हैं और इनमें सबसे अलग पारंपरिक आयोजन है रम्मत. बसंत पंचमी के साथ इन रम्मतों का अभ्यास शुरू होता है और किसी एक विषय पर हर साल रम्मत का आयोजन किया जाता है.

200 सालों से चला आ रहा बीकानेर में रम्मतों का दौर

बारहगुवाड़ चौक और भटडों के चौक पर रम्मत का आयोजन

गुरुवार देर रात बीकानेर में बिस्सों के चौक में भक्त पूरणमल की रम्मत का आयोजन शुरू हुआ, जो शुक्रवार सुबह तक चला. अलग अलग दिन में आयोजित होने वाली रम्मतों में बारहगुवाड़ चौक के साथ ही भटडों के चौक में भी रम्मत का आयोजन किया जाता है. इन रम्मतों में स्वांग मेहरी की रम्मत जमनादास कल्ला और दासी महाराज की रम्मतों का आयोजन भी होता है.

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लड़के लड़कियां बनकर खूब मचाते हैं धूम

रम्मत में शुरू से अंत तक हर कलाकार ढोल, नगाड़ों की लय पर गाकर अपनी प्रस्तुति देते हैं. इस मौके पर लड़के लड़कियां बनकर खूब धूम मचाते हैं. इन लम्हों में ख्याल चौमासो के साथ ही चुनाव की मौत पर नेताओं की ओर से एक दूसरे पर किए जाने वाले प्रत्यारोप. वर्तमान राजनीतिक हालातों पर भी शब्दों के माध्यम से कटाक्ष किए जाते हैं. ऐतिहासिक तथ्यों पर भी रम्मतों का विषय होता है. इसके साथ ही महंगाई, आतंकवाद जैसे विषयों पर भी मंचन किया जाता है. साथ ही कौमी एकता का संदेश भी दिया जाता है.

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करीब 200 सालों से आयोजित हो रहा रम्मत

बीकानेर में होली के मौके पर करीब 200 सालों से आयोजित हो रही इन रम्मतों में रात भर तक चलते आयोजन को देखने के लिए हर उम्र के लोगों में विशेष क्रेज देखने को मिलता है. रम्मत में एक साथ तीन पीढ़ियां एक ही मंच पर मंचन करते हुए नजर आती है. रम्मत के शौकीन कन्हैयालाल कल्ला कहते है कि सालों से यह आयोजन हो रहे हैं और बीकानेर में विरासत के संवर्धन का एक बेहतर प्रयास है. रम्मत के कलाकार मनोज कुमार व्यास कहते हैं कि अपनी परंपरा को जिंदा रखने के लिए हम लोग यह प्रयास कर रहे हैं और भक्त पूर्णमल और शहजादी नौटंकी की रम्मत बिस्सों के चौक में आयोजित की जाती है. एक बार के अंतराल में दोनों रम्मत की जाती है.

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