ETV Bharat / city

SPECIAL : राजस्थानी फिल्मों पर सरकार की बेरुखी...नहीं मिल रहा अनुदान, फिल्मकार निराश

राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर लगातार संघर्ष चल रहा है. संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए किए गए अब तक के सारे प्रयास विफल हुए हैं. राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए माहौल तैयार करने में राजस्थानी सिनेमा का काफी बड़ा योगदान है. लेकिन खुद राजस्थानी सिनेमा ही उपेक्षित है. सरकारी स्तर पर उपेक्षित राजस्थानी सिनेमा आज तक वह पहचान नहीं बना पाया जो देश के अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के सिनेमा की है.

author img

By

Published : Mar 16, 2021, 6:51 PM IST

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
हाशिये पर है राजस्थानी सिनेमा

बीकानेर. राजस्थानी सिनेमा का कभी सुनहरा दौर आया था जब बाई चाली सासरिये, सुपात्तर बींदणी और नानी बाई रो मायरो जैसी सुपरहिट फिल्मों ने बॉलीवुड तक को प्रभावित किया था. लेकिन धीरे-धीरे राजस्थानी सिनेमा उपेक्षा का शिकार होता चला गया और अपनी पहचान खोता चला गया. देखिये राजस्थानी फिल्मों से जुड़े निर्माताओं और कलाकारों का दर्द बयान करती ये रिपोर्ट...

हाशिये पर है राजस्थानी सिनेमा, सरकार से मदद की उम्मीद

रंगमंच और सिनेमा व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर सीधा असर डालते हैं. मनोरंजन के साथ-साथ एक मैसेज देने का काम फिल्मकार अपनी फिल्म के जरिए करते हैं. मल्टीस्टारर हिंदी फिल्मों की बजाय क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्में ज्यादा गहराई से सामाजिक संदेश देती हैं.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी फिल्में देती हैं सामाजिक संदेश

क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में किसी कुरीति, सामाजिक रूढ़िवादिता और व्यवस्था को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं. आमजन के मानस पर ये गहरा प्रभाव भी डालती हैं. बॉलीवुड के मुकाबले क्षेत्रीय भाषाओं में दक्षिण भारतीय फिल्मों का अपना एक अलग महत्व है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने का बड़ा जरिया हो सकती हैं फिल्में

मराठी और गुजराती क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में भी आती रहती हैं. लेकिन राजस्थान जहां 7 करोड़ लोग राजस्थानी भाषा जानते-बोलते हैं वहां राजस्थानी सिनेमा उपेक्षित है.

जिस तरह राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिली है, उसी तरह राजस्थानी सिनेमा को लेकर भी सरकारों ने इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए. राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान की घोषणा हर सरकार करती है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा को फिर से जीवंत करने की जरूरत

हाल ही में जारी हुए बजट में राजस्थानी फिल्मों को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख का अनुदान देने की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में की थी.

पढ़ें- सिहर उठा राजस्थान: 15 साल की लड़की को 9 दिन तक नोंचते रहे 18 दरिंदे, बारी-बारी से किया रेप, 20 गिरफ्तार

सरकारी स्तर पर हुई इन घोषणाओं से राजस्थानी फिल्मकारों को सीधा फायदा होते नजर नहीं आ रहा है. पिछला ट्रैक रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी है. राजस्थानी फिल्मकार और प्रसिद्ध राजस्थानी फिल्म सुपातर बीनणी के निर्माता और निर्देशक शिरीष कुमार कहते हैं कि मायड़ भाषा इतनी समृद्ध है कि इसका कोई सानी नहीं है. वे कहते हैं कि राजस्थानी फिल्म को बनाना अपने आप में बड़ी चुनौती है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा से जुड़े कलाकारों की पीड़ा

शिरीष का कहना है कि बावजूद इसके भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए किए गए प्रयासों को सरकार के स्तर पर कोई सराहना नहीं मिलती. वे कहते हैं कि आज भी उनकी दो फिल्में 10 साल से अनुदान के लिए सरकारी फाइलों में बंद हैं.

हाल ही में पूरी हुई राजस्थानी फिल्मों पीसो से को बाप के अभिनेता बनवारी शर्मा कहते हैं कि जब तक सरकार के स्तर पर राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर प्रयास नहीं किए जाएंगे, तब तक राजस्थानी सिनेमा के अच्छा दिन नहीं आ सकते.

वे कहते हैं अनुदान के अलावा सरकार को स्कूलों में राजस्थानी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर देनी चाहिए. ताकि राजस्थानी भाषा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़े और राजस्थानी सिनेमा को भी दर्शक मिलें.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थान की फिल्मों को नहीं मिलते हैं स्पांसर

राजस्थानी फिल्मों के अभिनेता विजय सिंह कहते हैं कि 1956 से अब तक तकरीबन 112 के करीब राजस्थानी फिल्मों का निर्माण हुआ है. 1980 के बाद राजस्थानी फिल्मों को लेकर फिल्म निर्माताओं में रुचि बढ़ी.

वे कहते हैं कि पिछले दशक से फिर से एक बार राजस्थानी फिल्मों को लेकर निर्माता दूर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर केवल घोषणा है कागजों में ही नजर आ रही है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
आज बाकी क्षेत्रीय सिनेमा की तुलना में पिछड़ गया है राजस्थानी सिनेमा

विजय सिंह कहते हैं कि राजस्थानी फिल्मों और यहां की बोली को आगे बढ़ाने के लिए सरकारों को वाकई में प्रयास करने होंगे. केवल कागजी प्रयासों से राजस्थानी सिनेमा का उत्थान नहीं हो सकता.

पढ़ें- चूरू : मां के मर्डर से पहले बेटी ने चलाया म्यूजिक, फिर हथौड़े के वार से उतारा मौत के घाट

राजस्थानी सिनेमा के निर्माताओं-अभिनेताओं के सरकार के इस तर्क पर बेरुखी के सवाल को सिरे से खारिज करते हुए प्रदेश की कला संस्कृति मंत्री डॉ बीडी कल्ला कहते हैं कि यह बात पूरी तरह से गलत है कि राजस्थानी फिल्मों को अनुदान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि पिछले साल ही मेरी अध्यक्षता में बनी कमेटी में कुछ फिल्मों को अनुदान स्वीकृत किया गया है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा का समृद्ध इतिहास रहा है

मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि केवल राजस्थानी फिल्म होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि संपूर्ण रूप से राजस्थानी भाषा में ही बनी फिल्म जरूरी है. साथ ही राजस्थान में ही इसकी शूटिंग हुई हो. इसके अलावा सामाजिक स्तर पर भी एक संदेश उस फिल्म में दिया जाए. ताकि सामाजिक कुरीति या व्यवस्था के खिलाफ फिल्म के बहाने लोगों में जागरूकता आए, ऐसी ही फिल्में अनुदान के लिए पात्र होंगी.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी फिल्में तरस रही हैं सरकारी अनुदान के लिए

कुल मिलाकर इतना तो तय है कि राजस्थानी भाषा के सिनेमा को लेकर सरकारी स्तर पर इतने गंभीर प्रयास नजर नहीं आते. ऐसे में कहीं न कहीं सरकार को भी अपने स्तर पर आगे बढ़कर राजस्थानी भाषा सिनेमा को लेकर प्रशासन की एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे फिल्म निर्माता राजस्थानी भाषा सिनेमा की तरफ आकर्षित हों और राजस्थानी सिनेमा को एक मुकाम मिल सके.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी बोली-भाषा के विकास के लिए जरूरी है सिनेमा का समृद्ध होना

इतना तो साफ है कि जिस स्तर पर देश की दूसरी भाषाओं के सिनेमा को तवज्जो मिली है और उनका दर्शक वर्ग है. उतना राजस्थानी भाषा सिनेमा के प्रति नहीं है. जबकि राजस्थानी भाषा बोलचाल में सात करोड़ से भी ज्यादा लोगों की जुबान पर है. जो देश की कुल आबादी का 5% से भी ज्यादा है. राजस्थानी सिनेमा को अच्छे दिनों का इंतजार है.

बीकानेर. राजस्थानी सिनेमा का कभी सुनहरा दौर आया था जब बाई चाली सासरिये, सुपात्तर बींदणी और नानी बाई रो मायरो जैसी सुपरहिट फिल्मों ने बॉलीवुड तक को प्रभावित किया था. लेकिन धीरे-धीरे राजस्थानी सिनेमा उपेक्षा का शिकार होता चला गया और अपनी पहचान खोता चला गया. देखिये राजस्थानी फिल्मों से जुड़े निर्माताओं और कलाकारों का दर्द बयान करती ये रिपोर्ट...

हाशिये पर है राजस्थानी सिनेमा, सरकार से मदद की उम्मीद

रंगमंच और सिनेमा व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर सीधा असर डालते हैं. मनोरंजन के साथ-साथ एक मैसेज देने का काम फिल्मकार अपनी फिल्म के जरिए करते हैं. मल्टीस्टारर हिंदी फिल्मों की बजाय क्षेत्रीय भाषाओं में बनी फिल्में ज्यादा गहराई से सामाजिक संदेश देती हैं.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी फिल्में देती हैं सामाजिक संदेश

क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में किसी कुरीति, सामाजिक रूढ़िवादिता और व्यवस्था को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं. आमजन के मानस पर ये गहरा प्रभाव भी डालती हैं. बॉलीवुड के मुकाबले क्षेत्रीय भाषाओं में दक्षिण भारतीय फिल्मों का अपना एक अलग महत्व है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने का बड़ा जरिया हो सकती हैं फिल्में

मराठी और गुजराती क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में भी आती रहती हैं. लेकिन राजस्थान जहां 7 करोड़ लोग राजस्थानी भाषा जानते-बोलते हैं वहां राजस्थानी सिनेमा उपेक्षित है.

जिस तरह राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में मान्यता नहीं मिली है, उसी तरह राजस्थानी सिनेमा को लेकर भी सरकारों ने इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास नहीं किए. राजस्थानी सिनेमा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर अनुदान की घोषणा हर सरकार करती है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा को फिर से जीवंत करने की जरूरत

हाल ही में जारी हुए बजट में राजस्थानी फिल्मों को 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख का अनुदान देने की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में की थी.

पढ़ें- सिहर उठा राजस्थान: 15 साल की लड़की को 9 दिन तक नोंचते रहे 18 दरिंदे, बारी-बारी से किया रेप, 20 गिरफ्तार

सरकारी स्तर पर हुई इन घोषणाओं से राजस्थानी फिल्मकारों को सीधा फायदा होते नजर नहीं आ रहा है. पिछला ट्रैक रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी है. राजस्थानी फिल्मकार और प्रसिद्ध राजस्थानी फिल्म सुपातर बीनणी के निर्माता और निर्देशक शिरीष कुमार कहते हैं कि मायड़ भाषा इतनी समृद्ध है कि इसका कोई सानी नहीं है. वे कहते हैं कि राजस्थानी फिल्म को बनाना अपने आप में बड़ी चुनौती है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा से जुड़े कलाकारों की पीड़ा

शिरीष का कहना है कि बावजूद इसके भाषा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए किए गए प्रयासों को सरकार के स्तर पर कोई सराहना नहीं मिलती. वे कहते हैं कि आज भी उनकी दो फिल्में 10 साल से अनुदान के लिए सरकारी फाइलों में बंद हैं.

हाल ही में पूरी हुई राजस्थानी फिल्मों पीसो से को बाप के अभिनेता बनवारी शर्मा कहते हैं कि जब तक सरकार के स्तर पर राजस्थानी भाषा की मान्यता को लेकर प्रयास नहीं किए जाएंगे, तब तक राजस्थानी सिनेमा के अच्छा दिन नहीं आ सकते.

वे कहते हैं अनुदान के अलावा सरकार को स्कूलों में राजस्थानी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर देनी चाहिए. ताकि राजस्थानी भाषा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़े और राजस्थानी सिनेमा को भी दर्शक मिलें.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थान की फिल्मों को नहीं मिलते हैं स्पांसर

राजस्थानी फिल्मों के अभिनेता विजय सिंह कहते हैं कि 1956 से अब तक तकरीबन 112 के करीब राजस्थानी फिल्मों का निर्माण हुआ है. 1980 के बाद राजस्थानी फिल्मों को लेकर फिल्म निर्माताओं में रुचि बढ़ी.

वे कहते हैं कि पिछले दशक से फिर से एक बार राजस्थानी फिल्मों को लेकर निर्माता दूर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी स्तर पर केवल घोषणा है कागजों में ही नजर आ रही है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
आज बाकी क्षेत्रीय सिनेमा की तुलना में पिछड़ गया है राजस्थानी सिनेमा

विजय सिंह कहते हैं कि राजस्थानी फिल्मों और यहां की बोली को आगे बढ़ाने के लिए सरकारों को वाकई में प्रयास करने होंगे. केवल कागजी प्रयासों से राजस्थानी सिनेमा का उत्थान नहीं हो सकता.

पढ़ें- चूरू : मां के मर्डर से पहले बेटी ने चलाया म्यूजिक, फिर हथौड़े के वार से उतारा मौत के घाट

राजस्थानी सिनेमा के निर्माताओं-अभिनेताओं के सरकार के इस तर्क पर बेरुखी के सवाल को सिरे से खारिज करते हुए प्रदेश की कला संस्कृति मंत्री डॉ बीडी कल्ला कहते हैं कि यह बात पूरी तरह से गलत है कि राजस्थानी फिल्मों को अनुदान नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि पिछले साल ही मेरी अध्यक्षता में बनी कमेटी में कुछ फिल्मों को अनुदान स्वीकृत किया गया है.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी सिनेमा का समृद्ध इतिहास रहा है

मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि केवल राजस्थानी फिल्म होना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि संपूर्ण रूप से राजस्थानी भाषा में ही बनी फिल्म जरूरी है. साथ ही राजस्थान में ही इसकी शूटिंग हुई हो. इसके अलावा सामाजिक स्तर पर भी एक संदेश उस फिल्म में दिया जाए. ताकि सामाजिक कुरीति या व्यवस्था के खिलाफ फिल्म के बहाने लोगों में जागरूकता आए, ऐसी ही फिल्में अनुदान के लिए पात्र होंगी.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी फिल्में तरस रही हैं सरकारी अनुदान के लिए

कुल मिलाकर इतना तो तय है कि राजस्थानी भाषा के सिनेमा को लेकर सरकारी स्तर पर इतने गंभीर प्रयास नजर नहीं आते. ऐसे में कहीं न कहीं सरकार को भी अपने स्तर पर आगे बढ़कर राजस्थानी भाषा सिनेमा को लेकर प्रशासन की एक ऐसी नीति बनानी चाहिए जिससे फिल्म निर्माता राजस्थानी भाषा सिनेमा की तरफ आकर्षित हों और राजस्थानी सिनेमा को एक मुकाम मिल सके.

Rajasthani films, Rajasthani films Grant,  Rajasthani filmmakers
राजस्थानी बोली-भाषा के विकास के लिए जरूरी है सिनेमा का समृद्ध होना

इतना तो साफ है कि जिस स्तर पर देश की दूसरी भाषाओं के सिनेमा को तवज्जो मिली है और उनका दर्शक वर्ग है. उतना राजस्थानी भाषा सिनेमा के प्रति नहीं है. जबकि राजस्थानी भाषा बोलचाल में सात करोड़ से भी ज्यादा लोगों की जुबान पर है. जो देश की कुल आबादी का 5% से भी ज्यादा है. राजस्थानी सिनेमा को अच्छे दिनों का इंतजार है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.