बीकानेर. अक्सर हमने फिल्मों में कलाकरों को बोलते सुना है कि मुंछे हो तो नत्थूलाल जैसी. लेकिन बीकानेर के अंतर्राष्ट्रीय ऊंट उत्सव में एक व्यक्ति ऐसे भी है जिनकी मूंछे शायद नत्थूलाल की मूंछो को भी टक्कर दे दे. जिले में लोग कहते है कि मूंछे हो तो गिरधर व्यास जैसी.
बात करे बीकानेर के ऊंट उत्सव की तो यह अपनी एक खास पहचान रखता है. पिछले 26 सालों में धीरे-धीरे हर बार ऊंट उत्सव में देशी और विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या यह बताने के लिए काफी है कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर ऊंट उत्सव बीकानेर की पहचान बन चुका है. अंतर्राष्ट्रीय उत्सव के आगाज के दिन भी गिरधर व्यास सबके आकर्षण का केंद्र रहे. उत्सव में जब अपनी मूंछों का प्रदर्शन करने के लिए गिरधर व्यास मंच पर चढ़े और धीरे-धीरे अपनी मूंछों को खोलने लगे तो वहां बैठे हर देशी और विदेशी सैलानियों ने आश्चचर्य से दांतों तले अंगुली दबा ली.
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वहीं, उंट उत्सव में अपनी मूछों के प्रदर्शन से पहले ही ईटीवी भारत के दर्शकों के लिए मूछें दिखाते हुए गिरधर व्यास ने कहा कि मूछों की इतनी बड़ी लंबाई के लिए उन्हें काफी समय लगा है. उन्होंने कभी साबुन और शैंपू का इस्तेमाल मूछों को साफ करने के लिए नहीं किया है. बल्कि मुल्तानी मिट्टी से ही मूछों को धोते हैं. इस काम में उनके परिवार के सदस्य भी उनकी मदद करते हैं. गिरधर व्यास अपने मूंछों के बारे में कहते हैं कि मूछों को बढ़ाने की प्रेरणा उनको अपनी पत्नी से मिली. क्योंकि मैं खुद की पहचान बनाना चाहता था. इसलिए मैंने मूछों को बढ़ाना शुरू किया और कई सालों की बात धीरे धीरे लोग मेरी मूछों की चर्चा करने लग गए जिसके बाद मेरा रुझान और बढ़ गया और अब यह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया.