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SPECIAL: कोरोना का इफेक्ट नहीं हुआ खत्म, बाकी सभी बीमारियों के इलाज पर लगा ब्रेक

कोरोना के चलते हर गतिविधि पर असर पड़ा है. उद्योग धंधों के साथ ही हर व्यावसायिक गतिविधि में कोरोना का साफ असर दिख रहा है. लेकिन खुद कोरोना का इलाज करने वाले अस्पताल भी इससे अछूते नहीं हैं. कोरोना के चलते अस्पताल में अब रूटीन ऑपरेशन पूरी तरह से रुक गए हैं. वहीं बहुत आपात स्थिति में ही अब अस्पताल में दूसरी बीमारियों के ऑपेरशन किये जा रहे हैं.

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कोरोना के अलावा सभी बीमारियों के इलाज पर लगा ब्रेक
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Published : Nov 21, 2020, 10:44 PM IST

बीकानेर. कोरोना का इफेक्ट पूरी दुनिया पर देखने को मिला और पिछले 8 महीनों में लगभग देश और दुनिया में हर गतिविधि कोरोना के चलते प्रभावित हुई है. लेकिन हैरत की बात यह है कि कोरोना का इलाज करने वाले अस्पताल भी कोरोना के इफेक्ट से प्रभावित हुए हैं. जी हां, प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं.

कोरोना के अलावा सभी बीमारियों के इलाज पर लगा ब्रेक

दरअसल, बीकानेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम अस्पताल में न सिर्फ बीकानेर संभाग बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब के सीमावर्ती जिलों के लोग भी इलाज के लिए पहुंचते हैं. बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में कैंसर हार्ट और अन्य न्यूरो संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले लोगों को इन दिनों कोरोना के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि लॉकडाउन के चलते अस्पताल में कोरोना के अलावा दूसरे मरीज नहीं आ रहे थे. जिसके चलते दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले मरीज बिल्कुल बंद हो गए. लेकिन अब अनलॉक के बाद भी हालात कमोबेश वैसे ही है.

बता दें कि अनलॉक के बाद भी अभी तक अस्पताल में जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं और दूसरे टाले जा सकने वाले ऑपरेशन को लगातार टाला ही जा रहा है. यही कारण है अभी तक भी अस्पताल में दूसरी बीमारियों के मरीजों के इलाज को लेकर व्यवस्था पूरी तरह से शुरू नहीं हुई है. हालांकि अस्पताल में ओपीडी में अब मरीजों की भीड़ पहले की तरह होनी शुरू हो गई है, लेकिन सर्जरी के मामले में हालात अलग हैं. पीबीएम अस्पताल के नवनियुक्त अधीक्षक डॉ परमेंद्र सिरोही कहते हैं कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में साधन नहीं होने से मरीज नहीं आ रहे थे. लेकिन अब अनलॉक के बाद मौसमी बीमारियों के साथ ही दूसरी बीमारियों के मरीज आ रहे हैं और ओपीडी में लगातार मरीजों की भीड़ भी बढ़ रही है.

पढ़ेंः बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय ने स्थगित कीं परीक्षाएं

उन्होंने कहा कि अब अनलॉक होने के बाद चुनाव, विवाह आयोजन, त्योंहार मनाए जा रहे हैं. ऐसे में अब अस्पताल भी पूरी तरह से रनिंग मोड में है. हालांकि अस्पताल में होने वाली सर्जरी जिसमें मेजर और माइनर ऑपरेशन में आई कमी को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में अभी तक जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं और जिन ऑपरेशंस को डाला जा सकता है उन्हें डाला जा रहा है. उनका कहना था कि कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और अस्पताल संक्रमण का एक बड़ा केंद्र है.

पढ़ेंः कोटा में कोविड-19 की दूसरी लहर शुरू, ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत: डॉ. विजय सरदाना

उन्होंने कहा कि ऐसे में अस्पताल में बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही आना चाहिए और इसी को ध्यान में रखते हुए मरीजों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य के चलते सावधानी बरती जा रही है. हालांकि अस्पताल में होने वाली ऑपरेशन में भी मरीज की कोरोना की जांच जरूरी है. दरअसल अस्पताल में ऑपरेशंस में 90 फीसदी तक की गिरावट आ गई है. साल 2019 में जहां 50 हजार से ज्यादा ऑपरेशन हुए तो वहीं साल 2020 में अक्टूबर माह तक महज 6 हजार ऑपरेशन ही हुए. इनमें भी अप्रैल मई और जून में पूरी तरह से नगण्य ही रही.

बीकानेर. कोरोना का इफेक्ट पूरी दुनिया पर देखने को मिला और पिछले 8 महीनों में लगभग देश और दुनिया में हर गतिविधि कोरोना के चलते प्रभावित हुई है. लेकिन हैरत की बात यह है कि कोरोना का इलाज करने वाले अस्पताल भी कोरोना के इफेक्ट से प्रभावित हुए हैं. जी हां, प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं.

कोरोना के अलावा सभी बीमारियों के इलाज पर लगा ब्रेक

दरअसल, बीकानेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम अस्पताल में न सिर्फ बीकानेर संभाग बल्कि पड़ोसी राज्य हरियाणा और पंजाब के सीमावर्ती जिलों के लोग भी इलाज के लिए पहुंचते हैं. बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में कैंसर हार्ट और अन्य न्यूरो संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले लोगों को इन दिनों कोरोना के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि लॉकडाउन के चलते अस्पताल में कोरोना के अलावा दूसरे मरीज नहीं आ रहे थे. जिसके चलते दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए आने वाले मरीज बिल्कुल बंद हो गए. लेकिन अब अनलॉक के बाद भी हालात कमोबेश वैसे ही है.

बता दें कि अनलॉक के बाद भी अभी तक अस्पताल में जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं और दूसरे टाले जा सकने वाले ऑपरेशन को लगातार टाला ही जा रहा है. यही कारण है अभी तक भी अस्पताल में दूसरी बीमारियों के मरीजों के इलाज को लेकर व्यवस्था पूरी तरह से शुरू नहीं हुई है. हालांकि अस्पताल में ओपीडी में अब मरीजों की भीड़ पहले की तरह होनी शुरू हो गई है, लेकिन सर्जरी के मामले में हालात अलग हैं. पीबीएम अस्पताल के नवनियुक्त अधीक्षक डॉ परमेंद्र सिरोही कहते हैं कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में साधन नहीं होने से मरीज नहीं आ रहे थे. लेकिन अब अनलॉक के बाद मौसमी बीमारियों के साथ ही दूसरी बीमारियों के मरीज आ रहे हैं और ओपीडी में लगातार मरीजों की भीड़ भी बढ़ रही है.

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उन्होंने कहा कि अब अनलॉक होने के बाद चुनाव, विवाह आयोजन, त्योंहार मनाए जा रहे हैं. ऐसे में अब अस्पताल भी पूरी तरह से रनिंग मोड में है. हालांकि अस्पताल में होने वाली सर्जरी जिसमें मेजर और माइनर ऑपरेशन में आई कमी को स्वीकारते हुए उन्होंने कहा कि अस्पताल में अभी तक जरूरी ऑपरेशन ही किए जा रहे हैं और जिन ऑपरेशंस को डाला जा सकता है उन्हें डाला जा रहा है. उनका कहना था कि कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ रहा है और अस्पताल संक्रमण का एक बड़ा केंद्र है.

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उन्होंने कहा कि ऐसे में अस्पताल में बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही आना चाहिए और इसी को ध्यान में रखते हुए मरीजों और उनके परिजनों के स्वास्थ्य के चलते सावधानी बरती जा रही है. हालांकि अस्पताल में होने वाली ऑपरेशन में भी मरीज की कोरोना की जांच जरूरी है. दरअसल अस्पताल में ऑपरेशंस में 90 फीसदी तक की गिरावट आ गई है. साल 2019 में जहां 50 हजार से ज्यादा ऑपरेशन हुए तो वहीं साल 2020 में अक्टूबर माह तक महज 6 हजार ऑपरेशन ही हुए. इनमें भी अप्रैल मई और जून में पूरी तरह से नगण्य ही रही.

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