बीकानेर. अपने रसगुल्ले की मिठास और नमकीन के तीखेपन के जायके के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर का यह उद्योग इन दिनों संकट में है. दरअसल कोरोना से हुए लॉकडाउन के बाद रसगुल्ला और नमकीन का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया, जिसके चलते एकबारगी व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया. अनलॉक 4 की तैयारी के बीच भी हालात सुधरे नहीं हैं.
बीकानेर में हर दिन बड़ी मात्रा में रसगुल्ला और भुजिया की खपत स्थानीय स्तर पर होती है तो साथ ही देश और विदेश में भी इसकी बड़ी डिमांड है. बीकानेर में हर दिन उत्पादन होने वाले रसगुल्ला और भुजिया की सप्लाई पूरे देश और दुनिया में कई देशों में होती है. देश के नामचीन ब्रांड बीकानेर में हैं, लेकिन इन दिनों सब की हालत खस्ता है. जिन इकाइयों में साल के 365 दिन 24 घंटे उत्पादन हुआ करता था, वहां महज दिन में 8 घंटे ही बमुश्किल से काम हो रहा है.
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बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया की करीब 400 से 500 यूनिट हैं, जहां हर दिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता है, लेकिन लॉकडाउन में बंद हुआ कारोबार अब तक पटरी पर नहीं लौटा है. अब अनलॉक 4 की तैयारी के बीच भी उत्पादन और खपत इतनी ही है, जितनी कि लॉकडाउन खुलने के बाद एकबारगी शुरू हुई थी.
रसगुल्ला व्यवसायी जगमोहन जोशी कहते हैं कि सरकार अनलॉक 4 लागू कर रही है, लेकिन अभी तक भी हालात नहीं सुधरे हैं. उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन रेलवे पर भी बड़ी निर्भरता है, जिसके चलते भी व्यवसाय प्रभावित है. वहीं श्रमिकों की कमी भी एक कारण है, हालांकि प्रोडक्शन नहीं है, इसलिए श्रमिकों की कमी एकबारगी खल नहीं रही है. उन्होंने कहा कि पूर्णा इससे पहले की तुलना में अभी तक महज 25 से 30 फीसदी कारोबार ही चल रहा है, जिसमें भी आसपास के लोग अपने स्तर पर निजी वाहन लेकर आते हैं और रसगुल्ला और भुजिया लेकर चले जाते हैं.
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वहीं कारोबारी ओम प्रकाश गहलोत कहते हैं कि कोरोना ने व्यवसाय को बुरी तरह से प्रभावित किया है. बीकानेर की पहचान और उद्योगों की रीढ़ रसगुल्ला और भुजिया का कारोबार कोरोना के चलते पूरी तरह से लड़खड़ा गया है. उन्होंने कहा कि महज 20-25 फीसदी कारोबार अभी हो रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में भी हालात सुधरते नहीं नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्टेशन खुलने के बाद स्थित सुधरने की उम्मीद है, लेकिन जिस तरह से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है, उसके चलते अभी व्यवसाय के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद नहीं है.
श्रमिक भी पूरी तरह से नहीं लौटे
दरअसल रेल आवागमन पूरी तरह से शुरू होने के बाद इस व्यवसाय के पटरी पर लौटने की उम्मीद है. वहीं अभी तक यहां काम करने वाले श्रमिक भी लॉकडाउन के दौरान अपने घर चले गए थे, जो अभी तक नहीं लौटे हैं. रेल शुरू होने के बाद वह भी वापस लौटेंगे, लेकिन उससे पहले रसगुल्ला और भुजिया की डिमांड होगी तो उन पर भी रोजगार का संकट नहीं होगा. अन्यथा उन पर भी रोजगार का संकट मंडराने का खतरा नजर आ रहा है.
पहली बार हुई ऐसी स्थिति
बीकानेर की व्यापारियों की मानें तो पहली बार ऐसी स्थिति हुई है कि यहां के रसगुल्ला और भुजिया के उत्पादन में इतनी गिरावट आई है. अब जबकि आने वाले दिनों में दीपावली और नवरात्रि का त्यौहार सामने है, ऐसे में अभी तक उत्पादन में आई गिरावट के चलते व्यापारी भी परेशान हैं. बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया के उद्योगों में इस तरह के हालात पहली बार देखने को मिले हैं.