बीकानेर. इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल (International Camel Festival 2022) के दूसरे दिन बीकानेर में राजस्थान की सतरंगी संस्कृति साकार होते नजर आई. कैमल फेस्टिवल के दूसरे दिन म्यूजियम से जूनागढ़ तक कार्निवल शो (Camel Festival Carnival Show) आयोजित हुआ. जिसमें अलग-अलग परिधानों में सजे राजस्थानी और अन्य राज्यों के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया.
मरुभूमि के रुतबे में चार चांद लगाया साफे और पगड़ियों में सजे ऊंट सवारों ने. कार्निवल में ऊंटों का लवाजमा भी नजर आया. ऊंटों के विभिन्न करतब देख दर्शकों ने दांतों तले अंगुली दबा ली. कैमल फेस्टिवल के दूसरे दिन शाम को आयोजित हुए विभिन्न आयोजनों में तांगा सफारी, ऊंट गाड़ी सवारी और विभिन्न तरह के पारंपरिक नृत्यों ने पूरे कार्यक्रम में समां बांध दिया.
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पब्लिक पार्क में आयोजित कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने खास बंदोबस्त किए. कलेक्ट्रेट परिसर से लेकर पब्लिक पार्क तक पूरे क्षेत्र को रोशनी से सजाया गया. ऊंट उत्सव को देखने के लिए प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से लोग पधारे. जयपुर से आए युवा पृथु पारीक ने अपना अनुभव साझा किया. कहा- ऊंट उत्सव के बारे में काफी कुछ सुना था. आज तक केवल मेन स्ट्रीम और सोशल मीडिया के जरिए इसके बारे में देखा और पढ़ा था. आज पहली बार देखा तो वाकई में हैरत में पड़ गया.
जोधपुर से आईं मनीषा ने इसे संस्कृति के नजरिए से अहम बताया. कहा- संस्कृति के पोषक के रूप में है और राजस्थान की संस्कृति को जिंदा रखने के लिए इस तरह के आयोजन होने चाहिए.
ऊंट उत्सव 27 साल (27 Years Of Camel Festival) से हो रहा है. तब विदेशी और देशी पर्यटकों को बीकानेर की तरफ आकर्षित करने के लिए इसे शुरू किया गया. कोविड की वजह से इस पर ब्रेक लगी तो इस बार जनवरी के बजाए मार्च में इसे टाल दिया गया. शायद इसी वजह से विदेशी पर्यटकों की कमी फेस्टिवल में महसूस की जा रही है.