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बीकानेर में खुल गए बाजार, लेकिन नहीं लौटी खरीदारों की रौनक - corona effect on bikaner market

कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से बीकानेर के बाजार पूरी तरह से बंद हो गए. ऐसे में लॉकडाउन में राहत दिए जाने के बाद भी बाजारों में ग्राहकों की रौनक नहीं लौट रही है. जिसके चलते बीकानेर में दुकानदारों की चिंता बढ़ती जा रही है.

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बाजारों पर कोरोना की मार
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Published : Jun 12, 2020, 10:07 PM IST

बीकानेर. कोरोना वायरस का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरी तरह से पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान ठप हुए उद्योग धंधों के साथ ही रिटेल दुकानदारों पर भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है. इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि, लॉकडाउन खुलने के साथ ही धीरे धीरे बाजार फिर से पटरी पर आ जाएगा और बाजारों में फिर से खरीदारों की रौनक नजर आएगी. लेकिन अनलॉक 1 के लगभग दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद भी अभी तक बाजारों में खरीदार नजर नहीं आ रहे हैं. राशन सामग्री जैसी जरूरत को पूरा करने के अलावा बाजार में किसी भी तरह का कोई ग्राहक नजर नहीं आ रहा है. यहां तक कि खाने-पीने और तेज गर्मी में राहत देने वाले जूस की दुकानों पर भी लोग नहीं आ रहे हैं.

बाजारों पर कोरोना की मार

बीकानेर के मुख्य बाजार केईएम रोड, कोटगेट बीकानेर का व्यावसायिक केंद्र माना जाता है. यहां बीकानेर शहर के अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग हर दिन खरीदारी के लिए पहुंचते हैं. चाहे कपड़े की, रेडीमेड की या अन्य सामान की दुकानें हो हर दिन ग्राहकों की भीड़ नजर आती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था पर पड़े असर ने बाजार को पूरी तरह से प्रभावित किया है.

बीकानेर की केएम रोड पर एक जूस सेंटर के संचालक अशोक मोदी का कहना है कि, पहले के मुकाबले ग्राहकी महज 15 फीसदी रह गई है. उन्होंने कहा कि, लोग बाजार में नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं कुछ हद तक अब लोग कोरोना संक्रमण के डर के चलते बाहर के खाने पीने की वस्तुओं के सेवन से भी बच रहे हैं.

ये पढ़ें: सांसद अर्जुन राम मेघवाल का रिपोर्ट कार्ड, कितने दावे सच-कितने झूठ... देखें स्पेशल रिपोर्ट

वहीं, रेडीमेड गारमेंट की दुकान करने वाले प्रकाश ने बताया कि, लॉकडाउन में शादियों का सीजन निकल गया, ईद जैसा बड़ा त्योहार भी निकल गया और आने वाले अगले चार-पांच महीनों तक कोई शादियों का सीजन और बड़ा त्योहार नहीं है. अब दिवाली तक बाजार में ग्राहकी तेज होने की भी कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि, कोरोना बहुत प्रभावित कर गया है. अब दुकान का किराया सहित बिजली का खर्च भी निकल जाए तो भी राहत है.

दरअसल 2 महीने के लॉकडाउन के बाद अब लोग जरूरत के मुताबिक ही खर्च कर रहे हैं. खाद्यान्न के अलावा बचत पर ध्यान दे रहे हैं. जिसके चलते दूसरे सभी खर्चे बंद होने के कारण बाजार में अब ग्राहक की नजर नहीं आ रहे हैं.

बीकानेर. कोरोना वायरस का प्रभाव अर्थव्यवस्था पर सबसे बुरी तरह से पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान ठप हुए उद्योग धंधों के साथ ही रिटेल दुकानदारों पर भी इसका खासा असर देखने को मिल रहा है. इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि, लॉकडाउन खुलने के साथ ही धीरे धीरे बाजार फिर से पटरी पर आ जाएगा और बाजारों में फिर से खरीदारों की रौनक नजर आएगी. लेकिन अनलॉक 1 के लगभग दो हफ्ते बीत जाने के बावजूद भी अभी तक बाजारों में खरीदार नजर नहीं आ रहे हैं. राशन सामग्री जैसी जरूरत को पूरा करने के अलावा बाजार में किसी भी तरह का कोई ग्राहक नजर नहीं आ रहा है. यहां तक कि खाने-पीने और तेज गर्मी में राहत देने वाले जूस की दुकानों पर भी लोग नहीं आ रहे हैं.

बाजारों पर कोरोना की मार

बीकानेर के मुख्य बाजार केईएम रोड, कोटगेट बीकानेर का व्यावसायिक केंद्र माना जाता है. यहां बीकानेर शहर के अलावा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग हर दिन खरीदारी के लिए पहुंचते हैं. चाहे कपड़े की, रेडीमेड की या अन्य सामान की दुकानें हो हर दिन ग्राहकों की भीड़ नजर आती है. लेकिन लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था पर पड़े असर ने बाजार को पूरी तरह से प्रभावित किया है.

बीकानेर की केएम रोड पर एक जूस सेंटर के संचालक अशोक मोदी का कहना है कि, पहले के मुकाबले ग्राहकी महज 15 फीसदी रह गई है. उन्होंने कहा कि, लोग बाजार में नजर नहीं आ रहे हैं. वहीं कुछ हद तक अब लोग कोरोना संक्रमण के डर के चलते बाहर के खाने पीने की वस्तुओं के सेवन से भी बच रहे हैं.

ये पढ़ें: सांसद अर्जुन राम मेघवाल का रिपोर्ट कार्ड, कितने दावे सच-कितने झूठ... देखें स्पेशल रिपोर्ट

वहीं, रेडीमेड गारमेंट की दुकान करने वाले प्रकाश ने बताया कि, लॉकडाउन में शादियों का सीजन निकल गया, ईद जैसा बड़ा त्योहार भी निकल गया और आने वाले अगले चार-पांच महीनों तक कोई शादियों का सीजन और बड़ा त्योहार नहीं है. अब दिवाली तक बाजार में ग्राहकी तेज होने की भी कोई उम्मीद नहीं है. उन्होंने कहा कि, कोरोना बहुत प्रभावित कर गया है. अब दुकान का किराया सहित बिजली का खर्च भी निकल जाए तो भी राहत है.

दरअसल 2 महीने के लॉकडाउन के बाद अब लोग जरूरत के मुताबिक ही खर्च कर रहे हैं. खाद्यान्न के अलावा बचत पर ध्यान दे रहे हैं. जिसके चलते दूसरे सभी खर्चे बंद होने के कारण बाजार में अब ग्राहक की नजर नहीं आ रहे हैं.

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