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World Environment Day 2021: पारिस्थितिकी असंतुलन से हो रहा पर्यावरण में परिवर्तन

दुनिया (World) काफी चुनौतियों से जुझ रही है. बदलते पर्यावरण (Environment) ने मानव जीवन के साथ-साथ प्राणी जगत को भी प्रभावित किया है. मशीनी युग ने बेशक मानव को तरक्की की रह पर ले गया है, लेकिन मनुष्य को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का मुख्य कारण पर्यावरण में असंतुलन ही है.

विश्व पर्यावरण दिवस, World Environment Day 2021
विश्व पर्यावरण दिवस 2021
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Published : Jun 5, 2021, 12:04 AM IST

Updated : Jun 5, 2021, 6:00 PM IST

बीकानेरः समय के साथ तेज गति से चलने की व्यक्ति की सोच ने उसे इंसान की बजाय मशीन बना दिया है. बेशक विज्ञान ने तरक्की की है. इसका लाभ भी हमें मिला है. लेकिन खामियाजा भी उठाना पड़ रहा है. पर्यावरण में असंतुलन के चलते ही ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव जैसे मामले सामने आ रहे हैं.

बीकानेर के राजकीय डूंगर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र भोजक कहते हैं कि पारिस्थितिकी असंतुलन का दुष्परिणाम ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव के रूप में है.

विश्व पर्यावरण दिवस 2021

डूंगर कॉलेज के ही समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर और पर्यावरणविद श्यामसुंदर ज्याणी कहते हैं कि हीटवेव कोई लोकल फिनोमिना (local Phenomena) नहीं है बल्कि इसका कारण ग्लोबल है. औद्योगिककरण और आधुनिकीकरण (Modernization) के नाम पर हुई गतिविधियों से धरती की सतह का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. बीते सालों में धरती का ऊष्मा बजट भी बढ़ गया है. धरती जितना ताप सूरज से लेती है, उतना ही वो लौटाती है. लेकिन औद्योगिकरण (industrialization) के चलते प्रदूषण से इसमें भी असंतुलन हुआ है. लिहाजा ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव (Heat Wave) जैसे परिवर्तन देखने को मिले हैं.

डूंगर कॉलेज के ही प्रोफेसर और पर्यावरणविद (Environmentalist) विक्रमजीत कहते हैं कि लगातार वृक्षों का कटना और जंगल का खत्म होना पारिस्थितिकी असंतुलन (Ecological Imbalance) का सबसे बड़ा कारण है. हीटवेव या ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां खुद मनुष्य ने ही पैदा की है. हमारी संस्कृति अरण्य संस्कृति हुआ करती थी. अरण्य का मतलब वन से है. वानप्रस्थ का मतलब भी वनगमन से है. यह सब चीजें हमारे पूर्वजों के समय थी लेकिन धीरे-धीरे इन सब में बदलाव हुआ. मनुष्य ने जब अपनी जरूरतों के लिए वनों को काटना शुरू किया तब पारिस्थितिकी असंतुलन होने लगा.

यह भी पढ़ेंः पर्यावरण संरक्षित क्षेत्रों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत

हमारे पूर्वज बहुत पहले बता गए हैं कि वन और पेड़ (Tree) का हमारे जीवन में कितना महत्व है. लेकिन हमने लापरवाही बरती और इसी का खामियाजा अब नित नई बीमारियों और चुनौतियों के साथ हमें करना पड़ रहा है.

विक्रमजीत कहते हैं कि दस कूप समा वापी, दस वापी समो हद:... दस हद सम: पुत्रो, दस पुत्र समो दुम:, यानी 10 कुएं के बराबर एक तालाब और 10 तालाब के बराबर एक सरोवर होता है. 10 सरोवर के बराबर एक पुत्र और 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष की महता हमारे सनातन धर्म में बताई गई है. लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध और भागमभाग में हमने इस महत्व को दरकिनार कर दिया है.

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक और मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. परमिंदर सिंह कहते हैं कि हिट वेव से सावधान रहना जरूरी है. शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए. घर से बाहर निकलते वक्त शरीर को पूरी तरह से कपड़े से ढंककर निकलना चाहिए. गर्मी और उमस होने से दिक्कत होती है.

बीकानेरः समय के साथ तेज गति से चलने की व्यक्ति की सोच ने उसे इंसान की बजाय मशीन बना दिया है. बेशक विज्ञान ने तरक्की की है. इसका लाभ भी हमें मिला है. लेकिन खामियाजा भी उठाना पड़ रहा है. पर्यावरण में असंतुलन के चलते ही ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव जैसे मामले सामने आ रहे हैं.

बीकानेर के राजकीय डूंगर महाविद्यालय के रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर नरेंद्र भोजक कहते हैं कि पारिस्थितिकी असंतुलन का दुष्परिणाम ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव के रूप में है.

विश्व पर्यावरण दिवस 2021

डूंगर कॉलेज के ही समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर और पर्यावरणविद श्यामसुंदर ज्याणी कहते हैं कि हीटवेव कोई लोकल फिनोमिना (local Phenomena) नहीं है बल्कि इसका कारण ग्लोबल है. औद्योगिककरण और आधुनिकीकरण (Modernization) के नाम पर हुई गतिविधियों से धरती की सतह का तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है. बीते सालों में धरती का ऊष्मा बजट भी बढ़ गया है. धरती जितना ताप सूरज से लेती है, उतना ही वो लौटाती है. लेकिन औद्योगिकरण (industrialization) के चलते प्रदूषण से इसमें भी असंतुलन हुआ है. लिहाजा ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव (Heat Wave) जैसे परिवर्तन देखने को मिले हैं.

डूंगर कॉलेज के ही प्रोफेसर और पर्यावरणविद (Environmentalist) विक्रमजीत कहते हैं कि लगातार वृक्षों का कटना और जंगल का खत्म होना पारिस्थितिकी असंतुलन (Ecological Imbalance) का सबसे बड़ा कारण है. हीटवेव या ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियां खुद मनुष्य ने ही पैदा की है. हमारी संस्कृति अरण्य संस्कृति हुआ करती थी. अरण्य का मतलब वन से है. वानप्रस्थ का मतलब भी वनगमन से है. यह सब चीजें हमारे पूर्वजों के समय थी लेकिन धीरे-धीरे इन सब में बदलाव हुआ. मनुष्य ने जब अपनी जरूरतों के लिए वनों को काटना शुरू किया तब पारिस्थितिकी असंतुलन होने लगा.

यह भी पढ़ेंः पर्यावरण संरक्षित क्षेत्रों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत

हमारे पूर्वज बहुत पहले बता गए हैं कि वन और पेड़ (Tree) का हमारे जीवन में कितना महत्व है. लेकिन हमने लापरवाही बरती और इसी का खामियाजा अब नित नई बीमारियों और चुनौतियों के साथ हमें करना पड़ रहा है.

विक्रमजीत कहते हैं कि दस कूप समा वापी, दस वापी समो हद:... दस हद सम: पुत्रो, दस पुत्र समो दुम:, यानी 10 कुएं के बराबर एक तालाब और 10 तालाब के बराबर एक सरोवर होता है. 10 सरोवर के बराबर एक पुत्र और 10 पुत्रों के बराबर एक वृक्ष की महता हमारे सनातन धर्म में बताई गई है. लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध और भागमभाग में हमने इस महत्व को दरकिनार कर दिया है.

बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के अधीक्षक और मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. परमिंदर सिंह कहते हैं कि हिट वेव से सावधान रहना जरूरी है. शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए. घर से बाहर निकलते वक्त शरीर को पूरी तरह से कपड़े से ढंककर निकलना चाहिए. गर्मी और उमस होने से दिक्कत होती है.

Last Updated : Jun 5, 2021, 6:00 PM IST
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