बीकानेर. कुर्बानी का त्योहार बकरीद में महज कुछ दिन शेष हैं, लेकिन बकरा मंडियों में ग्राहकों की कमी के चलते पशु व्यापारियो में मायूसी छाई हुई है. बीकानेर में अनूपगढ़ रोड स्थित प्रसिद्ध बकरा मंडी में बकरे बेचने आए हसन अली को बकरीद से महज कुछ दिन पहले भी कोई खरीदार नहीं मिला है.
आपको बता दें कि हसन अपने गांव केंला से बकरे बेचने आए हैं और खाने-पीने के लिए घर से लेकर आए पैसे भी खत्म होने वाले हैं. ऐसे में राहत की बात यह है कि हसन अनूपगढ़ रोड स्थित गायों की मंडी में रात गुजारते हैं. पिछले पांच साल से लगातार बकरा मंडी आ रहे हसन ने बताया कि पिछले साल उन्होंने आठ बकरे 1 लाख 60 हजार रुपए में बेचे थे. हर बकरे की कीमत 20 हजार रुपए थी. इस बार बकरों की बिक्री के बारे में पूछने पर हसन ने बताया कि कोरोना के चलते ग्राहकी न के बराबर है. ऐसी मंदी पहली बार देखी है.
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बकरा मंडी में बकरा लेने वाले ग्राहक ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन में हमारी दुकानें बंद रहीं, जिससे हमारे काम धंधे बर्बाद हो गए हैं. कमाई के सीमित साधन हैं. हालात ऐसे हैं कि जो पिछले साल तक तीन बकरे खरीदता था, वो इस बार एक बकरा भी नहीं खरीद पा रहे हैं. पिछले साल की तुलना में इस बार बाजार में कुछ भी नहीं है. बकरा मंडी इन दिनों खचाखच भरा रहा करती थी और यहां पैर रखने की भी जगह नहीं मिलती थी. लेकिन कोरोना के चलते ग्राहकों को अंगुलियों पर गिना जा सकता है.
बकरा मंडी पर कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन का असर साफतौर पर देखा जा सकता है. बकरीद के दिनों में यहां दिखने वाली चहल-पहल नदारद है. ऐसे में पशु व्यापारियों का मानना है कि अगर वे इस साल इन बकरे-बकरियां नहीं बेच पाए तो इन्हें अगले साल के लिए रखेंगे.