बीकानेर. नगर निगम (Bikaner Municipal Corporation) में भाजपा का बोर्ड (BJP board) बने दो साल पूरे हो गए. हालांकि इन दो सालों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार (Congress government) होने के चलते महापौर सुशीला कंवर (Mayor Sushila Kanwar) को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा और कई बार स्थिति यह हुई कि स्थानीय निकाय विभाग और बीकानेर महापौर के बीच खींचतान देखने को मिली. वहीं सरकार के कुछ फैसलों को लेकर आपत्ति जताते हुए महापौर ने कोर्ट का भी सहारा लिया.
इन सब के बावजूद महापौर शहर में कई जगह विकास कार्य होने की बात कहती हैं तो वहीं विपक्ष दो सालों में विकास कार्य पूरी तरह से ठप होने का आरोप लगा रहा है. दो साल के कार्यकाल को लेकर महापौर सुशीला कंवर कहती हैं कि दो सालों में जितना उन्होंने सोचा था उतना काम नहीं हुआ लेकिन फिर भी धरातल पर कई कार्य देखने को मिल रहे हैं और तो कुछ धरातल पर आने के लिए अंतिम प्रक्रिया में हैं.
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हाल ही स्वच्छता को लेकर जारी हुई रैंकिंग में बीकानेर के नीचे पायदान पर आने और स्वच्छता को लेकर लोगों की जागरूकता को लेकर उन्होंने कहा कि नगर निगम Bikaner Municipal Corporation) में सफाई को लेकर काम किया है और सबको साथ लेकर ही काम को किया जा सकता है. लोगों को खुद भी इसके लिए जागरूक होना पड़ेगा. नगर निगम (Bikaner Municipal Corporation) में राजस्व बढ़ाने को लेकर महापौर ने कहा कि आने वाले दिनों में नगर निगम अपनी जमीनों को कॉलोनी के रूप में बेचकर राजस्व जुटाएगा जिसमें नगर निगम के पार्षदों और कर्मचारियों के लिए भी आवासीय कॉलोनी की योजना है. इसके अलावा बकाया यूडी टैक्स (UD Tax) के लिए अभियान चलाया जाएगा. साथ ही डोर टू डोर कचरा संग्रहण में अब कमर्शियल जगहों से चार्ज वसूला जाएगा.
दो साल के कार्यकाल की पूरा होने पर कार्यक्रम आयोजित कर नई योजना और नए काम की घोषणाओं की तैयारी कर रही महापौर सुशीला कंवर ने बीकानेर में करीब 6 किलोमीटर तक की गंगानगर उरमूल सर्किल से म्यूजियम सर्किल तक की सड़क बॉल टू बॉल बनाने और पर्यटन के लिहाज से इस सड़क को सौंदर्यकरण करते हुए तैयार करने की बात कही. दो सालों के कार्यकाल में (Two year of Bikaner Mayor) सरकार से लगातार टकराव और खींचतान को लेकर उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार (Congress government) है और निगम में बोर्ड भाजपा का लेकिन उनकी ऐसी कोई मंशा नहीं है कि काम नहीं करना है बल्कि जनहित का अगर कोई काम हो तो उसके लिए किसी तरह दिक्कत नहीं है लेकिन कुछ फैसलों को लेकर आपत्ति हुई और उसको लेकर कोर्ट में गए.
इसमें नगर निगम में विभिन्न कमेटियों का गठन महत्वपूर्ण मामला था. नगर निगम में दो साल में साधारण सभा की महज चार बैठक पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले कोरोना के चलते इस तरह बैठक नहीं कर सकते थे. अब प्रशासन शहरों के संग अभियान शुरू हो गया है और केवल साधारण सभा के जरिए ही शहर में विकास हो ऐसा नहीं है, उसके लिए अन्य काम भी किए जा रहे हैं.