बीकानेर. कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की मौत के मामले के बाद पूरे प्रदेश में सरकारी शिशु अस्पताल अब निशाने पर आ गए हैं. ईटीवी भारत ने बीकानेर में शिशु अस्पताल की रियलिटी चेक किया. फौरी तौर पर बीकानेर के पीबीएम शिशु अस्पताल के हालात ठीक नजर आते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरत होगी, कि बीकानेर में भी हालात खराब हैं.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में नवजात की मौत के मामले को लेकर अब पूरे प्रदेश में हंगामा बरपा हुआ है. प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है. सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है और प्रदेश के हर अस्पताल से आंकड़ें मंगवा रही है. ये आंकड़े बताते हैं, कि बीकानेर के शिशु अस्तपताल में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. यहां नवजात के जन्म लेने और इलाज के साथ ही मृत्यु दर के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं.
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बीते एक साल की बात करें तो बीकानेर में कुल 658 नवजातों की मौत हुई है. अकेले दिसम्बर महीने में 162 नवजात की मौत हुई है. हालांकि सीधे तौर पर कोटा की जानकारी आने के बाद अस्पताल प्रशासन अपना मुंह कैमरे के आगे खोलने से बचता है, लेकिन आंकड़े सारी कहानी बता रहे हैं. साल 2019 में अस्पताल में 17 हजार 234 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें 5 हजार 19 बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाया गया. जिसमें 658 बच्चों की मौत हो गई. हालांकि, 2019 में इसके अलावा अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों की संख्या 25 हजार 876 के अनुपात में मरने वाले बच्चों की संख्या 1 हजार 681 रही.
वहीं साल 2017 में अस्पताल में भर्ती और जन्म लेने वाले कुल 29 हजार 100 बच्चों में से 1 हजार 648 बच्चों की मौत हुई है. साल 2018 में 32 हजार 772 भर्ती हुए बच्चों में 1 हजार 678 बच्चों की मौत हो गई. बीकानेर में पिछले 3 सालों का औसत देखा जाए तो हर माह करीब 140 नवजात की मौत का आंकड़ा सामने आ रहा है.