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अलविदा 2019: कपड़ा उद्यमियों के लिए ये साल रहा रहा घाटे का सौदा

एशिया के मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों के लिए साल 2019 घाटे का सौदा रहा. जहां उद्यमियों ने ईटीवी भारत पर पीड़ा जाहिर करते हुए कहा की वस्त्र उद्यमियों के लिए साल 2019 काफी खराब रहा. वहीं उनको आने वाले साल 2020 से बहुत उम्मीद है.

साल 2019 में कपड़ा उद्योग, textile entrepreneurs in year 2019
साल 2019 में कपड़ा उद्योग
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Published : Dec 29, 2019, 6:58 PM IST

भीलवाड़ा. साल 2019 एशिया के मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के काफी संकट भरा रहा. बता दें कि वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में वीविंग, प्रोसेसिंग, स्पिनिंग की काफी यूनिट स्थापित हैं. यहां वीविंग उद्योग के 350 से 400 कपड़े के प्लांट हैं.

कपड़ा उद्यमियों के लिए साल 2019 बना घाटे का सौदा

बता दें कि भीलवाड़ा में टैक्सटाइल के नाम पर विभिन्न क्षेत्र में अलग-अलग उद्योगों की स्थापना सन् 1938 में हुई थी. वहीं भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष 9 करोड़ मीटर कपड़ा बनता है. यहां उद्योगपति अपनी क्षमता को देखकर काम करता रहा है. बाजार के अंदर जो काम हो रहे हैं, वे उद्योगपति की समझदारी से हो रहे हैं और नए-नए प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने बताया कि उद्योगों के लिए वर्ष 2019 संकट यानी घाटे का समय रहा. साल 2019 लगने के साथ ही राजस्थान में सरकार बदलने से असमंजस की स्थिति रही. विद्युत दरें बढ़ने से उद्योग की लागत बढ़ गई. जो लाभ स्टेट सरकार की ओर से उद्योगपतियों को दिए जाने हैं, उन पर रोक लग गई. जिसके चलते वित्तीय समस्या खड़ी हो गई. साथ ही ऋण के भुगतान में भी समस्या आ रही है.

पढ़ें: जोधपुर: बारनि खुर्द में डिस्कॉम कार्मिक को हटाने की मांग, ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

वहीं मजदूरों पर संकट के सवाल पर गर्ग ने कहा कि निश्चित रूप से मजदूरों को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है. उत्पादन गिरता है तो उत्पादन की लागत भी बढ़ती है. मजदूरों को निकालने की आवश्यकता हमारे को नहीं पड़ रही है, लेकिन महीने में कम समय के लिए मजदूरी मिलने के कारण मजदूर अपने आप यहां से काम छोड़कर दूसरे काम की तलाश में जुट गए हैं.

भारत सरकार से लाभ के सवाल पर गर्ग ने कहा कि भारत सरकार जो भी स्कीम लाई है, वह देश की तरक्की के लिए है. जिससे भविष्य में तरक्की हो सकती है. लेकिन अभी हमारा उद्योग जगत उन स्कीमों के लिए तैयार नहीं है. साथ ही जीएसटी और नोटबंदी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी से फायदा होने वाला था. जो फायदा कलेक्शन के आधार पर मिलने लग जाता. लेकिन जब तक कलेक्शन नहीं बढ़ेगा, सरकार फायदे को उद्योगपतियों तक ट्रांसफर नहीं कर सकती है.

भीलवाड़ा. साल 2019 एशिया के मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के काफी संकट भरा रहा. बता दें कि वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में वीविंग, प्रोसेसिंग, स्पिनिंग की काफी यूनिट स्थापित हैं. यहां वीविंग उद्योग के 350 से 400 कपड़े के प्लांट हैं.

कपड़ा उद्यमियों के लिए साल 2019 बना घाटे का सौदा

बता दें कि भीलवाड़ा में टैक्सटाइल के नाम पर विभिन्न क्षेत्र में अलग-अलग उद्योगों की स्थापना सन् 1938 में हुई थी. वहीं भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष 9 करोड़ मीटर कपड़ा बनता है. यहां उद्योगपति अपनी क्षमता को देखकर काम करता रहा है. बाजार के अंदर जो काम हो रहे हैं, वे उद्योगपति की समझदारी से हो रहे हैं और नए-नए प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने बताया कि उद्योगों के लिए वर्ष 2019 संकट यानी घाटे का समय रहा. साल 2019 लगने के साथ ही राजस्थान में सरकार बदलने से असमंजस की स्थिति रही. विद्युत दरें बढ़ने से उद्योग की लागत बढ़ गई. जो लाभ स्टेट सरकार की ओर से उद्योगपतियों को दिए जाने हैं, उन पर रोक लग गई. जिसके चलते वित्तीय समस्या खड़ी हो गई. साथ ही ऋण के भुगतान में भी समस्या आ रही है.

पढ़ें: जोधपुर: बारनि खुर्द में डिस्कॉम कार्मिक को हटाने की मांग, ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

वहीं मजदूरों पर संकट के सवाल पर गर्ग ने कहा कि निश्चित रूप से मजदूरों को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है. उत्पादन गिरता है तो उत्पादन की लागत भी बढ़ती है. मजदूरों को निकालने की आवश्यकता हमारे को नहीं पड़ रही है, लेकिन महीने में कम समय के लिए मजदूरी मिलने के कारण मजदूर अपने आप यहां से काम छोड़कर दूसरे काम की तलाश में जुट गए हैं.

भारत सरकार से लाभ के सवाल पर गर्ग ने कहा कि भारत सरकार जो भी स्कीम लाई है, वह देश की तरक्की के लिए है. जिससे भविष्य में तरक्की हो सकती है. लेकिन अभी हमारा उद्योग जगत उन स्कीमों के लिए तैयार नहीं है. साथ ही जीएसटी और नोटबंदी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जीएसटी से फायदा होने वाला था. जो फायदा कलेक्शन के आधार पर मिलने लग जाता. लेकिन जब तक कलेक्शन नहीं बढ़ेगा, सरकार फायदे को उद्योगपतियों तक ट्रांसफर नहीं कर सकती है.

Intro:भीलवाड़ा- एशिया के मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों के लिए वर्ष 2019 घाटे का सौदा रहा । जहां उद्यमियों ने ईटीवी भारत पर पीड़ा जाहिर करते हुए कहा की वस्त्र उद्यमियों के लिए वर्ष 2019 काफी खराब रहा । अब हमारे को उम्मीद है कि वर्ष 2020 में यह वस्त्र उद्यमियों की कठिनाइयां धीरे-धीरे ठीक हो सकती है।


Body:एशिया के मैनचेस्टर व वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों के लिए 2019 काफी खराब रहा । जहां उनको काफी संकट का सामना करना पड़ा। ईटीवी भारत ने भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों से बात की तो उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 हमारे लिए बहुत ही खराब रहा। वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में वीविंग ,प्रोसेसिंग, स्पिनिंग की काफी यूनिट स्थापित है । यहां कपडा बनने की विविग उधोग की 350 से 400 कपड़े के प्लांट है।
ईटीवी भारत की टीम जब वस्त्र उद्योगपतियो की पीड़ा जानने पहुंची तो भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भीलवाड़ा में टेक्सटाइल के नाम पर विभिन्न क्षेत्र में अलग-अलग उद्योगों की स्थापना सन 1938 से हुई। भीलवाड़ा में प्रोसेसिंग, स्पिनिंग व विविन विभिन्न क्षेत्र के कपड़े उद्योग हैं। यहां विभिन्न क्षेत्र के 350 से 400 यूनिट स्थापित है।

वहीं वर्ष 2019 में उद्योगों में संकट के सवाल पर प्रेम स्वरूप गर्ग ने कहा कि उद्योगों के लिए वर्ष 2019 संकट यानी घाटे का समय रहा। वर्ष 2019 लगने के साथ ही राजस्थान में सरकार बदलने से असमंजस की स्थिति रही। विद्युत दरें बढ़ने से उद्योग की लागत बढ़ गई। जो लाभ स्टेट सरकार की ओर से उधोगपतियों को दिये जाने हैं उन पर रोक लग गई। जिसके चलते वित्तीय समस्या खड़ी हो गई, ऋण देने के भुगतान में समस्या आ रही है। हालात खराब है। वर्ष 2019 उद्योग जगत के लिए काफी खराब रहा।

वही भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष 9 करोड मीटर कपड़ा बनता है ।यहां उद्योगपति अपनी क्षमता को देखकर काम करता रहा है। बाजार के अंदर जो काम हो रहे हैं उसे उद्योगपति की समझदारी से हो रहे हैं और नए नए प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है ।

वहीं मजदूरों पर संकट के सवाल पर गर्ग ने कहा कि निश्चित रूप से मजदूरों को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है ।उत्पादन गिरता है तो उत्पादन की लागत भी बढ़ती है ।मजदूरों को निकालने की आवश्यकता हमारे को नहीं पड़ रही है लेकिन महीने में कम समय के लिए मजदूरी मिलने के कारण मजदूर अपने आप यह काम छोड़कर दूसरे काम की तलाश में जुट गए हैं।

भारत सरकार से लाभ के सवाल पर गर्ग ने कहा कि भारत सरकार ने जो भी स्कीम लाए हैं वह देश की तरक्की के लिए है वह भविष्य में होती है लेकिन उसकी तरफ हमारा उद्योगपति अपने आपको काबिल नहीं मान रहा है। वह मान रहा है कि काम कैसे करेंगे। जीएसटी और नोटबंदी के बाद उद्योगों मैं घाटे के सवाल पर कहा की जीएसटी से फायदा होने वाला था। जो फायदा कलेक्शन के आधार पर मिलने लग जाता। लेकिन जब तक कलेक्शन नहीं बढ़ेगा। सरकार फायदे को उद्योगपति के ट्रांसफर नहीं कर सकती है। वहीं नोटबंदी सरकारी स्टेटस को पूरा करने के लिए किया था। अब सरकार को मालूम नहीं है हमारे देश प्रदेश में किस तरह का व्यापार हो रहा है। उस पर टैक्स लगाने पर ही स्टेटस सामने आ सकते हैं। अब हमारे को उम्मीद है कि धीरे-धीरे उद्योगों में व्यापार के हालत सुधर सकते हैं।

अब देखना यह होगा कि वर्ष 2019 का भीलवाडा के उद्योगपतियों के लिए का घाटे का वर्ष रहा वहीं वर्ष 2020 वस्त्र उद्योग जगत के लिए तरक्की का वर्ष रहता है या नहीं।

बाईट- प्रेम स्वरूप गर्ग
महासचिव भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन

पीटीसी-सोमदत्त त्रिपाठी, भीलवाड़ा


Conclusion:
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