भीलवाड़ा. आज आधुनिक युग में महिलाएं-पुरुषों के मुकाबले हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है. वहीं देश-प्रदेश में महिला अत्याचार और दुष्कर्म जैसी घटनाएं भी थमने का नाम नहीं ले रही है. आए दिन महिला अत्याचार, सामूहिक दुष्कर्म, युवतियों से छेड़छाड़, नाबालिग से दुष्कर्म, मानसिक रूप से प्रताड़ित जैसी खबरे हर प्रान्त, प्रदेश, शहर, गांव और क्षेत्र से सामने आ रही है.
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ऐसे में ईटीवी से खास बातचीत करते हुए भीलवाड़ा की महिलाओं ने कहा कि प्राथमिक स्कूल स्तर पर छात्राओं को यह शिक्षा देनी चाहिए कि और पाठ पढ़ाना चाहिए, जिसमें लड़कियों के साथ होने वाले कुकर्म के बारे में बताना चाहिए कि क्या गुड टच है क्या नही है. उसका उनको हमेशा ज्ञान होना चाहिए और छात्राओं को भी इसके बारे में समझाना चाहिए कि इसके क्या दुष्परिणाम है. छात्रों को भी इस बारे में समझाना चाहिए कि अगर ऐसा कोई कृत्य करता है, तो आने वाले समय में इसकी क्या सजा का प्रावधान है और क्या दुष्परिणाम होते हैं.
स्कूली स्तर पर एक टीचर और छात्रा के बीच एक ऐसा व्यवहार होना चाहिए कि छात्रा अपने शिक्षक को पूर्ण रूप से बता सके कि उन्हें किस तरह की मानसिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है यदि कोई व्यक्ति उन्हें परेशान कर रहा है, तो वह उनसे यह बात अपने अध्यापक को बता सके. यही नहीं क्लास रूम में भी शिक्षक को अपने छात्रों की ओर पूर्ण रूप से मानसिक जुड़ाव के साथ काम करना चाहिए. सरकार को चाहिए कि आने वाले समय में स्कूली स्तर पर भी ऐसे प्रताड़ना जैसे पाठ स्कूली स्तर पर समझाया जाए और सशक्तिकरण को लेकर स्कूल में लड़कियों को मनोबल बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाए.
वहीं दूसरी तरफ अध्यापक अरुणा त्रिवेदी ने कहा कि आज के समय में महिलाओं को लेकर बहुत कुछ बदलाव आया है. सुरक्षा के मामले में अभी भी कहीं ना कहीं जागरूकता की कमी के कारण पुरुषों के गलत संस्कारों की वजह से महिलाएं असुरक्षित महसूस करती है. जितनी महिलाएं अपने आप को असुरक्षित इसलिए महसूस करती है, क्योंकि सख्त कानून नहीं बने हुए हैं, जब भी यह बलात्कार जैसी कुकृत्य होते हैं तो बलात्कारी अपने आर्थिक या फिर पहुंच के कारण ऐसे कुकृत्य जैसी घटनाओं से बाहर निकल जाते हैं और कहीं तो जागरूकता की कमी के कारण ऐसे मामले थाने तक नहीं पहुंच पाते हैं.
कई लोगों में यह मानसिकता भी होती है कि हमारी पहुंच ऊपर तक है, तो हम ऐसे अपराधी करेंगे तो बच जाएंगे इसी के विपरीत लोगों में जागरूकता लानी चाहिए कि ऐसे कुकृत्य करने वालों को कभी सजा नहीं मिलेगी और सख्त और कठोर सजा मिलने का प्रावधान रखा जाए. केंद्र और राज्य सरकार को भी महिला अत्याचार और दुष्कर्म के मामलों में जल्द कार्रवाई और कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए कि कोई व्यक्ति ऐसा कुकर्म करने की सोच भी ना सके.
जहां एक तरफ आईपीसी की कई धाराओं और पोक्सो एक्ट के तहत न्यायालय की ओर से सजा का प्रावधान किया गया है, तो वहीं इस सवाल पर महिला का कहना है कि इसका मुख्य कारण यही है कि महिलाओं में अशिक्षा है और यदि किसी के साथ ऐसा कुकृत्य होते हैं, तो वह बदनामी के डर से यह कृत्य थाने तक नहीं पहुंच पाता है. जिसके वजह से दुष्कर्म जैसी घटना रुक नहीं रही है. इसलिए महिलाओं को सामाजिक और ग्रामीण स्तर पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए.
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बता दें कि भारतीय दंड संहिता कानून महिलाओं को एक सुरक्षात्मक आवरण प्रदान करता है, ताकि समाज में घटित होने वाले विभिन्न अपराध वे सुरक्षित रह सके. भारतीय दंड संहिता में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों हत्या, आत्महत्या हेतु प्रेरण, दहेज मृत्यु, बलात्कार, अपहरण और व्यपरण को रोकने का प्रावधान है, उल्लंघन की स्थिति में गिरफ्तारी और न्यायिक दंड व्यवस्था भी की गई है.