भीलवाड़ा. पूरे एशिया में मिनी मैनचेस्टर से विख्यात कपड़ा नगरी भीलवाड़ा में हर साल लगने वाला तिब्बत मार्केट पर इस बार कोरोना कहर की मार पड़ी हुई है. शहर के बीचों बीच लगने वाला यह मार्केट यूं तो तिब्बत और नेपाली मार्केट के नाम से जाना जाता है, लेकिन इस बार कोरोना कहर का खामियाजा वर्ग के व्यापारी को भुगतना पड़ा है. हर सर्दी की दस्तक के साथ लगने वाले वुलन और गर्म कपड़े का व्यापार करने वाले व्यापारी भी इसकी जकड़न से अब तक निकल नहीं पाए हैं. इस बार इस मार्केट में ना तो तिब्बती लोग आए हैं और ना ही नेपाली व्यापारी आए हैं. गर्म कपड़ों के इस मार्केट में जहां हर वर्ष 100 से अधिक दुकानें लगती थी. इस वर्ष कोरोना के चलते 50 दुकानों तक ही सिमट कर रह गया है.
साथ ही स्थानीय व्यापारियों पर भी कोरोना के बादल अभी भी छाए हुए हैं, जिससे इनका व्यापार भी ठप पड़ा हुआ है. सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए लोग गर्म कपड़ों का सहारा लेते हैं, जिसमें लोग इस मार्केट में गर्म कपड़े लेने तो आते हैं, लेकिन खरीदारी काफी हद तक कम होती है. ज्यादातर लोग खरीदारी बचने की कोशिश करते हैं. ईटीवी से खास बातचीत करते हुए स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि इस बार लोग मार्केट में आते तो हैं, लेकिन महंगाई की मार और कोरोना का वार को देखते हुए सिर्फ गर्म कपड़े देख कर ही चले जाते हैं.
तिब्बती बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरिफ हुसैन शेख ने कहा कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष की तिब्बती और नेपाली मार्केट भोपाल क्लब में लगाया गया है. कहने को तो यह मार्केट तिब्बती और नेपाली मार्केट है, लेकिन इस बार कोरोना के वजह से तिब्बती लोगों ने पाली व्यापारी भी नहीं आए हैं. इस बार कोरोना के चलते तिब्बत मार्केट पर इसका काफी बुरा असर पड़ा है. इस बार हमारा पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार आधा व्यापार नहीं हो पाया है. कोविड-19 को देखते हुए हमने यहां सारी चाक-चौबंद व्यवस्था की हुई है, लेकिन यहां पर लोग काफी कम आ रहे हैं. त्योहारों के समय और सर्दी की दस्तक के साथ लोगों की इस मार्केट में भीड़ रहती थी. इस बार यहां पर कम के मुकाबले लोग नजर आ रहे हैं.
वहीं स्थानीय व्यापारी सत्तू गुर्जर ने कहा कि इस बार कोरोना के चलते हमारे व्यापार पर काफी बुरा असर पड़ा है. हम माल पंजाब, लुधियाना, जालंधर और दिल्ली, पानीपत के साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों से गर्म कपड़ों और वूलन का माल लाते हैं, लेकिन इस बार कोरोना की वार और महंगाई की मार के चलते हर साल के मुकाबले इस बार आधा ही माल हम लेकर आए हैं, जो भी बिकना बेमुश्किल हो रहा है. बढ़ती सर्दी तक यह माल बिक जाता है, तो गनीमत है. वरना हमारे लिए यह घाटे का सौदा साबित होगा. ग्राहकों का गर्म कपड़े नहीं करने का कारण एक यह भी है कि इंडियन माल काफी महंगा आता है और इसे ग्राहक खरीदना कम पसंद करते हैं.
वहीं अन्य स्थानीय व्यापारी मोहम्मद साबिर शेख का कहना है कि हर साल तिब्बत मार्केट में 100 से अधिक वूलन गर्म कपड़ों की दुकानें लगती थी, लेकिन इस बार कोविड 19 कर चलते यह तिब्बत मार्केट 50 दुकानों तक ही सिमट कर रह गया है. वहीं यहां ग्राहक तो आते हैं, लेकिन खरीदारी करने से बचते हैं यूं भी कहा जा सकता है कि 100 प्रतिशत में से 30 प्रतिशत खरीदारी होती है और 70 प्रतिशत लोग देखकर ही चले जाते हैं.
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कश्मीर से आई कश्मीरी व्यापारी मोहम्मद यासीन का कहना है कि हमें हर वर्ष सर्दी के मौसम का इंतजार होता है क्योंकि हमें उम्मीद रहती है कि इन महीनों में हमारा अच्छा मुनाफा होगा. इस साल भी हम अच्छे मुनाफे की उम्मीद में वस्त्र नगरी कहलाने वाले भीलवाड़ा में आए थे, लेकिन कोरोना के चलते यहां कोई भी व्यक्ति समान खरीदने ही नहीं आ रहा है. हमारा अब तक आधा माल यू का यूं ही पड़ा हुआ है. अगर बढ़ती सर्दी के साथ हमारा माल नहीं बिका तो हमारी सारी उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा.
वहीं वुलन गर्म कपड़े खरीदने आए ग्राहक समीर लोहार ने कहा कि इस बार तिब्बती मार्केट में ना तो तिब्बती लोग आए हैं. ना ही नेपाली व्यापारी कहने को तो तिब्बतियों नेपाली लोग हर वर्ष नई फैशन के साथ गर्म कपड़े लेकर आते हैं, लेकिन इस बार वह नहीं आए पाए तो हमें हमारी पसंद के गर्म कपड़े भी नहीं मिल पाए हैं. हालांकि यहां इंडियन माल दिख रहा है, लेकिन वह भी काफी महंगा मिल रहा है, जिसके चलते हमें खरीदारी में मुश्किल हो रही है.