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एक बेटे की अनोखी पहल: बाप की सड़क हादसे में हो गई थी मौत, बेटे ने बारहवीं के आयोजन में बांटे हेलमेट

करीब ढाई महीने पहले हुए दुर्घटना में जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी. पुत्र ने पिता की बारहवीं के सामाजिक आयोजन में दक्षिणा स्वरूप पंडितों को हेलमेट दक्षिणा में देकर समाज को हेलमेट पहन के चलने और सुरक्षित रहने का अनोखा संदेश दिया.

son donated helmets Bhilwara, भीलवाड़ा पंडितों को हेलमेट दान
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Published : Sep 26, 2019, 10:15 AM IST

भीलवाड़ा. पिता की दुर्घटना में हुई मौत से आहत बेटे ने बारहवीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा में हेलमेट देकर की एक अनोखी पहल. बता दें कि जिले के जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिनके बारहवीं के कार्यक्रम में उनके पुत्र ने सुख सेज की रस्म के तहत पंडितों को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया है की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहें.

पुत्र ने 12वीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा स्वरूप दिए हेलमेट

18 जुलाई को बांकरा रोड पर मोटर साइकिल से बाइक टकराने के कारण हुई दुर्घटना में टांक के सिर में चोट लगी थी. पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था. जहां 14 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.

पढ़ेंः IAS बीबी मोहंती दुष्कर्म प्रकरण: कोर्ट ने पीड़िता के खिलाफ जारी किया गिरफ्तारी वारंट

पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.

उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है. आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है. साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है. इसलिए उन्होंने केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए. टांक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण का पंडितों सहित पूरे कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही.

भीलवाड़ा. पिता की दुर्घटना में हुई मौत से आहत बेटे ने बारहवीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा में हेलमेट देकर की एक अनोखी पहल. बता दें कि जिले के जहाजपुर निवासी प्रेम राज टांक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी. जिनके बारहवीं के कार्यक्रम में उनके पुत्र ने सुख सेज की रस्म के तहत पंडितों को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया है की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहें.

पुत्र ने 12वीं के आयोजन में पंडितों को दक्षिणा स्वरूप दिए हेलमेट

18 जुलाई को बांकरा रोड पर मोटर साइकिल से बाइक टकराने के कारण हुई दुर्घटना में टांक के सिर में चोट लगी थी. पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था. जहां 14 सितंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.

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पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि अगर उनके पिता ने उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती. दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने. इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए हैं.

उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है. आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है. साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है. इसलिए उन्होंने केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए. टांक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण का पंडितों सहित पूरे कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही.

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दुर्घटना में हो गई थी पिता की मौत , पुत्र ने बारहवीं के आयोजन में  पंडितों को दक्षिणा स्वरूप दिए हेलमेट ।



भीलवाड़ा -करीब ढाई महीने पहले हुए दुर्घटना में सिर में चोट लगने की वजह से पिता की उपचार के दौरान मृत्यु हो गई थी  उनकी बारहवी  के सामाजिक आयोजन में पुत्र ने दक्षिणा स्वरूप पंडितों को हेलमेट भेट किये । भीलवाड़ा जिले के जहाजपुर निवासी प्रेम राज  टाक के सिर में चोट लगने की वजह से उनकी मृत्यु हो गई थी ।

जिनके बाहरवे के कार्यक्रम में सुख सेज की रस्म के तहत पंडित जी को दक्षिणा के तौर पर हेलमेट देकर समाज को एक नया संदेश दिया गया की हमेशा हेलमेट पहन के चले और सुरक्षित रहे। अगर टाक ने   उस दिन हेलमेट पहना होता तो शायद उस एक्सीडेंट में सिर में चोट लगने की वजह से उनकी जान नहीं जाती।  18 जुलाई को बांकरा रोड पर  मोटरसाइकिल  से मोटरसाइकिल टकराने के कारण  हुई दुर्घटना में टाक के सिर में चोट लगी थी । पेसिफिक हॉस्पिटल उदयपुर में उनका उपचार चल रहा था । जहां 14 सितंबर 19 को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके भतीजे भंवरलाल टांक व पुत्र पप्पू टांक ने बताया कि दुर्घटना में और कोई काल का शिकार नहीं बने इसलिए बारहवीं के आयोजन में आए समस्त पंडितों को हेलमेट दक्षिणा स्वरूप उपहार में दिए गए। उन्होंने बताया कि टाक समाज में मृत्यु भोज बंद है । आयोजन पर केवल सब्जी पूरी बनती है।  साथ ही मेहमानों को भी हेलमेट देने की उनकी इच्छा थी पर सामाजिक परंपरा में बंद है इसलिए उन्होंने  केवल पंडितों को ही दक्षिणा स्वरूप हेलमेट दिए। टाक परिवार के इस अनुकरणीय उदाहरण की पंडितों सहित कस्बे में अच्छी खासी चर्चा रही।


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