भीलवाड़ा. देश में युवाओं की धीरे-धीरे नशे की लत बढ़ रही है. इसको रोकने के लिए भीलवाड़ा जिले के अगरपुरा गांव में एक शख्स नारायण लाल जाट आगे आया है. नारायण लाल जाट के नेतृत्व में नशा मुक्ति टीम बनी हुई है. जो प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. इस टीम ने अब तक 5000 युवाओं को नशे की लत से दूर कर सादा जीवन जीने के विचार सीखा रही हैं. ये टीम नशा छोड़ने वाले युवाओं को देशी घी देकर शरीर स्वस्थ रहने का संदेश दे रही हैं.
नशा मुक्ति टीम की हर तरफ सराहना
नशा मुक्ति के गांव में ईटीवी भारत ने जब बात की तो बड़े से लेकर बुजुर्गों ने इस टीम की सराहना की. पूरा गांव इस टीम की तारीफ करते नजर आया. वहीं गांव में जगह-जगह देशभक्ति और स्वतंत्रता सेनानियों के पोस्टर लगे हुए हैं. जिस पर नशे से होने वाले नुकसान के स्लोगन लिखे हुए हैं. वहीं इस टीम द्वारा जो टी-शर्ट पहन रखा है.उसपर नशा छोड़ने को लेकर स्लोगन लिखा है.
टीम की प्रेरणा से अब नशा करने वाले बहुत कम
वहीं गांव की एक महिला ने बताया कि गांव में अफीम, गांजा,भांग का नशा पहले ज्यादा करते थे. लेकिन इन टीम की प्रेरणा से अब नशा करने वाले बहुत कम रह गए हैं. वही नशा छोड़ने वाली टीम के सदस्य जगदीश जाट ने बताया कि हम नशे के बारे में लोगों को समझाते हैं और उनके शरीर में नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हैं. साथ ही नशा छोड़ने पर जब जरूरत होती है तो उनको दवाइयां भी उपलब्ध करवाई जाती है. हम गुटखा, शराब, अफीम, बीड़ी, सिगरेट सभी तरह का नशा छुड़वा देते हैं. बताया की सबसे पहले 100 आदमियों की टीम थी. जो धीरे-धीरे अब बढ़कर 1 हजार के करीब पहुंच गई है. जो राजस्थान के कई जिलों में काम कर रही है.
टीम की बदौलत मैंने छोड़ी नशे की लत
वहीं नशा छोड़ने वाले शख्स प्रकाश ने ईटीवी भारत को बताया कि गांव की नशा मुक्ति टीम की प्रेरणा से मैंने नशा छोड़ा है. साथ ही दूसरों को भी मैं हमेशा नशे से होने वाली हानि के बारे में बताता हूं. मेरे खुद के बारे में बताता हूं कि मैंने भी नशा छोड़ने के बाद मेरे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ा है. वहीं नशा मुक्ति अभियान के संयोजक नारायण लाल भदाला की मां ने बताया कि पहले हमारे गांव में बहुत से युवा नशे के आदि थे. लेकिन मेरे बेटे और उनकी टीम द्वारा पहल करने के बाद अब काफी संख्या में युवा ने नशे से दूर हो गए हैं.
नशा मुक्ति अभियान के संयोजक ने बताया ऐसी मिली प्रेरणा
वहीं नशा मुक्ति अभियान के संयोजक अगरपुरा के निवासी नारायणलाल जाट ने बताया कि इसकी शुरुआत मैंने आज से 12 वर्ष पहले की थी. जब मैं नवी क्लास में पढ़ता था. तब मेरे बड़े भाई व गांव के 1 व्यक्ति की एक्सीडेंट में मौत हो गई. मेरे भाई ने नशा नहीं कर रखा था, लेकिन टक्कर मारने वाली गाड़ी के ड्राइवर ने नशा कर रखा था. जिससे मेरे भाई को टक्कर मार दी और उनकी मौत हो गई. उसके बाद मेरी एक सोच बन गई. इसी सोच के कारण उसी दिन से यह प्रयास में में लगा कि जब इस नशे के कारण मेरा परिवार बर्बाद हो सकता है तो आने वाले कोई भी परिवार इस नशे के कारण बर्बाद ना हो. साथ ही हमें आने वाली पीढ़ी को नशे से मुक्त करना चाहिए. आज स्थिति यह है कि पूरे जिले सहित राजस्थान के अन्य जिलों में भी हमारी टीम तैयार हो गई है. लगभग 1000 युवाओं की टीम है. जो हर समय तैयार रहकर लोगों को नशा छोड़ने की प्रेरणा देती हैं. उन्होंने बताया कि अब तक 5000 युवाओं को नशे से दूर किया है. जिसका लिस्ट उनके पास है.