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कोरोना काल में मजदूरों का दर्द: दिन में रोजगार मिलता है तभी शाम को जलता है चूल्हा

कोरोना की दूसरी लहर (Second Wave of Corona) ने मजदूरों की परेशानी बढ़ा दी है. काम नहीं मिलने से मजदूरों के चेहरे से खुशी गायब हो गई है. आलम यह है कि दिन में काम मिला तभी शाम को मजदूर के घर में चूल्हा जलता है.

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कोरोना काल में परेशान मजदूर
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Published : Jun 22, 2021, 10:32 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 10:38 PM IST

भीलवाड़ा. कोरोना काल में वस्त्र नगरी (Textile City) के ज्यादातर कारखाने बंद हैं. मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. शहर के बडला चौराहा, शास्त्री नगर, रोडवेज बस स्टैंड, यूआईटी, नेहरू रोड और सांगानेरी गेट पर लगने वाली मजदूरों की चौकठी यानी मजदूर चौराहे भी बंद है. कुछ मजदूरों आते भी हैं तो काम नहीं मिलता. शाम तक इंतजार करते हैं. फिर खाली हाथ घर लौट जाते हैं. माल परिवहन पर्याप्त नहीं होने की वजह से ट्रक ड्राइवर भी परेशान हैं.

अब तो गुजर-बसर भी मुश्किल

कमठाने पर काम करने वाले मजदूर राजू ने बताया कि चुनाई का काम करता हूं. बजरी बंद होने से मजदूरी नहीं मिल रही है. कमठाने का काम बंद होने से ज्यादातर मजदूर घर पर ही हैं. मजदूरी नहीं मिलती है तो घर चलाना भी मुश्किल है.

कोरोना काल में परेशान मजदूर

पढ़ें: Special : लकड़ी पर नक्काशी कर खिलौने बनाने के लिए मशहूर बस्सी का वुड कार्विंग उद्योग ठप, कारीगरों के सामने रोजी-रोटी का संकट

मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

रामपाल माली ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में कमठाने पर काम करने वाले मजदूरों को काफी समस्या हो रही है. भले ही लॉकडाउन में छूट मिली है लेकिन महंगाई और बजरी बंद होने से काम बंद है.

खाली हाथ घर वापस लौटना पड़ता है...

भीलवाड़ा जिले में 10 से 15 हजार मजदूर चौकठी पर पहुंचते हैं. कुछ मजदूर दिन भर टकटकी लगाए इंतजार करते हैं लेकिन काम नहीं मिलता. उन्हें मायूस होकर खाली हाथ घर वापस जाना पड़ता है.

पढ़ें: Special : ईटीवी भारत पर छलका लोक कलाकारों का दर्द, बोले- कोरोना काल में न ताली मिल रही और न थाली...

मजदूर की आखों से छलके आंसू...

कन्हैया लाल के मुताबिक लॉकडाउन से काफी प्रभाव पड़ा है. फिलहाल कुछ जगह कमठाने का काम मिल रहा है. लेकिन ज्यादातर काम बंद है. हमें दिन में काम मिलता है तभी शाम का चूल्हा जलेगा. कन्हैया के परिवार में 4 सदस्य हैं लेकिन अकेला मैं ही कमाने वाला हूं. पत्नी और 2 बच्चे घर पर ही रहते हैं. अपना दर्द बयां करते समय मजदूर की आंख से आंसू भी छलक पड़े.

मजदूरों की गुहार, सुन लो सरकार

एक अन्य मजदूर जाकिर ने कहा कि दूर-दूर तक काम-धंधे ठप हैं. काम की तलाश में गांव से शहर तक जाते हैं. शहर में भी काम बंद है. कुछ ग्रामीण क्षेत्र में काम चल रहे हैं. सरकार को हम जैसे मजदूरों के लिए कुछ सोचना चाहिए.

पढ़ें: Special: कोरोना काल में पुजारियों की दक्षिणा 'लॉक', अब राहत पैकेज की उम्मीद

ट्रक ड्राइवर भी हो रहे हैं परेशान

ट्रक ड्राइवर रामकुमार यादव ने बताया कि वे पूरे देश में ट्रक चलाते हैं. गुजरात से गजरौला गया. गजरौला से पानीपत और पानीपत से वापस गुजरात जा रहा हूं. हर जगह समस्या है. ना खाना मिल रहा है, ना ट्रक खराब होने पर मिस्त्री.

प्रशासन भले ही सहयोग करता है लेकिन खाने की दिक्कत होती है. केंद्र-राज्य सरकार को मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों की समस्या पर ध्यान देना चाहिए.

भीलवाड़ा. कोरोना काल में वस्त्र नगरी (Textile City) के ज्यादातर कारखाने बंद हैं. मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. शहर के बडला चौराहा, शास्त्री नगर, रोडवेज बस स्टैंड, यूआईटी, नेहरू रोड और सांगानेरी गेट पर लगने वाली मजदूरों की चौकठी यानी मजदूर चौराहे भी बंद है. कुछ मजदूरों आते भी हैं तो काम नहीं मिलता. शाम तक इंतजार करते हैं. फिर खाली हाथ घर लौट जाते हैं. माल परिवहन पर्याप्त नहीं होने की वजह से ट्रक ड्राइवर भी परेशान हैं.

अब तो गुजर-बसर भी मुश्किल

कमठाने पर काम करने वाले मजदूर राजू ने बताया कि चुनाई का काम करता हूं. बजरी बंद होने से मजदूरी नहीं मिल रही है. कमठाने का काम बंद होने से ज्यादातर मजदूर घर पर ही हैं. मजदूरी नहीं मिलती है तो घर चलाना भी मुश्किल है.

कोरोना काल में परेशान मजदूर

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मजदूरों को नहीं मिल रहा काम

रामपाल माली ने बताया कि भीलवाड़ा जिले में कमठाने पर काम करने वाले मजदूरों को काफी समस्या हो रही है. भले ही लॉकडाउन में छूट मिली है लेकिन महंगाई और बजरी बंद होने से काम बंद है.

खाली हाथ घर वापस लौटना पड़ता है...

भीलवाड़ा जिले में 10 से 15 हजार मजदूर चौकठी पर पहुंचते हैं. कुछ मजदूर दिन भर टकटकी लगाए इंतजार करते हैं लेकिन काम नहीं मिलता. उन्हें मायूस होकर खाली हाथ घर वापस जाना पड़ता है.

पढ़ें: Special : ईटीवी भारत पर छलका लोक कलाकारों का दर्द, बोले- कोरोना काल में न ताली मिल रही और न थाली...

मजदूर की आखों से छलके आंसू...

कन्हैया लाल के मुताबिक लॉकडाउन से काफी प्रभाव पड़ा है. फिलहाल कुछ जगह कमठाने का काम मिल रहा है. लेकिन ज्यादातर काम बंद है. हमें दिन में काम मिलता है तभी शाम का चूल्हा जलेगा. कन्हैया के परिवार में 4 सदस्य हैं लेकिन अकेला मैं ही कमाने वाला हूं. पत्नी और 2 बच्चे घर पर ही रहते हैं. अपना दर्द बयां करते समय मजदूर की आंख से आंसू भी छलक पड़े.

मजदूरों की गुहार, सुन लो सरकार

एक अन्य मजदूर जाकिर ने कहा कि दूर-दूर तक काम-धंधे ठप हैं. काम की तलाश में गांव से शहर तक जाते हैं. शहर में भी काम बंद है. कुछ ग्रामीण क्षेत्र में काम चल रहे हैं. सरकार को हम जैसे मजदूरों के लिए कुछ सोचना चाहिए.

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ट्रक ड्राइवर भी हो रहे हैं परेशान

ट्रक ड्राइवर रामकुमार यादव ने बताया कि वे पूरे देश में ट्रक चलाते हैं. गुजरात से गजरौला गया. गजरौला से पानीपत और पानीपत से वापस गुजरात जा रहा हूं. हर जगह समस्या है. ना खाना मिल रहा है, ना ट्रक खराब होने पर मिस्त्री.

प्रशासन भले ही सहयोग करता है लेकिन खाने की दिक्कत होती है. केंद्र-राज्य सरकार को मजदूरों और ट्रक ड्राइवरों की समस्या पर ध्यान देना चाहिए.

Last Updated : Jun 22, 2021, 10:38 PM IST
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