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भीलवाड़ा में निजी स्वयंसेवी संगठनों की अनोखी पहल...आयुर्वेदिक पौधे और काढ़ा का कर रहे वितरण

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Published : Oct 12, 2020, 4:20 PM IST

विश्वव्यापी कोरोना महामारी की चेन को तोड़ने के लिए स्वयंसेवी संगठन आगे आए हैं. जहां संगठनों द्वारा आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे वितरण किए जा रहे हैं. जिससे अधिक से अधिक घरों में पौधे लग सके और इसका काढ़ा पीकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके.

आयुर्वेदिक पौधे का वितरण, Ayurvedic plant decoction distribution
आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे है मौजूद

भीलवाड़ा. देश में कोरोना को लेकर हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा जिले में अब कोरोना की चेन खत्म करने के लिए निजी स्वयंसेवी संगठनों ने एक अनोखी पहल शुरू की है. जहां निजी स्वयंसेवी संगठन के लोग और वरिष्ठ जन आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे और इनसे बना काढा वितरण कर रहे हैं, जिससे भीलवाड़ा वासियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके.

आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे हैं मौजूद

ईटीवी भारत की टीम निजी स्वयंसेवी संगठन एक निजी कॉलेज पहुंची. जहां हजारों आयुर्वेदिक पद्धति के विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगे हुए हैं और इन पौधों को भीलवाड़ा शहर और जिले के नागरिकों को वितरण किए जा रहे हैं. जिससे लोग यह पौधे अपने घर लगाकर उनके परिवार वालों को उनसे बना काढा पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें.

पढ़ेंः बुटेरी टोल नाके पर टोल कर्मियों की गुंडागर्दी, टैक्सी ड्राइवर को बेरहमी से पीटा...देखें VIDEO

जहां निजी स्वयं संगठन के राघव तोतला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य है कि यहां पढ़ने वाले हर बच्चे और भीलवाड़ा वासियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े. इसके लिए यहां हमारे परिसर में हजारों की संख्या में आंवला, ग्वारपाठा, नीम गिलोय और नावा के औषधीय पौधे यहां संस्था में लगे है. जो भी लोग यहां आते हैं, उनको यहां पौधे वितरण किए जाते हैं. जिससे लोग अधिक से अधिक पौधे अपने घर पर लगा सके और इनका काढ़ा अपने घर परिवार वालों को पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें. जिससे कोरोना फैलने का भय खत्म हो जाएं.

सेवानिवृत्त कर्मचारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पहले एक बार यहां आया था, तब यहां आयुर्वेद पद्धति के पौधे देखकर कहा यह पौधे जिले में अधिक से अधिक लगने चाहिए. जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके. आयुर्वेदिक पौधे बुखार और ज्वर संबंधी समय में काफी काम आता है. यह पौधे से बना काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है. आयुर्वेद पद्धति से ही कोरोना को समूल नष्ट किया जा सकता है. हम यहां से पौधे ले जाकर शहर में लोगों को वितरण करते हैं और प्रतिदिन शाम को गणेश मंदिर में इनका काढ़ा बनाकर लोगों को पिलाते हैं. जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके.

आयुर्वेदिक पौधे का वितरण, Ayurvedic plant decoction distribution
कोरोना को हराएगा आयुर्वेदिक पौधा

जबकि अन्य वृद्धजन मदन खटोड़ ने कहा कि आयुर्वेद से कोरोना को हरा सकते हैं. हमने यहां से पौधे लिए हैं, जिसे शहर में वितरण करेंगे. एलोवेरा और नावा के पौधे लिए हैं. इसको दूसरे लोगों को वितरण करेंगे और इनसे बना अखाड़ा भी पिलाएंगे. वहीं, शहर के सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर दिनेश तोतला ने बताया कि लोग छुट्टी के दिन यहां आते हैं. आयुर्वेद के पौधे अच्छे लगे हुए हैं. यहां लगभग 5000 नीम, गिलोय, ग्वारपाठा, आवला, नावा, सदा सुहागन, गुड़हल के पौधे लगे हुऐ हैं. गुड़हल के पौधों से ब्लड साफ करने में काम आता है. गुडहल के पौधे के लगे फूल का सत पीने से डब्ल्यूबीसी और आरबीसी बढ़ाई जा सकती है.

पढ़ेंः हरियाणा से डीजल लाकर राजस्थान में बेचने वाला तस्कर चढ़ा पुलिस के हत्थे, पिकअप जब्त

स्वयंसेवी संस्थान में शारीरिक शिक्षक का जिम्मा संभाल रहे धर्मी चंद साहू ने कहा कि यहां पर जो भी आयुर्वेदिक पौधे देखने आते हैं. उनको हम यह काढ़ा पिलाते हैं और पौधे वितरण करते हैं. इन पौधों की देखभाल हम करते हैं. तीन तरह के पौधे सभी सरकारी कार्यालयों में लगने चाहिए. जिससे वहां के लोग भी इनसे बना काढ़ा पीकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें.

भीलवाड़ा. देश में कोरोना को लेकर हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा जिले में अब कोरोना की चेन खत्म करने के लिए निजी स्वयंसेवी संगठनों ने एक अनोखी पहल शुरू की है. जहां निजी स्वयंसेवी संगठन के लोग और वरिष्ठ जन आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे और इनसे बना काढा वितरण कर रहे हैं, जिससे भीलवाड़ा वासियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके.

आयुर्वेदिक पद्धति के पौधे हैं मौजूद

ईटीवी भारत की टीम निजी स्वयंसेवी संगठन एक निजी कॉलेज पहुंची. जहां हजारों आयुर्वेदिक पद्धति के विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगे हुए हैं और इन पौधों को भीलवाड़ा शहर और जिले के नागरिकों को वितरण किए जा रहे हैं. जिससे लोग यह पौधे अपने घर लगाकर उनके परिवार वालों को उनसे बना काढा पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें.

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जहां निजी स्वयं संगठन के राघव तोतला ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य है कि यहां पढ़ने वाले हर बच्चे और भीलवाड़ा वासियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े. इसके लिए यहां हमारे परिसर में हजारों की संख्या में आंवला, ग्वारपाठा, नीम गिलोय और नावा के औषधीय पौधे यहां संस्था में लगे है. जो भी लोग यहां आते हैं, उनको यहां पौधे वितरण किए जाते हैं. जिससे लोग अधिक से अधिक पौधे अपने घर पर लगा सके और इनका काढ़ा अपने घर परिवार वालों को पिलाकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें. जिससे कोरोना फैलने का भय खत्म हो जाएं.

सेवानिवृत्त कर्मचारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पहले एक बार यहां आया था, तब यहां आयुर्वेद पद्धति के पौधे देखकर कहा यह पौधे जिले में अधिक से अधिक लगने चाहिए. जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके. आयुर्वेदिक पौधे बुखार और ज्वर संबंधी समय में काफी काम आता है. यह पौधे से बना काढ़ा पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है. आयुर्वेद पद्धति से ही कोरोना को समूल नष्ट किया जा सकता है. हम यहां से पौधे ले जाकर शहर में लोगों को वितरण करते हैं और प्रतिदिन शाम को गणेश मंदिर में इनका काढ़ा बनाकर लोगों को पिलाते हैं. जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सके.

आयुर्वेदिक पौधे का वितरण, Ayurvedic plant decoction distribution
कोरोना को हराएगा आयुर्वेदिक पौधा

जबकि अन्य वृद्धजन मदन खटोड़ ने कहा कि आयुर्वेद से कोरोना को हरा सकते हैं. हमने यहां से पौधे लिए हैं, जिसे शहर में वितरण करेंगे. एलोवेरा और नावा के पौधे लिए हैं. इसको दूसरे लोगों को वितरण करेंगे और इनसे बना अखाड़ा भी पिलाएंगे. वहीं, शहर के सरकारी कॉलेज के प्रोफेसर दिनेश तोतला ने बताया कि लोग छुट्टी के दिन यहां आते हैं. आयुर्वेद के पौधे अच्छे लगे हुए हैं. यहां लगभग 5000 नीम, गिलोय, ग्वारपाठा, आवला, नावा, सदा सुहागन, गुड़हल के पौधे लगे हुऐ हैं. गुड़हल के पौधों से ब्लड साफ करने में काम आता है. गुडहल के पौधे के लगे फूल का सत पीने से डब्ल्यूबीसी और आरबीसी बढ़ाई जा सकती है.

पढ़ेंः हरियाणा से डीजल लाकर राजस्थान में बेचने वाला तस्कर चढ़ा पुलिस के हत्थे, पिकअप जब्त

स्वयंसेवी संस्थान में शारीरिक शिक्षक का जिम्मा संभाल रहे धर्मी चंद साहू ने कहा कि यहां पर जो भी आयुर्वेदिक पौधे देखने आते हैं. उनको हम यह काढ़ा पिलाते हैं और पौधे वितरण करते हैं. इन पौधों की देखभाल हम करते हैं. तीन तरह के पौधे सभी सरकारी कार्यालयों में लगने चाहिए. जिससे वहां के लोग भी इनसे बना काढ़ा पीकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकें.

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