भीलवाड़ा. जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम ऐसा है कि मरीज दर्द से तड़पते रहते हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं होता. अस्पताल में आउटडोर वार्ड में एक-दो नहीं, बल्कि कई मरीज चिकित्सकों के इंतजार में तड़पते हुए जमीन पर लेट जाते हैं.
इन सबके बावजूद इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं होता है. यही नहीं, कुछ मरीजों को तो स्ट्रेचर तक नसीब नहीं होता है. वहीं कुछ मरीजों के परिजनों को तो खुद ही स्ट्रेचर लेकर जाना पड़ रहा है.
दरअसल, भारलिया गांव का रहने वाला नारायण गुर्जर पेट दर्द की शिकायत होने पर जिले के महात्मा गांधी अस्पताल में अपनी बहन के साथ आए थे. असहनीय दर्द होने से वह आउटडोर के पास तड़पते रहे. जैसे-तैसे उनकी बहन उन्हें डॉक्टर के पास ले गई, लेकिन वहां मौजूद चिकित्सक एक दूसरे के पास भेजते रहे.
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मरीज की बहन ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मौजूद चिकित्साकर्मी नजरअंदाज करते रहे. किसी भी चिकित्सक या कर्मचारी ने उसके भाई की तरफ ध्यान नहीं दिया. हालांकि, बड़ी मुश्किल के बाद उसके भाई को उपचार मिल पाया.