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भीलवाड़ा में बिजली बिलों में राहत देने को लेकर कलेक्टर को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

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Published : Jun 29, 2020, 12:29 PM IST

भीलवाड़ा में लॉकडाउन के दौरान बिजली बिलों में राहत देने को लेकर लघु उद्योग भारती के बैनर तले व्यापारिक संगठन ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. इन लोगों का कहान है कि लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, इसलिए इन लोगों को राहत दिया जाए.

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भीलवाड़ा में बिजली बिलों में राहत देने को लेकर कलेक्टर को सौंपा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन

भीलवाड़ा. लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियों में बिजली बिलों में कुछ राहत देने को लेकर लघु उद्योग भारती के बैनर तले व्यापारिक संगठन ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान उनकी औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, इसलिए बिजली के बिलों में कुछ राहत दी जाए. साथ ही उनसे सोलर ऊर्जा खरीदी गई थी, उसकी छूट को काटकर विद्युत बिल में भेजा जाए.

भीलवाड़ा में बिजली बिलों में राहत देने की मांग

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां लॉकडाउन के दौरान बंद थीं. बंद के दौरान बिजली विभाग द्वारा इन औद्योगिक इकाइयों को अधिक बिजली का बिल भेजा गया है. जिसको लेकर लघु उद्योग भारती संगठन के बैनर तले औद्योगिक इकाइयों के मालिकों ने जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर विद्युत बिल में स्थाई शुल्क कम करने सहित सौर ऊर्जा उत्पादन जो लॉकडाउन के दौरान उनसे लिया गया है, आने वाले बिल में उस उत्पादन को काटकर बिजली बिल भेजने की मांग की है.

लघु उद्योग भारती संगठन के सचिव अनूप बागडोदिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को कम करने के लिए लॉकडाउन लगा हुआ था, जहां भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, लेकिन बंद होने के बावजूद राज्य सरकार ने बिजली का बिल भेज दिया है. जिसमें स्थाई शुल्क भी 185 पर किलो वाट की जगह ज्यादा कर दिया है, जो बिल्कुल गलत है.

यह भी पढ़ें- मंत्री अशोक चांदना ने सतीश पूनिया पर की अशोभनीय टिप्पणी

लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयां बिल्कुल बंद थी, तो स्थाई शुल्क को माफ किया जाए. वहीं, औद्योगिक इकाइयों द्वारा उपभोग की गई वास्तविक बिजली का ही बिल भेजा जाए, जिससे उन पर भार नहीं पड़े. साथ ही उद्योगों द्वारा सोलर ऊर्जा उत्पादन किया गया है, वह सोलर ऊर्जा से उनकी फैक्ट्रियां बंद होने से उन्होंने बिजली कंपनियों को दी, उसको पुनः काटकर उनके बिल में शामिल किया जाए.

इन लोगों ने 9 सूत्रीय मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है कि सरकार उनके वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुछ राहत दे. अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानी तो वे लोग इसी प्रकार प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपते रहेंगे. अब देखना होगा कि जहां केंद्र और राज्य सरकार उद्योगों को बढ़ाने के लिए नई नई नीतियां लेकर आ रही है, वहां वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात इन उद्योगों को पुन: पटरी पर लाने के लिए बिजली के बिलों में कुछ रियायत देती है या नहीं.

भीलवाड़ा. लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियों में बिजली बिलों में कुछ राहत देने को लेकर लघु उद्योग भारती के बैनर तले व्यापारिक संगठन ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने मांग की है कि लॉकडाउन के दौरान उनकी औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, इसलिए बिजली के बिलों में कुछ राहत दी जाए. साथ ही उनसे सोलर ऊर्जा खरीदी गई थी, उसकी छूट को काटकर विद्युत बिल में भेजा जाए.

भीलवाड़ा में बिजली बिलों में राहत देने की मांग

वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां लॉकडाउन के दौरान बंद थीं. बंद के दौरान बिजली विभाग द्वारा इन औद्योगिक इकाइयों को अधिक बिजली का बिल भेजा गया है. जिसको लेकर लघु उद्योग भारती संगठन के बैनर तले औद्योगिक इकाइयों के मालिकों ने जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर विद्युत बिल में स्थाई शुल्क कम करने सहित सौर ऊर्जा उत्पादन जो लॉकडाउन के दौरान उनसे लिया गया है, आने वाले बिल में उस उत्पादन को काटकर बिजली बिल भेजने की मांग की है.

लघु उद्योग भारती संगठन के सचिव अनूप बागडोदिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण की चेन को कम करने के लिए लॉकडाउन लगा हुआ था, जहां भीलवाड़ा जिले की तमाम औद्योगिक इकाइयां बंद थीं, लेकिन बंद होने के बावजूद राज्य सरकार ने बिजली का बिल भेज दिया है. जिसमें स्थाई शुल्क भी 185 पर किलो वाट की जगह ज्यादा कर दिया है, जो बिल्कुल गलत है.

यह भी पढ़ें- मंत्री अशोक चांदना ने सतीश पूनिया पर की अशोभनीय टिप्पणी

लॉकडाउन के दौरान औद्योगिक इकाइयां बिल्कुल बंद थी, तो स्थाई शुल्क को माफ किया जाए. वहीं, औद्योगिक इकाइयों द्वारा उपभोग की गई वास्तविक बिजली का ही बिल भेजा जाए, जिससे उन पर भार नहीं पड़े. साथ ही उद्योगों द्वारा सोलर ऊर्जा उत्पादन किया गया है, वह सोलर ऊर्जा से उनकी फैक्ट्रियां बंद होने से उन्होंने बिजली कंपनियों को दी, उसको पुनः काटकर उनके बिल में शामिल किया जाए.

इन लोगों ने 9 सूत्रीय मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है कि सरकार उनके वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कुछ राहत दे. अगर सरकार उनकी मांगें नहीं मानी तो वे लोग इसी प्रकार प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपते रहेंगे. अब देखना होगा कि जहां केंद्र और राज्य सरकार उद्योगों को बढ़ाने के लिए नई नई नीतियां लेकर आ रही है, वहां वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात इन उद्योगों को पुन: पटरी पर लाने के लिए बिजली के बिलों में कुछ रियायत देती है या नहीं.

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