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डिजिटल इंडिया में आर्थिक स्तर पर निर्णायक स्थिति से कोसों दूर हैं शिक्षित महिलाएं

देश की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में अभी भी पुरुषों के ऊपर निर्भर हैं. देश के पीएम डिजिटल इंडिया की बातें तो करते हैं, लेकिन धरातल पर हालात इसके विपरीत है. क्या है डिजिटल इंडिया की असली सच्चाई जानिए इस रिपोर्ट में...

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Published : Sep 25, 2019, 2:40 PM IST

भीलवाड़ा. जहां एक और देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया और महिला उत्थान की बातें करते हैं. वहीं देश की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में आर्थिक स्तर पर निर्णायक स्थिति से कोसों दूर नजर आ रही हैं. इन शिक्षित महिलाओं के हाथ में भले ही एंड्रॉयड फोन हो, लेकिन ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में ये शिक्षित महिलाएं भी 21वीं सदी के भारत में कोसों दूर हैं.

देश की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में पीछे

अब जानते है भीलवाड़ा की डॉ. कविता पारीक को, जिन्होंने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को लेकर पीएचडी की. जिसमें यह सारे भ्रामक तथ्य सामने आए हैं कि आज के जमाने की महिलाएं एंड्रॉयड फोन फेसबुक, वाट्सएप इस्तेमाल करना तो जानती है. मगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में ये अब भी कोसों दूर हैं. डॉ.पारीक ने स्नातक तक शिक्षित 100 महिलाओं का अलग-अलग ब्लॉक में जाकर एजुकेशन, नर्सिंग, शिक्षा, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर काम करने वाली महिलाओं पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को लेकर सर्वे किया. सर्वे में महिलाओं की उम्र 25 साल से 45 साल रखी गई. जिसमें डॉ. पारीक ने यह जाना की महिलाओं को डिजिटल ज्ञान कितना है. कौन-कौन डिजिटल उपक्रम का उपयोग करती हैं. अगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती हैं तो क्या-क्या समस्या आती है. इन सभी बिंदुओं पर कविता पारीक ने सर्वे किया. इस सर्वे के परिणाम में उन्होंने पाया कि अधिकतर महिलाएं ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से कोसों दूर नजर आईं.

पढ़ेंः भीलवाड़ा: जिला स्तरीय पोषण मेले का आयोजन

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में पीएचडी करने वाली डॉक्टर कविता पारीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अभी भी मैंने देखा है की बहुत सी पढ़ी लिखी औरतें भी डिजिटल के क्षेत्र में पुरूषों पर डिपेंड है. जब महिलाओं को मोबाइल से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना होता है तो वे पासवर्ड सहित फोन की पुरी की पुरी गोपनीय सूचना पुरुष को बता देती हैं. पारीक ने बताया कि उनको लेकर मुझे ऐसा लगा कि हम बैंकिंग क्षेत्र की इतनी बातें कर रहे हैं कि सबको डिजिटल होना चाहिए, फिर भी पढ़ी-लिखी महिलाएं अभी भी डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर हैं.

पढ़ेंः भीलवाड़ा में दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की सजा, 25 हजार का जुर्माना

सर्वे के सवाल पर डॉ. पारीक ने कहा कि 100 महिलाओं पर सर्वे किया, जिनकी प्रत्येक की उम्र 25 से 45 साल रखी गई. यह ऐज ग्रुप ज्यादा एक्टिव रहता है. इसलिए इस पार्टिकुलर ऐज ग्रुप के अंदर कितनी महिलाएं बैंकिंग क्षेत्र में जुड़ी है, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती हैं या नहीं, इन बिंदुओं पर उन्होंने सर्वे किया. इस सर्वे के पीछे मुख्य उद्देश्य के सवाल पर डॉ. पारीक ने कहा कि जो डिजिटलाइजेशन की इतनी बातें करते हैं. आधी आबादी अभी भी इस डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर है. प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की बातें तो करते हैं, लेकिन धरातल पर हालात इसके विपरीत है. अपनी राय देते हुए डॉ. पारीक ने कहा कि सरकार को प्रत्येक उपखंड स्तर पर पूरे देश में कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए. जिससे यह महिलाएं भी डिजिटलाइजेशन का उपयोग कर सकें.

भीलवाड़ा. जहां एक और देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया और महिला उत्थान की बातें करते हैं. वहीं देश की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में आर्थिक स्तर पर निर्णायक स्थिति से कोसों दूर नजर आ रही हैं. इन शिक्षित महिलाओं के हाथ में भले ही एंड्रॉयड फोन हो, लेकिन ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में ये शिक्षित महिलाएं भी 21वीं सदी के भारत में कोसों दूर हैं.

देश की आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में पीछे

अब जानते है भीलवाड़ा की डॉ. कविता पारीक को, जिन्होंने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को लेकर पीएचडी की. जिसमें यह सारे भ्रामक तथ्य सामने आए हैं कि आज के जमाने की महिलाएं एंड्रॉयड फोन फेसबुक, वाट्सएप इस्तेमाल करना तो जानती है. मगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के मामले में ये अब भी कोसों दूर हैं. डॉ.पारीक ने स्नातक तक शिक्षित 100 महिलाओं का अलग-अलग ब्लॉक में जाकर एजुकेशन, नर्सिंग, शिक्षा, प्रशासनिक और सामाजिक स्तर पर काम करने वाली महिलाओं पर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को लेकर सर्वे किया. सर्वे में महिलाओं की उम्र 25 साल से 45 साल रखी गई. जिसमें डॉ. पारीक ने यह जाना की महिलाओं को डिजिटल ज्ञान कितना है. कौन-कौन डिजिटल उपक्रम का उपयोग करती हैं. अगर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती हैं तो क्या-क्या समस्या आती है. इन सभी बिंदुओं पर कविता पारीक ने सर्वे किया. इस सर्वे के परिणाम में उन्होंने पाया कि अधिकतर महिलाएं ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से कोसों दूर नजर आईं.

पढ़ेंः भीलवाड़ा: जिला स्तरीय पोषण मेले का आयोजन

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में पीएचडी करने वाली डॉक्टर कविता पारीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अभी भी मैंने देखा है की बहुत सी पढ़ी लिखी औरतें भी डिजिटल के क्षेत्र में पुरूषों पर डिपेंड है. जब महिलाओं को मोबाइल से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करना होता है तो वे पासवर्ड सहित फोन की पुरी की पुरी गोपनीय सूचना पुरुष को बता देती हैं. पारीक ने बताया कि उनको लेकर मुझे ऐसा लगा कि हम बैंकिंग क्षेत्र की इतनी बातें कर रहे हैं कि सबको डिजिटल होना चाहिए, फिर भी पढ़ी-लिखी महिलाएं अभी भी डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर हैं.

पढ़ेंः भीलवाड़ा में दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की सजा, 25 हजार का जुर्माना

सर्वे के सवाल पर डॉ. पारीक ने कहा कि 100 महिलाओं पर सर्वे किया, जिनकी प्रत्येक की उम्र 25 से 45 साल रखी गई. यह ऐज ग्रुप ज्यादा एक्टिव रहता है. इसलिए इस पार्टिकुलर ऐज ग्रुप के अंदर कितनी महिलाएं बैंकिंग क्षेत्र में जुड़ी है, ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करती हैं या नहीं, इन बिंदुओं पर उन्होंने सर्वे किया. इस सर्वे के पीछे मुख्य उद्देश्य के सवाल पर डॉ. पारीक ने कहा कि जो डिजिटलाइजेशन की इतनी बातें करते हैं. आधी आबादी अभी भी इस डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर है. प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया की बातें तो करते हैं, लेकिन धरातल पर हालात इसके विपरीत है. अपनी राय देते हुए डॉ. पारीक ने कहा कि सरकार को प्रत्येक उपखंड स्तर पर पूरे देश में कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए. जिससे यह महिलाएं भी डिजिटलाइजेशन का उपयोग कर सकें.

Intro:नोट- यह खबर श्री राजेश जी सर को पूछ कर भेजी है साथ ही इसमें वॉइस ओवर आगे से ही करवाने की राजेश जी सर ने कहा था यह खबर अभी तक की सुपर एक्सक्लूसिव खबर है।

भीलवाड़ा- जहां एक और देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया व महिला उत्थान की बात करते हैं वही देश में आधी आबादी मानी जाने वाली महिलाएं डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में आर्थिक स्तर पर निर्णायक स्थिति से कोसों दूर नजर आ रही है। इन शिक्षित महिलाओ के हाथ भले ही एंड्रॉयड फोन हो लेकिन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से यह शिक्षित महिलाये 21वीं सदी के भारत में कोसों दूर है।


Body:देश में आधी आबादी माने जाने वाली महिलाओं के हाथ में प्ले ही एंड्राइड फ़ोन हो लेकिन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से कोसों दूर है। महिला चाहे ग्रहणी ,पढ़ने जाने वाली युवती, सरकारी क्षेत्र और निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं डिजिटल इंडिया के क्षेत्र से कोसों दूर है।
यह महिलाएं भले ही अपने एंड्रॉयड फोन से फेसबुक व व्हाट्सएप चलाती हो लेकिन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के नाम पर बिल्कुल नहीं करने के कारण ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से यह महिलाएं काफी दूर है। भीलवाड़ा की डॉ कविता पारीक ने ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को लेकर पीएचडी की जिसमें यह भ्रामक तथ्य सामने आए हैं । कविता पारीक ने स्नातक तक शिक्षित 100 महिलाओं का अलग-अलग ब्लॉक में जाकर सर्वे किया। जिसमें एजुकेशन, नर्सिंग ,शिक्षा ,प्रशासनिक व सामाजिक स्तर पर काम करने वाली महिलाओं पर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को लेकर सर्वे किया। सर्वे मे महिलाओं की उम्र 25 वर्ष से 45 वर्ष रखी गई ।जिसमें पारीक ने महिलाओं का नॉलेज यानी डिजिटल ज्ञान कितना है ,कौन-कौन डिजिटल उपक्रम का उपयोग करती है, अगर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करते हैं तो क्या- क्या समस्या आती है इन सभी बिंदुओं पर कविता पारीक ने सर्वे किया। जहां अधिकतर महिलाएं ऑनलाइन ट्रांजैक्शन से कोसों दूर नजर आई।

ऑनलाइन ट्रांजैक्शन में पीएचडी करने वाली डॉक्टर कविता पारीक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि अभी भी मैंने जब एक बार देखा की बहुत पढ़ी लिखी औरतें भी डिजिटल के क्षेत्र मे आदमियों पर डिफरेंट है । मोबाइल में ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करना था लेकिन अभी भी पासवर्ड सहित फोन की पुरी की पुरी गोपनीय सूचना पुरुष को बता देती है ।ओर उन पर डिफरेंट रहती है। उनको लेकर मुझे ऐसा लगा कि हम बैंकिंग क्षेत्र में इतनी बातें कर रहे हैं कि डिजिटलाइजेशन होना चाहिए फिर भी पढ़ी-लिखी महिलाएं अभी भी डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर है। इसलिए मैंने पी एच डी में यह विषय उठाया था कि जो आर्थिक रूप से जितनी भी महिलाएं हैं वह सशक्त होने के बाद भी अशसक्त जैसा व्यवहार करती है । इन पर मैंने सर्वे कर पीएचडी की।

किन किन बिंदुओं पर सर्वे के सवाल पर डॉ पारीक ने कहा कि 100 महिलाओं पर सर्वे किया जिनकी प्रत्येक की उम्र 25 से 45 वर्ष रखी गई। यह ऐज ग्रुप ज्यादा एक्टिव रहता है इसलिए इस पार्टिकुलर ऐज ग्रुप के अंदर कितनी महिलाएं बैकिग क्षेत्र में जुड़ी है ।ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करती है या नहीं। इन बिंदुओं पर सर्वे किया ।

सर्वे में क्या-क्या बिंदु रखे गए के सवाल पर डॉ कविता पारीक ने कहा कि सभी महिलाएं स्नातक पास थी हमने अलग-अलग क्षेत्र से जुड़ी महिलाएं का सर्वे किया जिसमे चिकित्सा, शिक्षा, सामाजिक और निजी क्षेत्र में काम करने वाली यहां तक कि स्नातक स्टूडेंट्स सर्वे में शामिल किया। जहा सभी को सर्वे के फार्म भरवाए गए । जहां अधिकतर सभी महिलाएं डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में अपने एंड्रॉयड फोन से व्हाट्सएप पर फेसबुक का यूज़ तो करती है लेकिन डिजिटलाइजेशन ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के नाम पर न के बराबर पाई गई। मैंने इस सर्वे में सभी ग्रैजुएट महिलाओं को चुना मेरा यह मोटो था कि ग्रेजुएट करने के बाद भी जो फेसबुक में व्हाट्सएप का यूज करने वाली औरतें भी महंगे महंगे मोबाइल यूज़ तो करती है लेकिन उनका यूज़ क्या होना चाहिए वह नहीं हो रहा है।

इनके पीछे मुख्य उद्देश्य के सवाल पर डॉ पारीक ने कहा कि जो डिजिटलाइजेशन की इतनी बातें करते हैं आधी आबादी इस डिजिटलाइजेशन से कोसों दूर है ।ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के तहत वह बिल पे करते समय भी दूसरों पर डिफरेंट रहती है ।प्रधानमंत्री डिजिटलाइजेशन की बात करते हैं लेकिन धरातल पर इनके विपरीत है यहां तक की आधी से ज्यादा महिलाएं यूज़ करना चाहती है लेकिन उनके अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर होने का भय रहता है। इसलिए इन महिलाओं के मेंटलिटी चेंज होनी चाहिए ।जिसके लिए सरकार को प्रत्येक उपखंड स्तर पर पूरे देश में कार्यशाला का आयोजन करना चाहिए ।जिससे यह महिलाएं भी डिजिटलाइजेशन का उपयोग कर सके।

अब देखना यह होगा कविता पारीक की पीएचडी के भ्रामक तथ्य के बाद केंद्र सरकार व राज्य सरकार डिजिटलाइजेशन के लिए कार्यशाला का आयोजन करती है या नहीं ।

सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा

वन-टू-वध - डां. कविता पारीक

पीएचडी डिजिटलाइजेशन


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