भीलवाड़ा. नवरात्र में बालिकाओं की मां दुर्गा के रूप में पूजा की जाती है. कई जगहों पर कन्या भोज का आयोजन होता है, लेकिन भीलवाड़ा की एक निजी ग्रुप की ओर से बालिकाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए लाठी चलाने का ऑनलाइन वर्चुअल प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जहां विपरीत परिस्थितियों में बालिकाएं मनचलों से दो-दो हाथ करने के लिए मां काली का रूप धारण कर सकें.
वर्तमान समय में ऐसा कोई काम नहीं है जो हमारी बेटियां नहीं कर सकती हैं. बेटियों को अब सशक्त और आत्मनिर्भर बनकर आगे बढ़ना चाहिए. खासकर यह समय बेटियों के लिए आत्मरक्षा शिक्षा और स्वरोजगार में आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है. इसी उद्देश्य को लेकर भीलवाड़ा के एक निजी ग्रुप के आयोजक अनिल मानसिंहगा की ओर से बेटियों को ऑनलाइन लाठी चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जहां उनके संस्थान से अनुभवी शिक्षक ऑनलाइन प्रशिक्षण दे रहे हैं.
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निजी ग्रुप के आयोजक अनिल मानसिंहगा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि स्वदेशी सॉफ्टवेयर बनाया है. पहले यहां से निशुल्क शिक्षा दी जाती थी, वहीं वर्तमान में नवरात्र के पावन मौके पर लाठी चलाने आत्मरक्षा का शिविर आयोजन किया जा रहा है. इस वर्चुअल शिविर में काफी संख्या में बालिकाएं भाग ले रही हैं.
इसमें हिंदुस्तान के 18 प्रदेश जैसे छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित 18 प्रदेश और तीन विदेश उस्मान, दुबई और कुवैत की बालिकाएं लाठी चलाने का ऑनलाइन प्रशिक्षण ले रही हैं. यह प्रशिक्षण दशहरे के दिन खत्म हो जाएगा. प्रशिक्षण खत्म होने के बाद जो बालिका खुद लाठी चलाकर अपना वीडियो अपलोड करेगी, उनमें से 9 बेस्ट बालिकाओं को भगवान गणेश की सोने की मूर्ति इनाम स्वरूप दी जाएगी.
हमारा उद्देश्य है कि बच्चियां आत्मनिर्भर बनें. अगर उनको लाठी चलाना आएगा तो वह आत्मनिर्भर बनेगी. जिसके बाद यह हाथरस और दौसा जैसी घटना नहीं होगी. पुलिस और पब्लिक अवेलेबल नहीं है. ऐसे में बालिका अपनी रक्षा कैसे करें और उन्हें कैसे कॉन्फिडेंस पैदा हो ऑनलाइन प्रशिक्षण में सिखाया जा रहा है.
मनचलों के लिए बालिका मां काली का रूप धारण कर मनचलों से दो-दो हाथ कर सके इसको लेकर नवरात्र में बालिका को मां काली का स्वरूप मानकर यह प्रशिक्षण दे रहे हैं. इस प्रशिक्षण के दौरान बालिका को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोटिवेशनल स्पीच भी दी जा रही है. यहां प्रशिक्षण सीखने के बाद बालिका दूसरी बच्चियों को प्रशिक्षण देकर भी पैसा कमा सकती है. वर्तमान में 200 बालिकाएं ऑनलाइन प्रशिक्षण ले रही हैं.