भीलवाड़ा. केंद्र सरकार ने हाल ही में 3 कृषि कानून पास किए, जिसको लेकर देशभर में जगह-जगह किसान धरना, प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे हैं. जहां किसानों की एक कमेटी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर किया गया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया.
इस फैसले के बाद भाजपा के पूर्व मंत्री कालूलाल गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि कृषि संबंधित तीन कानून भारत सरकार ने बनाएं. जिनके खिलाफ किसानों ने आंदोलन कर रखा है, वह प्रायोजित है. तीनों कानून से न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि भविष्य में भी नुकसान होने की संभावना है. फिर भी बातचीत करके संशोधन करने को भारत सरकार तैयार है, लेकिन प्रतिपक्ष और अन्य संगठन के लोगों ने किसान आंदोलन को हाईजैक कर लिया है.
वहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है, वो फैसला सर्वमान्य होता है, उसको पूरा देश मानता है, लेकिन माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बनाई है, लेकिन मुझे आश्चर्य है कि फिर भी किसान कह रहे हैं कि हम कमेटी के पास नहीं जाएंगे, फिर फैसले का क्या औचित्य. सुप्रीम कोर्ट का काम कोई भी कानून बनता है, तो वह वैलिड है या नहीं उसकी वैधता या अवैधता के ऊपर जांच करके निर्णय करना है.
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हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बीच का रास्ता निकालकर इस आंदोलन को खत्म करने का रास्ता निकाला, लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इस फैसले से आंदोलन खत्म होगा. सुप्रीम कोर्ट को इस कानून को डिस डेट करना होगा. कोर्ट का काम कानून की समालोचना करना होता है.