ETV Bharat / city

Special : कोरोना ने बिगाड़ा 'मरका' का जायका...पहले लगती थी कतार, अब खाली बैठे हैं दुकानदार - भीलवाड़ा की मरका मिठाई

कोरोना महामारी का असर इस बार दीपावली से पहले मिठाई विक्रेताओं की बिक्री पर भी पड़ रहा है. देश भर में प्रसिद्ध उड़द की दाल से बनने वाली राजस्थान की मरका मिठाई से भी लोगों ने दूरी बना ली है. दीपावली से एक माह पूर्व ही इसकी बिक्री शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने इस मिठाई की 'मिठास' छीन ली है. पढ़ें पूरी खबर...

no customers in sweets shops
जैसलमेर की मरका मिठाई की दुकानों पर है सन्नाटा
author img

By

Published : Nov 5, 2020, 5:52 PM IST

भीलवाड़ा. दीपावली करीब आते ही तरह-तरह की मिठाई बनाने के लिए दुकानदार भी सामग्री जुटाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में देश भर में प्रसिद्ध उड़द की दाल से बनने वाली राजस्थान की मरका मिठाई लोगों की पहली पसंद रहती है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इसकी बिक्री न के बराबर हो गई है. इससे दुकानदारों के साथ मिठाई बनाने वालों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब दुकानदारों की सारी उम्मीदें दीपावली के पर्व पर ही टिकी हैं.

जैसलमेर की मरका मिठाई की दुकानों पर है सन्नाटा...

त्योहार का सीजन कारोबार का होता है. हर व्यवसाई को दीपावली पर अच्छी बिक्री की उम्मीद रहती है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण बाजार का जो हाल है, उससे उनकी उम्मीद टूटती नजर आ रही है. देश में प्रसिद्ध भीलवाड़ा शहर में उड़द की दाल से खास मरका मिठाई बनाई जाती है, लेकिन इस बार न के बराबर बिक्री होने के कारण मिठाई विक्रेता मायूस हैं.

100 से अधिक हैं मरका मिठाई की दुकानें...

भीलवाड़ा शहर में लगभग 100 अस्थाई दुकानें हैं. महामारी से पहले काफी मात्रा में मरका मिठाई की बिक्री होती थी, लेकिन जब से दुकानें शुरू हुई हैं, बिक्री बेहद कम हो रही है. भीलवाड़ा के सत्यम कंपलेक्स, रेलवे स्टेशन, सूचना केंद्र चौराया, सरकारी दरवाजा, पुराना भीलवाड़ा, शास्त्री नगर, आरके कॉलोनी सहित कई जगह मरका मिठाई की दुकानें लगती हैं.

Earlier shops used to get crowded
पहले दुकानों पर लगती थी भीड़...

यह भी पढ़ें: Special: बूंदी के लड्डू की फीकी पड़ी मिठास...जानें क्या है कारण?

मिठाई की दुकान में मिठाई बना रहे हलवाई नंदलाल ने कहा कि हम उड़द की दाल से मरका मिठाई बना रहे हैं. यह मिठाई उड़द की दाल से बनाते हैं और शुद्ध देसी घी में बनाई जाती है और मेहनत भी काफी होती है. इस बार कोरोना की वजह से कम बिक्री हो रही है. यहां 15 दिन पहले ही दुकान लग जाती थी. प्रतिवर्ष दीपावली से पहले यह बेचने लग जाते हैं, लेकिन इस बार तो मेहनताना ही नहीं मिल रहा है.

Artisans are also worried due to reduced sales
बिक्री कम होने से कारीगर भी हैं परेशान...

एक अन्य हलवाई भंवर सिंह ने कहा कि मैं 30 वर्ष से मरका मिठाई बना रहा हूं. यह उड़द की दाल से बनते हैं, लेकिन इस बार ग्राहक कम आ रहे हैं. आजकल ग्राहकी बिल्कुल नहीं है और बिक्री नहीं हो रही है. जब कोरोना का प्रकोप नहीं था तब दीपावली पर खूब बिक्री होती थी, क्योंकि यह स्वादिष्ट होते हैं पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत ही बिक्री हो रही है. कोरोना से मरका मिठाई की मिठास भी गायब हो गई है और लोग भी कोरोना के डर के कारण इसे नहीं खरीद रहे हैं. वहीं मरका मिठाई खरीदने आए खरीदार गोपाल लाल ने बताया कि ग्राहकी कम हुई है, लेकिन स्वाद अच्छा होने के कारण अब कुछ लोग खरीद रहे हैं. लोगों मे कोरोना का डर और बेरोजगारी दोनों ही प्रमुख मुद्दे हैं. लोग डर के कारण बाहर बन रही मिठाई नहीं खरीद रहे हैं. अधिकतर लोग घर पर ही मिठाई बनाना पसंद कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: Special: शराब के शौकीन बढ़ाएंगे राजस्व, फिर भरेगा सरकारी खजाना

मरका मिठाई बेचने वाले दुकानदार महावीर पाटनी ने कहा कि हम उड़द की दाल से मरका मिठाई बनाते हैं. कोरोना से 50 फीसदी तक ग्राहकी में कमी आई है. पहले हमारे को फुर्सत नहीं मिलती थी, लेकिन अब ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं. पहले लेबर भी ज्यादा काम करते थे और उनको रोजगार भी मिलता था, लेकिन कोरोना के बाद से काम कम होने से उनका रोजगार भी छिन गया है. हम एक किलो उड़द की दाल में 3 किलो मिठाई बनाते हैं और 360 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. यह शुद्ध देसी घी में बनाई जाती है.

विक्रेता भेरूलाल ने कहा कि दीपावली का त्योहार आ गया है. हम 60 वर्षों से उड़द की दाल से मरका मिठाई बनाते आ रहे हैं. यह हमारा पुश्तैनी काम है. उड़द की दाल से देसी घी में इसे बनाया जाता है. 360 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. वहीं वनस्पति घी में बनी मिठाई 120 रुपये प्रति किलो में बेचते हैं. अब तक के 60 वर्ष के कार्यकाल में हमने ऐसा समय नहीं देखा. भीलवाड़ा में अभी ग्राहकी बिल्कुल कम है. शहर में मरका मिठाई बनाने वाली लगभग 100 दुकानें हैं. हमारे पूर्वजों ने यह व्यापार शुरू किया था. कोरोना से इस मिठाई की मिठास गुम होती जा रही है. अब यही उम्मीद है कि पर्व पर बेहतर कारोबार की उम्मीद है.

भीलवाड़ा. दीपावली करीब आते ही तरह-तरह की मिठाई बनाने के लिए दुकानदार भी सामग्री जुटाना शुरू कर देते हैं. ऐसे में देश भर में प्रसिद्ध उड़द की दाल से बनने वाली राजस्थान की मरका मिठाई लोगों की पहली पसंद रहती है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इसकी बिक्री न के बराबर हो गई है. इससे दुकानदारों के साथ मिठाई बनाने वालों को भी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब दुकानदारों की सारी उम्मीदें दीपावली के पर्व पर ही टिकी हैं.

जैसलमेर की मरका मिठाई की दुकानों पर है सन्नाटा...

त्योहार का सीजन कारोबार का होता है. हर व्यवसाई को दीपावली पर अच्छी बिक्री की उम्मीद रहती है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण बाजार का जो हाल है, उससे उनकी उम्मीद टूटती नजर आ रही है. देश में प्रसिद्ध भीलवाड़ा शहर में उड़द की दाल से खास मरका मिठाई बनाई जाती है, लेकिन इस बार न के बराबर बिक्री होने के कारण मिठाई विक्रेता मायूस हैं.

100 से अधिक हैं मरका मिठाई की दुकानें...

भीलवाड़ा शहर में लगभग 100 अस्थाई दुकानें हैं. महामारी से पहले काफी मात्रा में मरका मिठाई की बिक्री होती थी, लेकिन जब से दुकानें शुरू हुई हैं, बिक्री बेहद कम हो रही है. भीलवाड़ा के सत्यम कंपलेक्स, रेलवे स्टेशन, सूचना केंद्र चौराया, सरकारी दरवाजा, पुराना भीलवाड़ा, शास्त्री नगर, आरके कॉलोनी सहित कई जगह मरका मिठाई की दुकानें लगती हैं.

Earlier shops used to get crowded
पहले दुकानों पर लगती थी भीड़...

यह भी पढ़ें: Special: बूंदी के लड्डू की फीकी पड़ी मिठास...जानें क्या है कारण?

मिठाई की दुकान में मिठाई बना रहे हलवाई नंदलाल ने कहा कि हम उड़द की दाल से मरका मिठाई बना रहे हैं. यह मिठाई उड़द की दाल से बनाते हैं और शुद्ध देसी घी में बनाई जाती है और मेहनत भी काफी होती है. इस बार कोरोना की वजह से कम बिक्री हो रही है. यहां 15 दिन पहले ही दुकान लग जाती थी. प्रतिवर्ष दीपावली से पहले यह बेचने लग जाते हैं, लेकिन इस बार तो मेहनताना ही नहीं मिल रहा है.

Artisans are also worried due to reduced sales
बिक्री कम होने से कारीगर भी हैं परेशान...

एक अन्य हलवाई भंवर सिंह ने कहा कि मैं 30 वर्ष से मरका मिठाई बना रहा हूं. यह उड़द की दाल से बनते हैं, लेकिन इस बार ग्राहक कम आ रहे हैं. आजकल ग्राहकी बिल्कुल नहीं है और बिक्री नहीं हो रही है. जब कोरोना का प्रकोप नहीं था तब दीपावली पर खूब बिक्री होती थी, क्योंकि यह स्वादिष्ट होते हैं पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत ही बिक्री हो रही है. कोरोना से मरका मिठाई की मिठास भी गायब हो गई है और लोग भी कोरोना के डर के कारण इसे नहीं खरीद रहे हैं. वहीं मरका मिठाई खरीदने आए खरीदार गोपाल लाल ने बताया कि ग्राहकी कम हुई है, लेकिन स्वाद अच्छा होने के कारण अब कुछ लोग खरीद रहे हैं. लोगों मे कोरोना का डर और बेरोजगारी दोनों ही प्रमुख मुद्दे हैं. लोग डर के कारण बाहर बन रही मिठाई नहीं खरीद रहे हैं. अधिकतर लोग घर पर ही मिठाई बनाना पसंद कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें: Special: शराब के शौकीन बढ़ाएंगे राजस्व, फिर भरेगा सरकारी खजाना

मरका मिठाई बेचने वाले दुकानदार महावीर पाटनी ने कहा कि हम उड़द की दाल से मरका मिठाई बनाते हैं. कोरोना से 50 फीसदी तक ग्राहकी में कमी आई है. पहले हमारे को फुर्सत नहीं मिलती थी, लेकिन अब ग्राहक बहुत कम आ रहे हैं. पहले लेबर भी ज्यादा काम करते थे और उनको रोजगार भी मिलता था, लेकिन कोरोना के बाद से काम कम होने से उनका रोजगार भी छिन गया है. हम एक किलो उड़द की दाल में 3 किलो मिठाई बनाते हैं और 360 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. यह शुद्ध देसी घी में बनाई जाती है.

विक्रेता भेरूलाल ने कहा कि दीपावली का त्योहार आ गया है. हम 60 वर्षों से उड़द की दाल से मरका मिठाई बनाते आ रहे हैं. यह हमारा पुश्तैनी काम है. उड़द की दाल से देसी घी में इसे बनाया जाता है. 360 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. वहीं वनस्पति घी में बनी मिठाई 120 रुपये प्रति किलो में बेचते हैं. अब तक के 60 वर्ष के कार्यकाल में हमने ऐसा समय नहीं देखा. भीलवाड़ा में अभी ग्राहकी बिल्कुल कम है. शहर में मरका मिठाई बनाने वाली लगभग 100 दुकानें हैं. हमारे पूर्वजों ने यह व्यापार शुरू किया था. कोरोना से इस मिठाई की मिठास गुम होती जा रही है. अब यही उम्मीद है कि पर्व पर बेहतर कारोबार की उम्मीद है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.