भीलवाड़ा. अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो हर राह आसान हो जाती है. ऐसा ही कारनामा भीलवाड़ा के कारपेंटर लादुलाल सुथार ने कर दिखाया. जो शारीरिक रूप से भले ही दिव्यांग हैं, लेकिन कुछ कर गुजरने के लिए हौसला बुलंद है. एक हाथ न होते हुए भी उन्होंने जो किया है, वो किसी मिसाल से कम नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा से खुद के उद्योग में लकड़ी की इलेक्ट्रिक कार बना डाली. यह कार 15 रुपये के बिजली खर्च में 100 किलोमीटर चलती है. इसका लुक महिंद्रा की थार गाड़ी से कम नहीं है. इसमें इंडिकेटर, साइड क्लास और तमाम सुविधा उपलब्ध है.
परिवहन विभाग से मान्यता लेने की जरूरत नहीं
इस कार में 4 आदमी आसानी से बैठ कर सफर कर सकते हैं. इसकी स्पीड 30 किलोमीटर प्रति घंटा होने के कारण इसके लिए परिवहन विभाग से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है. इस बीच कार के बार में जानकारी जुटाने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने कार बनाने वाले लादूलाल सुथार से बात की तो, उन्होंने बताया कि यह कार चीड़ की लकड़ी से बनाई गई है, जो पूरी तरह इलेक्ट्रिक है. उन्होंने कहा कि इसमें चार आदमी आसानी से बैठ कर सफर कर सकते हैं.
आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा ने बनवाई कार
लादूलाल सुथार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की प्रेरणा ने इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए उत्साहित किया. उन्होंने कहा कि यह कार पूरी तरह चीड़ की लकड़ी से बनी है. इस कार को बनाने में करीब 2 लाख रुपये का खर्चा आया है. कार को एक बार दो से ढाई घंटे चार्ज करने पर 100 किलोमीटर चल सकती है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में लोग पौराणिक चीजों को भूल गए हैं, इसलिए लकड़ी की पुरानी लुकिंग की कार बनाई गई है.
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5 और कारों पर चल रहा काम
लादूलाल सुथार ने कहा कि एक हाथ नहीं होने पर भी हौसला बुलंद है. उन्होंने कहा कि 1983 में पिता के साथ काम करते समय एक हाथ कट गया था. लादूलाल सुथार के उद्योग में तमाम लकड़ी के फर्नीचर भी बनाए जाते हैं. वर्तमान में उन्होंने 5 और कारों का प्रोजेक्ट ले रखा है, जो जल्द बनकर तैयार हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कार अच्छी तरह चली, भविष्य में 200 से 300 लकड़ी की कार का निर्माण किया जाएगा.