भीलवाड़ा. भीलवाड़ा. जिले के पारिवारिक न्यायालय ने शनिवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 12 साल पहले हुए बाल विवाह को निरस्त कर दिया है. बालिका की शादी 12 साल पहले उस समय हुई थी जब उसकी उम्र महज 7 वर्ष की थी. बड़ी होने के बाद किशोरी ने जोधपुर के सारथी ट्रस्ट की मदद से भीलवाड़ा में विवाह निरस्त करने की गुहार लगाई थी.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बाल विवाह को निरस्त कर दिया है. सारथी ट्रस्ट की की मैनेजिंग ट्रस्टी एवं पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉ . कृति भारती ने कहा कि बालिका का बाल विवाह 2009 में बनेड़ा तहसील निवासी युवक के साथ हुआ था. उसने करीब 12 साल तक बाल विवाह का दंश झेला. इस दौरान जाति पंचों व अन्य की ओर से लगातार गौना (बाल विवाह के बाद बालिग होने पर लड़की को ससुराल लाने की रस्म) कराने के लिए दबाव बनाया जाता रहा.
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बड़ी होने पर किशोरी ने ससुराल जाने से इनकार कर दिया. इस पर उसे धमकियां मिलने लगीं. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बाल विवाह निरस्त कर दिया है. इस पर हमें भी खुशी मिली है. वहीं किशोरी का कहना है कि 'मुझे काफी खुशी है कि बाल विवाह के दलदल से उसे मुक्ति मिली है'. आने वाले समय में मैं भी बाल विवाह के दलदल में फंसी बालिकाओं की मदद करना चाहती हूं जो इस बालिका वधु की कुरीतियों में फंसी हुई हैं.