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SPECIAL: वस्त्र उद्योग पर कोरोना की मार, लेकिन धीरे-धीरे सुधर रहे हालात - भीलवाड़ा उद्योग

कोरोना जैसी महामारी के चलते वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों को काफी समस्या का सामना करना पड़ा है. जहां वस्त्र उद्यमियों का मानना है कि 1 वर्ष तक उद्योगों को बढ़ावा मिलना संभव नहीं है. कोरोना से वस्त्र उद्योग पर ग्रहण लग गया है. साथ ही लॉकडाउन के दौरान वे तनाव में रहे. देखें पूरी रिपोर्ट...

Textile Industry in Bhilwara, Corona Effect on Textile Industry
वस्त्र उद्योग पर कोरोना की मार
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Published : Aug 21, 2020, 9:31 PM IST

भीलवाड़ा. कोरोना जैसी महामारी के कारण वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ा. उद्योगपतियों की हालत जानने ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के विभिन्न वस्त्र संगठन, उद्योगपति और सरकारी अधिकारियों के पास पहुंची.

मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानसिंहगा ने बताया कि कोरोना से सभी तरह के बिजनेस में बहुत बड़ी दिक्कत आई है. जैसे ही अनलॉक होना चालू हुआ तो बिजनेस में कुछ धीरे-धीरे राह पकड़ी है. अभी भीलवाड़ा का उत्पादन पिछले माह 50 प्रतिशत था. वह धीरे-धीरे बढ़ रहा है. उम्मीद है कि दीपावली तक 80 प्रतिशत टेक्सटाइल क्षेत्र में उत्पादन हो जाएगा.

वस्त्र उद्योग पर कोरोना की मार

पढ़ें- दोहरी मार: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौसमी बीमारियां भी डराने लगी

वहीं कपड़े का भी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन हो रहा है. कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए वस्त्र उद्यमी अपनी उत्पादन इकाइयां चला रहे हैं. मजदूरों को कोई दिक्कत नहीं है, सभी को काम मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान उद्योगपति तनाव में रहे, अभी भी तनाव है. उन्होंने कहा कि लग रहा है कि 1 वर्ष तक यही स्थिति रहेगी. जो नुकसान हो गया है, उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती है. सरकार ने किसी को कुछ भी लाभ नहीं दिया है. सिर्फ समय पर ब्याज चुकाने पर जरूर राहत दी है.

श्रमिकों और उद्योगपतियों को एक प्लेटफार्म देने की कोशिश

प्रवासी मजदूरों को औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार मिलने को लेकर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने बताया कि हमारी कोशिश यह है कि धीरे-धीरे सभी चीजें नॉर्मल हो जाएं. जो मजदूर बाहर से आए हैं, उन्हें अपने जिले में रोजगार मिले. भीलवाड़ा जिले में कुल 39 हजार श्रमिक आए हैं, उनको ध्यान केंद्रित करते हुए एक पोर्टल बनाया है, जिसका नाम राज कौशल पोर्टल व दूसरा एनसीएस पोर्टल बनाया है. पोर्टल में काम करने वाले मजदूर और काम करवाने वाले उद्योगपतियों की जानकारी होगी.

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इनका एक साझा प्लेटफार्म बनाया है. जिनको काम की जरूरत है और जिनको काम वाले की जरूरत है. इससे इन मजदूरों को प्रशिक्षण देकर उद्योगों को गति देने की कोशिश की जाएगी. जिससे वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के उद्योग पुनः पटरी पर लौट आएंगे. इसमें प्रथम फेज में 4000 श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया है. इन्होंने कपड़ा उद्योग, कारपोरेट, रंग-पेंट का काम सिखाया जा रहा है. इनको प्रशिक्षण के साथ-साथ कोरोना गाइडलाइन की पालना का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

50 प्रतिशत कैपेसिटी पर चले रहे प्लांट

वहीं टेक्सटाइल के संचालक अनिल सोनी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति बड़ी दयनीय चल रही है. कोरोना के कारण पूरा मार्केट डिस्टप है. प्लांट 50 प्रतिशत कैपेसिटी पर चल रहा है. शनिवार व रविवार को प्लांट वर्तमान में बंद है. लग रहा है कि स्थिति सामान्य होने में 31 मार्च 2021 तक समय लगेगा.

उन्होंने बताया कि मेरी इंडस्ट्रीज में पहले 400-500 श्रमिक काम करते थे, वर्तमान में 300 श्रमिक को ही बुलाया जा रहा है और पूरी कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाई जा रही है. सैनिटाइजर, मास्क पहनना व सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम करवाया जा रहा है. जो भी श्रमिक मास्क पहनकर नहीं आते हैं, उनको हमारी इंडस्ट्रीज द्वारा मास्क उपलब्ध करवाया जाता है फिर काम पर काम के लिए रखा जाता है.

पढ़ें- SPECIAL: कोरोना भी नहीं हरा पाया इन विशेष बच्चों को, Online क्लास ने बनाया टेक्नोलॉजी फ्रेंडली

वहीं भीलवाड़ा के प्रसिद्ध औद्योगिक संगठन भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने कहा कि वस्त्र नगरी के नाम से भीलवाड़ा विश्व विख्यात है. यहां 300 से 400 फैक्ट्रियां हैं. जो मार्च से बंद थी. मजदूरों को भोजन के लिए हमने सामाजिक दायित्व निभाया. उद्योगों को पुन संचालन के लिए मजदूर पलायन कर चुके थे. पलायन के बाद वापस कम मजदूर लौटे हैं. वर्तमान में बाहर से जो श्रमिक आए हैं, उनमें कुछ में कार्यकुशलता है और कुछ में नहीं है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में 80 प्रतिशत उद्योग ही चल रहे हैं, जिसमें 50 से 60 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है. काम की उपलब्धता बिल्कुल नहीं है. जब तक नीचे के स्तर पर ग्राहकी नहीं होगी, तब तक उद्योग फिर से पटरी पर नहीं लौटेंगे. पूरी गाइडलाइन के साथ काम करवाया जा रहा है. साथ ही सबसे बड़ी बात यह कि देश में कोरोना का प्रकोप महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा फैलने के कारण वहां की औद्योगिक इकाइयां ठप हैं. जिससे वहां से शर्टिंग का कपड़ा भीलवाड़ा में पहुंच रहा है, जिससे कुछ लोगों को अब उम्मीद बंधी है.

भीलवाड़ा. कोरोना जैसी महामारी के कारण वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के वस्त्र उद्यमियों को भी काफी समस्या का सामना करना पड़ा. उद्योगपतियों की हालत जानने ईटीवी भारत की टीम भीलवाड़ा के विभिन्न वस्त्र संगठन, उद्योगपति और सरकारी अधिकारियों के पास पहुंची.

मेवाड़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष अनिल मानसिंहगा ने बताया कि कोरोना से सभी तरह के बिजनेस में बहुत बड़ी दिक्कत आई है. जैसे ही अनलॉक होना चालू हुआ तो बिजनेस में कुछ धीरे-धीरे राह पकड़ी है. अभी भीलवाड़ा का उत्पादन पिछले माह 50 प्रतिशत था. वह धीरे-धीरे बढ़ रहा है. उम्मीद है कि दीपावली तक 80 प्रतिशत टेक्सटाइल क्षेत्र में उत्पादन हो जाएगा.

वस्त्र उद्योग पर कोरोना की मार

पढ़ें- दोहरी मार: कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मौसमी बीमारियां भी डराने लगी

वहीं कपड़े का भी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन हो रहा है. कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए वस्त्र उद्यमी अपनी उत्पादन इकाइयां चला रहे हैं. मजदूरों को कोई दिक्कत नहीं है, सभी को काम मिल रहा है. लॉकडाउन के दौरान उद्योगपति तनाव में रहे, अभी भी तनाव है. उन्होंने कहा कि लग रहा है कि 1 वर्ष तक यही स्थिति रहेगी. जो नुकसान हो गया है, उसकी भरपाई तो नहीं हो सकती है. सरकार ने किसी को कुछ भी लाभ नहीं दिया है. सिर्फ समय पर ब्याज चुकाने पर जरूर राहत दी है.

श्रमिकों और उद्योगपतियों को एक प्लेटफार्म देने की कोशिश

प्रवासी मजदूरों को औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार मिलने को लेकर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल राम बिरडा ने बताया कि हमारी कोशिश यह है कि धीरे-धीरे सभी चीजें नॉर्मल हो जाएं. जो मजदूर बाहर से आए हैं, उन्हें अपने जिले में रोजगार मिले. भीलवाड़ा जिले में कुल 39 हजार श्रमिक आए हैं, उनको ध्यान केंद्रित करते हुए एक पोर्टल बनाया है, जिसका नाम राज कौशल पोर्टल व दूसरा एनसीएस पोर्टल बनाया है. पोर्टल में काम करने वाले मजदूर और काम करवाने वाले उद्योगपतियों की जानकारी होगी.

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इनका एक साझा प्लेटफार्म बनाया है. जिनको काम की जरूरत है और जिनको काम वाले की जरूरत है. इससे इन मजदूरों को प्रशिक्षण देकर उद्योगों को गति देने की कोशिश की जाएगी. जिससे वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के उद्योग पुनः पटरी पर लौट आएंगे. इसमें प्रथम फेज में 4000 श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया है. इन्होंने कपड़ा उद्योग, कारपोरेट, रंग-पेंट का काम सिखाया जा रहा है. इनको प्रशिक्षण के साथ-साथ कोरोना गाइडलाइन की पालना का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

50 प्रतिशत कैपेसिटी पर चले रहे प्लांट

वहीं टेक्सटाइल के संचालक अनिल सोनी ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति बड़ी दयनीय चल रही है. कोरोना के कारण पूरा मार्केट डिस्टप है. प्लांट 50 प्रतिशत कैपेसिटी पर चल रहा है. शनिवार व रविवार को प्लांट वर्तमान में बंद है. लग रहा है कि स्थिति सामान्य होने में 31 मार्च 2021 तक समय लगेगा.

उन्होंने बताया कि मेरी इंडस्ट्रीज में पहले 400-500 श्रमिक काम करते थे, वर्तमान में 300 श्रमिक को ही बुलाया जा रहा है और पूरी कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाई जा रही है. सैनिटाइजर, मास्क पहनना व सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम करवाया जा रहा है. जो भी श्रमिक मास्क पहनकर नहीं आते हैं, उनको हमारी इंडस्ट्रीज द्वारा मास्क उपलब्ध करवाया जाता है फिर काम पर काम के लिए रखा जाता है.

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वहीं भीलवाड़ा के प्रसिद्ध औद्योगिक संगठन भीलवाड़ा टेक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने कहा कि वस्त्र नगरी के नाम से भीलवाड़ा विश्व विख्यात है. यहां 300 से 400 फैक्ट्रियां हैं. जो मार्च से बंद थी. मजदूरों को भोजन के लिए हमने सामाजिक दायित्व निभाया. उद्योगों को पुन संचालन के लिए मजदूर पलायन कर चुके थे. पलायन के बाद वापस कम मजदूर लौटे हैं. वर्तमान में बाहर से जो श्रमिक आए हैं, उनमें कुछ में कार्यकुशलता है और कुछ में नहीं है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में 80 प्रतिशत उद्योग ही चल रहे हैं, जिसमें 50 से 60 प्रतिशत उत्पादन हो रहा है. काम की उपलब्धता बिल्कुल नहीं है. जब तक नीचे के स्तर पर ग्राहकी नहीं होगी, तब तक उद्योग फिर से पटरी पर नहीं लौटेंगे. पूरी गाइडलाइन के साथ काम करवाया जा रहा है. साथ ही सबसे बड़ी बात यह कि देश में कोरोना का प्रकोप महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा फैलने के कारण वहां की औद्योगिक इकाइयां ठप हैं. जिससे वहां से शर्टिंग का कपड़ा भीलवाड़ा में पहुंच रहा है, जिससे कुछ लोगों को अब उम्मीद बंधी है.

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