भरतपुर. अपना घर आश्रम में रक्षाबंधन पर्व (Rakshabandhan in apna ghar Ashram) मनाया गया. गुरुवार को महिला प्रभुजनों ने अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर त्यौहार मनाया. यहां निवासरत करीब 2300 बहनों ने डॉ भारद्वाज को राखी बांधी. इस अवसर पर अपना घर आश्रम में 8 साल से निवासरत दिल्ली निवासी कुसुम जैन ने अपने भाई से करुण विनती (Apna Ghar Ashram woman message to brother) करते हुए ईटीवी भारत के माध्यम से अपील की है कि वह परिवार के साथ एक बार उससे मिलने के लिए अपना घर आश्रम आ जाए.
हर वर्ष डाक से भेजती हैं राखी
अपना घर आश्रम भरतपुर में रह रहीं कुसुम जैन ने बताया कि वह हर वर्ष अपने भाई और भतीजे के लिए मामा के घर डाक से राखी भेजती है. मामा और मामी से फोन पर बात हो जाती है लेकिन भाई यदा-कदा ही बात करता है. बताया कि उनका भाई उसे अपनाने से साफ इनकार कर देता है. कुसुम ने बताया कि ससुराल पक्ष भी उसको साथ नहीं रखना चाहता. कुसुम जैन ने ईटीवी भारत के माध्यम से अपने भाई से विनती की कि एक बार अपना घर आश्रम आकर पूरे परिवार के साथ उससे मिल लें. अपना चेहरा दिखा जाए. भले ही साथ मत ले जाए लेकिन एक बार मिलकर खैरियत तो पूछ ले.
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अपने हाथ से राखी बांधना चाहती हूं
अपना घर की प्रभुजन कुसुम जैन ने बताया कि 8 साल हो गए वह अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांध पाई हैं. बड़ी इच्छा होती है कि अपने भाई से मिलकर उसे राखी बांधूं लेकिन न तो वह मिलने आता है और न ही साथ घर लेकर जाता है. कुसुम जैन ने बताया कि अपने सगे भाई ने साथ छोड़ दिया है लेकिन अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज और डॉ. माधुरी भारद्वाज भाई और भाभी के सभी धर्म निभा रहे हैं.
75 नन्हीं बालिकाओं ने बांधी राखी
अपना घर आश्रम भरतपुर में रहने वाली 75 छोटी-छोटी बालिकाओं ने 75 बालकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा. ये वे मासूम बालिकाएं और बालक हैं जिन्होंने अपना घर आश्रम में पहुंची गर्भवती महिलाओं से जन्म लिया है या अपनी लावारिस हालत में यहां तक पहुंची हैं. बच्चों ने हर्षोल्लास से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया है. खून का रिश्ता न होने के बावजूद नन्ही बालिकाओं ने भाइयों की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांधकर तिलक लगाया. अपना घर आश्रम में निवासरत 2300 माताओं-बहनों ने भी डॉ. बीएम भारद्वाज की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा. वहीं आश्रम की महिला प्रभु जनों और महिला सेवा साथियों ने पुरुष प्रभुजनों को वार्ड में जाकर राखी बांधी.